शास्त्री ने कहा कि भक्ति सुदामा की तरह करनी चाहिए। जिसकी प्रीत में भगवान ने मिलने पर परम भक्त एवं अपने परम सनेही सुदामा के पग को आश्रुओ की धारा से धोना पड़ा। राधा कृष्ण की लीला में जितना कृष्ण के विछोह में राधा ने आंसू बहाए होंगे, उससे ज्यादा सुदामा के मिलने पर वासुदेव कृष्ण ने क्षणिक मिलन में बहा कर पग धोने का काम किया।