बदलता शहर : गोरखपुर में जल्द शुरू होगा पादरी बाजार फ्लाई ओवर का काम, जानिए बनाने कितनी आएगी लागत

UPT | फ्लाई ओवर।

Feb 20, 2024 19:27

पादरी बाजार फ्लाईओवर का काम मार्च के दूसरे हफ्ते में शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है। कौवाबाग की तरफ से काम शुरू किया जाएगा। पादरी बाजार चौराहा शहर के अतिव्यस्त चौराहों में से एक है। इसलिए यहां अमूमन जाम की स्थिति बनी रहती है।

Short Highlights
  • 650 मीटर लंबा फ्लाईओवर बनाने में खर्च होंगे 98.38 करोड़ रुपये
  • निर्माण के लिए जारी हुए 24.58 करोड़ रुपये
Gorakhpur News (अमित श्रीवास्तव) : शहर में जल्द ही एक और फ्लाईओवर बनाने का काम शुरू हो जाएगा। पादरी बाजार चौराहे पर बनाए जाने वाले फ्लाई ओवर के लिए अधिसूचना जारी होने के बाद इसके निर्माण की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। 650 मीटर लंबी पुल को बनाने में 98.38 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है। शासन ने इसके लिए 24.58 करोड रुपये जारी भी कर दिए हैं। पादरी बाजार चौराहे पर फ्लाईओवर बन जाने के बाद जाम की समस्या से बहुत हद तक निजात मिल जाएगी। 

कौवाबाग की तरफ से मार्च के दूसरे हफ्ते में शुरू हो सकता है निर्माण कार्य
पादरी बाजार फ्लाईओवर का काम मार्च के दूसरे हफ्ते में शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है। कौवाबाग की तरफ से काम शुरू किया जाएगा। पादरी बाजार चौराहा शहर के अतिव्यस्त चौराहों में से एक है। इसलिए यहां अमूमन जाम की स्थिति बनी रहती है। फ्लाईओवर बन जाने के बाद बाहर से आने-जाने वाले लोगों को और महानगर वासियों को भी काफी सहूलियत होगी। जाम के झाम में नहीं फंसना पड़ेगा। दरअसल पादरी बाजार चौराहा खजांची चौक होते हुए बरगदवा तक सोनौली नेपाल रोड में जाकर मिलता है। ऐसे में नेपाल, महाराजगंज के लोगों का आवागमन तो होता ही है, पादरी बाजार से एक सड़क सीधे पिपराइच होते हुए पडरौना तक चली जाती है। ऐसे में वहां और बिहार के लोगों का भी आना-जाना अक्सर इस सड़क के रास्ते होता है। ऐसे में सड़क पर भारी दबाव होने के कारण जब तब जाम की स्थिति बन जाती है। फ्लाईओवर के निर्माण के बाद इस स्थिति में सुधार आने की संभावना है।

फ्लाईओवर बनाने को पिछले साल 23 अगस्त को मिली थी मंजूरी
शहर को जाम मुक्त बनाने की कोशिश के तहत पादरी बाजार चौराहे पर फ्लाईओवर बनाने की स्वीकृति पिछले साल 30 अगस्त को मिली थी। शासन के निर्देश पर सर्वे के बाद रिपोर्ट तैयार की गई। फिर मुख्यालय पर तकनीकी परीक्षण के लिए भेजा गया था। प्रशिक्षण में पास होने के बाद डीपीआर शासन में भेजी गई थी।

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