गोरखनाथ विश्वविद्यालय में 3 दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ : वैद्य गुई लेविन ने कहा- नाथपंथ का आयुर्वेद और योग के प्रसार में अहम योगदान

UPT | तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ

Jan 12, 2025 18:01

महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, आरोग्यधाम के गुरु गोरक्षनाथ इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आयुर्वेद कॉलेज) द्वारा आयुर्वेद, योग और नाथपंथ पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ...

Gorakhpur News : महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय, आरोग्यधाम के गुरु गोरक्षनाथ इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (आयुर्वेद कॉलेज) द्वारा आयुर्वेद, योग और नाथपंथ पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ। इसमें मुख्य अतिथि के रूप में इजराइल के आयुर्वेद विशेषज्ञ वैद्य गुई लेविन उपस्थित थे। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद और योग मानव आरोग्यता के लिए वरदान हैं और नाथपंथ इन दोनों के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। संगोष्ठी में योग और आयुर्वेद के विभिन्न पहलुओं पर विचार विमर्श हुआ।

'कोरोना के बाद आयुर्वेद की महत्ता फिर से प्रकट हुई'
वैद्य गुई लेविन ने आयुर्वेद को एक हानिरहित चिकित्सा पद्धति बताया, जो प्राचीनकाल में जीवनशैली का हिस्सा थी। उन्होंने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना के बाद आयुर्वेद की महत्ता फिर से प्रकट हुई है। उन्होंने योग को भी मानवता के लिए एक निशुल्क उपहार बताया और कहा कि यदि व्यक्ति योग और आयुर्वेद का पालन करे, तो उसे व्याधियों से बचने की संभावना कम हो जाती है। गोरखनाथ की भूमि को उन्होंने दिव्यता के प्रतीक के रूप में संबोधित किया।



'गुरु गोरखनाथ ने आयुर्वेद और योग का प्रचार किया'
श्रीलंका की पूर्व आयुर्वेद अस्पताल निदेशक डॉ. अनुला इल्लु कुम्बरी ने भारत और श्रीलंका की साझा आयुर्वेदिक विरासत पर बात की। वहीं, श्रीलंका के वनौषधि विशेषज्ञ डॉ. मायाराम उनियाल ने नाथ संप्रदाय और भगवान शिव की भूमिका पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि गुरु गोरखनाथ ने आयुर्वेद और योग का प्रचार किया। इस अवसर पर उन्होंने अपनी दो पुस्तकें महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुरिंदर सिंह को भेंट की।

नाथपंथ के योगदान को सराहा
उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए डॉ. जीएन सिंह ने नाथपंथ के योगदान को सराहा और कहा कि यह संगोष्ठी आयुर्वेद, योग और नाथपंथ की साझा विरासत को उजागर करेगी। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद और योग मानव जीवन में आरोग्यता की कुंजी हैं। इस संगोष्ठी के माध्यम से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सपनों को साकार होते हुए देखा जा सकता है। उन्होंने विश्वास जताया कि यह संगोष्ठी स्वास्थ्य क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी।

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के आचार्य हुए शामिल
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के आचार्य डॉ. के. राम चंद्र रेड्डी ने आयुर्वेद के महत्व पर प्रकाश डाला और संगोष्ठी की प्रासंगिकता को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि आयुर्वेद ने न केवल भारत में बल्कि पूरे विश्व में एक महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त किया है। यह पद्धति न केवल बीमारियों के इलाज में प्रभावी है, बल्कि जीवनशैली सुधारने के लिए भी कारगर है। आयुर्वेद की वैज्ञानिक सटीकता और प्राचीन ज्ञान का आज भी उपयोग हो रहा है।

आयुर्वेद उत्पादों की बढ़ती लोकप्रियता पर चर्चा
संगोष्ठी के पहले वैज्ञानिक सत्र में प्रो. (डॉ.) जीएस तोमर ने आयुर्वेद उत्पादों की बढ़ती लोकप्रियता पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के बाद आयुर्वेद उत्पादों की वैश्विक मांग में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। एंटीबायोटिक दवाओं की तुलना में इम्युनिटी वर्धक औषधियों की मांग में वृद्धि हुई है। डॉ. तोमर ने यह भी बताया कि आयुर्वेद के उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करना बहुत महत्वपूर्ण है, ताकि बढ़ती हुई जन आकांक्षाओं का सही समाधान किया जा सके।

'आयुर्वेद को लोकप्रिय बनाने और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता'
एक अन्य वैज्ञानिक सत्र में डॉ. शेखर अन्नमबाटला ने आयुर्वेद और आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों की विशेषताओं पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि दोनों पद्धतियों को एक दूसरे के पूरक के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। डॉ. शेखर ने आयुर्वेद के महत्व को रेखांकित किया और कहा कि पूरी दुनिया में आयुर्वेदिक उपचारों पर जोर दिया जा रहा है। आयुर्वेद को लोकप्रिय बनाने के लिए और अधिक प्रयास करने की आवश्यकता है।

योग परंपरा का दिया परिचय
डॉ. जयंत कुमार भदौरिया ने भृगु योग परंपरा का परिचय देते हुए कहा कि यह परंपरा शारीरिक, मानसिक और आत्मिक रूप से स्वास्थ्य को बढ़ावा देती है। उन्होंने बताया कि भृगु योग का उद्देश्य शरीर, मन और आत्मा का समन्वय कर ऊर्जा को जागृत करना है। यह शारीरिक शक्ति को बढ़ाने, मन को शांत करने, और वाणी को शुद्ध करने का उपाय है। भृगु योग से व्यक्ति का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है। एम्स गोरखपुर के डॉ. चेतन शाही ने पुरुष बांझपन के इलाज में योग और होलिस्टिक चिकित्सा के प्रभावी उपचार पर प्रकाश डाला। उन्होंने टेस्टिकुलर डिस्जेनेसिस सिंड्रोम (टीडीएस) के कारणों और निदान में योग की भूमिका पर चर्चा की। डॉ. शाही ने कहा कि अनुलोम-विलोम और कपालभाति जैसे प्राणायाम तनाव को कम करने और हार्मोनल संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं। योग का यह प्रभाव पुरुष प्रजनन क्षमता को सुधार सकता है।


शिशु रोग विभाग के डॉ. बीएम सिंह ने स्वर्णप्राशन की भूमिका पर चर्चा की, जो शिशुओं की प्रतिरक्षा को बढ़ाता है। उन्होंने बताया कि स्वर्णप्राशन शुद्ध स्वर्ण भस्म, शहद और घी से मिलकर तैयार होता है और यह शारीरिक तथा मानसिक विकास को बढ़ावा देता है। डॉ. सिंह ने बताया कि स्वर्ण भस्म का कोई साइड इफेक्ट नहीं होता और यह शिशुओं के लिए बेहद लाभकारी है। स्वर्णप्राशन से शिशु के शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक विकास भी होता है।

सीएम योगी का विशेष व्याख्यान संगोष्ठी के दूसरे दिन होगा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का विशेष व्याख्यान संगोष्ठी के दूसरे दिन 13 जनवरी को होगा। वह नाथपंथ की सर्वोच्च पीठ, गोरक्षपीठ के महंत और योग के मर्मज्ञ हैं। उनका व्याख्यान आयुर्वेद, योग और नाथपंथ के मानवता के प्रति योगदान पर आधारित होगा। मुख्यमंत्री योगी ने इस संगोष्ठी में अपनी उपस्थिति से इसके महत्व को और भी बढ़ाया है। उनका व्याख्यान नाथपंथ की अद्भुत विरासत को आगे बढ़ाने के लिए प्रेरणा देने वाला होगा।

Also Read