पतंगबाजी का शौक रखने वाली एक पीढ़ी पूरी तरह से बुढ़ापे की कतार में है तो दूसरी धीरे-धीरे उस ओर बढ़ रही है। बुढ़ापे वाली पीढ़ी तो अपने जमाने में पतंगबाजी के खूब मजे लिए। लेकिन, उनके बाद वाली वह पीढ़ी है, जिसकी बचपन में पतंग लूटते समय कई बार टांग टूटी और चोटें मिली। दिवाली के बाद जमघट पर पतंग लूटने के लिये ये पीढ़ी सड़क चौराहे के ट्रैफिक तक की परवाह नहीं करती थी।