ऑनलाइन व्यवस्था सुविधा के लिहाज से बेहद फायदेमंद रही थी। नगर निगम के कार्यालयों के चक्कर लगाने के बजाय लोग ऑनलाइन तरीके से भुगतान करना बेहतर समझते थे। हालांकि इसमें कई खामियां भी सामने आईं। इसमें प्रॉपर्टी का सत्यापन नहीं होने के कारण चंद मिनटों में गृहकर निर्धारण हो जाता था। इस वजह से इसका दुरुपयोग होने लगा।