UPPCL : निजी घरानों के दबाव में कनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट में फिर बदलाव की तैयारी, उपभोक्ता परिषद सीएम से मुलाकात कर खोलेगा पोल

UPT | UPPCL

Jan 29, 2025 08:35

बिजली कंपनियों में रोज सर्किल और डिवीजन में टेंडर निकालने की प्रक्रिया नहीं है, यह एक गंभीर संवैधानिक मामला है, जो विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 14 के तहत विद्युत नियामक आयोग की अनुमति के बाद शुरू किया जाता है।

Lucknow News : दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (DVVNL) और पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड (PuVVNL) के निजीकरण को लेकर उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड (UPPCL) लगातार सवालों से घिरता जा रहा है। एनर्जी टास्क फोर्स के निर्णय के कड़ी में ट्रांजैक्शन एडवाइजर (कंसल्टेंट) की प्री बिड कॉन्फ्रेंस में कनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट (हिट धारकों का टकराव) के मामले को लेकर उपभोक्ता परिषद की घेराबंदी के बाद ​अधिकारियों ने चुप्पी साधी हुई है। 

मुख्य सचिव की बैठक में रखा गया मुद्दा
इससे बचने के लिए सभी कंसल्टेंट कंपनियां कनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट को लगभग खत्म कराने की कोशिश में हैं। इसके लिए पूरी तरह दबाव बनाया जा रहा है कि इसमें बदलाव कर दिया जाए, जिससे मनचाही कंसलटेंट कंपनियां भाग ले सकें। इसके साथ ही आनन-फानन में मुख्य सचिव वाली अध्यक्षता में एनर्जी टास्क फोर्स की बैठक में यह मुद्दा प्रमुख रूप से रखा गया। 

कनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट बेहद गंभीर मामला, सीएम से हस्तक्षेप की मांग
उपभोक्ता परिषद ने इसे लेकर एक बार फिर पावर कारपोरेशन को घेरा है। संगठन ने कहा है कि निजीकरण को लेकर उच्च स्तर पर रोज बदलाव किए जा रहे हैं, कभी वित्तीय मानक तो कभी तकनीकी मानक और कभी कनफ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट को लेकर, उससे सच्चाई उजागर होती कि निजी कंपनियों के हित में किस तरह काम किया जा रहा है। यह बहुत गंभीर मामला है। उपभोक्ता परिषद ने मुख्यमंत्री से गुजारिश की है कि बड़े गोलमाल से पहले वह तत्काल हस्तक्षेप करते हुए इस प्रकार की कार्रवाई पर विराम लगवाए, यह जनहित में बहुत जरूरी है।

कंसल्टेंट चयन प्रक्रिया पर सवाल
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि पावर कारपोरेशन जब एक कंसलटेंट रखने में रोज बदलाव कर रहा है, तो इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि आने वाले समय में 42 जनपदों के निजीकरण की क्या स्थिति होगी। पावर कारपोरेशन को समझना चाहिए कि यह बिजली कंपनियों में रोज सर्किल और डिवीजन में टेंडर निकालने की प्रक्रिया नहीं है, यह एक गंभीर संवैधानिक मामला है, जो विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 14 के तहत विद्युत नियामक आयोग (UPERC) की अनुमति के बाद शुरू किया जाता है। लेकिन, यहां तो बिजली कंपनियों को किसी भी तरह उद्योगपतियों को देने की जल्दबाजी है। उपभोक्ता परिषद के रहते यह संभव नहीं है और जो भी गोलमाल हो रहा है, इन सब की उच्च स्तरीय जांच बिना कराए  संगठन चुप नहीं बैठने वाला है।

सीएम से मुलाकात कर जल्द बड़ा खुलासा करने का दावा
उपभोक्ता परिषद ने कहा पावर कारपोरेशन को एक के बाद एक जल्दबाजी में जितना भी बदलाव करना है, वह कर ले। संगठन की पूरे घटनाक्रम और प्रक्रिया पर नजर है। कहीं भी उपभोक्ताओं के हित में जनहित में कोई भी गड़बड़ घोटाला नहीं करने दिया जाएगा। जो भी इन सब प्रक्रिया में संलिप्त हैं, समय-समय पर उनका खुलासा किया जाता रहेगा। बहुत जल्द ही उपभोक्ता परिषद मुख्यमंत्री से मुलाकात कर सब की पोल खोलकर खुलासा करेगा।
 

Also Read