Kartik Purnima 2024 : भरणी नक्षत्र और व्यतिपात योग में कार्तिक पूर्णिमा 15 नवंबर को

UPT | इस बार देव दीपावली व्यतिपात योग, विष्टि करण लिये हुए भरणी नक्षत्र मे

Nov 11, 2024 09:20

दीपावली आध्यात्मिक ऊर्जाओं से भरपूर हो सकेगी यदि हम अपनी कार्तिक अमावस्या वाली दीपावली से भी अधिक महत्व देंगे इस देव दीपावली को। क्योंकि वास्तव में जिन महालक्ष्मी को हम अपनी दीपावली पर विशेष रूप से पूजते हैं

Short Highlights
  • कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान का महत्व
  • देव दीपावली के दिन नींद से जाग जाएंगे देव
  • शुरू होंगे शुभ कार्य और शादियों का मौसम
Kartik Purnima 2024 : इस बार देव दीपावली व्यतिपात योग, विष्टि करण लिये हुए भरणी नक्षत्र मे उस समय देव-दीपावली प्रारम्भ हो रही है। जब चन्द्रमा प्रथम राशि मेष पर विचरण कर रहे हैं और दिन है शुक्रवार का। यह कार्तिक पूर्णिमा तिथि 15 नवम्बर को प्रात: 6:21 बजे प्रारम्भ होकर 15 नवम्बर की रात्रि अर्थात (अगले दिन 16 नवम्बर को  03:00 am) तक रहेगी। पंडित भारत ज्ञान भूषण के अनुसार देव दीपावली का पर्व दिन-रात व्यापनी पूर्णिमा, 15 नवम्बर को मनाया जाएगा। इस प्रकार देव दीपावली, सत्य नारायण व्रत-कथा पूर्णिमा, गंगा स्नान पर्व 15 नवम्बर को ही मनाया जायेगा। 

15 नवम्बर- जल स्थान में दीप दान व पूजन समय 
लाभ मुहूर्त रात्रि  
– 08:46 से 10:26 तक
प्रदोष काल सांय –  05:08 से 07:47 तक 
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि जगत पालक भगवान विष्णु के हमारे जगत-आगमन पर ठीक ऐसे ही मनायें देव दीपावली जैसे कि अयोध्या में विष्णु अवतार भगवान राम के अयोध्या वापस लौटने पर मनायी गयी थी।

दीपावली के ठीक पन्द्रहवें दिन कार्तिक पूर्णिमा पर मनायी जाती
पृथ्वी पर प्रथम दीपावली-पृथ्वी पर मनुष्यों के लिए दीपावली कार्तिक माह की अमावस्या होती है किन्तु देव जागरण पर देव उठान एकादशी से पृथ्वी पर आ जाती हैं सभी दिव्य शक्तियां देवों के रूप में। तब दीपावली के ठीक पन्द्रहवें दिन कार्तिक पूर्णिमा पर मनायी जाती है। देव दीपावली क्योंकि देवतागण विशेषरूप से श्रीमहालक्ष्मी पति भगवान श्री विष्णु योग निद्रा से जागकर इस भौतिक जगत में आठ महीनें के लिए हम पर अपनी कृपा बरसाने के लिए हमारे जगत में प्रवेश करते हैं।

दीप प्रज्जवलित कर देवताओं के स्वागत में दीपावली मनाते हैं
ऐसे में देव गण पृथ्वी के समस्त जलाशयों में मनाते हैं देव दीपावली और हम मनुष्य भी देव आगमन पर तीर्थ स्थानों अथवा जहां भी जल का भण्डार है घर में या बाहर दीप प्रज्जवलित कर देवताओं के स्वागत में दीपावली मनाते हैं। इस वर्ष 15 नवम्बर शुक्रवार को देव दीपावली आध्यात्मिक ऊर्जाओं से भरपूर हो सकेगी यदि हम अपनी कार्तिक अमावस्या वाली दीपावली से भी अधिक महत्व देंगे इस देव दीपावली को। क्योंकि वास्तव में जिन महालक्ष्मी को हम अपनी दीपावली पर विशेष रूप से पूजते हैं उनके स्वामी ही तो हैं भगवान विष्णु और भगवती लक्ष्मी भी वास्तव में उन्हीं से ही प्रसन्न होती हैं। जो श्रीलक्ष्मी के पति तथा पूरे विश्व के भी पति हैं को प्रेम, श्रद्धा से देव दीपावली पर पूजन करता है।

मा लक्ष्मी जगतपालक की चरण सेवा में ही होती हैं
ध्यान रहे चार माह आध्यात्मिक जगत में शेष नाग की शैय्या पर जब विष्णु योग निद्रा में होती हैं तो माता लक्ष्मी जगतपालक की चरण सेवा में ही होती हैं। भगवान की कृपा के बगैर लक्ष्मी जी भी अपनी कृपा नहीं बरसा सकतीं। इसलिए दीपावली पर लक्ष्मी पूजन तथा देव दीपावली पर विष्णु पूजन सबसे अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है।           

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