नीतीश सरकार को High Court से बड़ा झटका : बिहार में 65 फीसदी आरक्षण कानून को किया रद्द, जानिए पूरा मामला

UPT | पटना हाईकोर्ट

Jun 20, 2024 12:47

कोर्ट ने बिहार में सरकारी नौकरी और उच्च शैक्षणिक संस्थानों के दाखिले में जाति आधारित आरक्षण बढ़ाकर 65% करने वाले कानून को रद्द कर दिया है। 

New Delhi : पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। जिसमें कोर्ट ने बिहार में सरकारी नौकरी और उच्च शैक्षणिक संस्थानों के दाखिले में जाति आधारित आरक्षण बढ़ाकर 65% करने वाले कानून को रद्द कर दिया है। बता दें कि मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति हरीश कुमार की खंडपीठ ने फैसला सुनाया कि बिहार पदों और सेवाओं में रिक्तियों का आरक्षण (Amendment) अधिनियम, 2023 और बिहार (Admission to Educational Institutions) आरक्षण (Amendment) अधिनियम, 2023 असंवैधानिक हैं और संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 16 के तहत समानता के प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं।
  नीतीश सरकार के संशोधनों को दी थी चुनौती
दरअसल, यह फैसला विभिन्न दायर याचिकाओं के पर आया, जिसमें पिछले साल नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली बिहार सरकार द्वारा लाए गए संशोधनों को चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित 50% की सीमा से अधिक आरक्षण बढ़ाना संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन है। जिसके बाद अब पटना हाईकोर्ट ने बिहार में सरकारी नौकरी और उच्च शैक्षणिक संस्थानों के दाखिले में जाति आधारित आरक्षण बढ़ाकर 65% करने वाले कानून को रद्द कर दिया है।


कार्ट ने बताया समानता के संवैधानिक मानदंड का उल्लंघन
मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन और न्यायमूर्ति हरीश कुमार की खंडपीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि राज्य विधानमंडल को सुप्रीम कोर्ट द्वारा पहले से व्याख्या दी गई संवैधानिक योजना पर फिर से कानून बनाने की अनुमति नहीं दी जा सकती। पीठ ने कहा कि 50% से अधिक आरक्षण समानता के संवैधानिक मानदंड का उल्लंघन होगा। जिसके बाद कार्ट ने जाति आधारित आरक्षण बढ़ाकर 65% करने वाले कानून को रद्द कर दिया है।

यूपी में किस वर्ग के लिये कितना आरक्षण
बता दें कि यूपी में ओबीसी को 27 प्रतिशत, पिछड़ा वर्ग के 15 प्रतिशत और अनुसूचित जनजाति 7.5 प्रतिशत आरक्षण प्राप्त है। इसके साथ ही बताते चले की उत्तर प्रदेश की सरकारी नौकरियों में कुल 60 प्रतिशत पदों पर आरक्षण लागू है। जो पहले 50 प्रतिशत था। क्योंकि इसमें 10 प्रतिशत आर्थिक रूप से कमजारों को भी शामिल किया है।

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