Check Bounce Case : हाईकोर्ट का नया आदेश, इन मामलों में नहीं बनेगा चेक बाउंस केस

UPT | Check bounce

Jun 12, 2024 19:49

चेक बाउंस होने पर एनआई एक्ट की धारा 138 के तहत अपराध गठित नहीं होगा। चेक जारी करने वाले के खिलाफ कोई मुकदमा नहीं चलेगा।

Prayagraj News : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक केस के सुनवाई के दौरान महत्तवपूर्ण निर्णय लिया है। कोर्ट ने कहा कि जिन बैंकों का किसी अन्य बैंक में विलय हो चुका है, उनके चेक बाउंस होने पर एनआई एक्ट की धारा 138 के तहत अपराध गठित नहीं होगा। चेक जारी करने वाले के खिलाफ कोई मुकदमा नहीं चलेगा। यह आदेश न्यायमूर्ति अरुण सिंह देशवाल ने इंडियन बैंक में विलय हो चुके चेक बाउंस के मामले में बांदा की अर्चना सिंह गौतम की याचिका स्वीकार करते हुए लिया है। 

चेक बाउंस पर हाईकोर्ट में दी चुनौती
दरअसल, बांदा की अर्चना सिंह गौतम ने 21 अगस्त 2023 को विपक्षी को एक चेक जारी किया जिसे उसने 25 अगस्त 2023 को बैंक में जमा किया। बैंक ने इसे बाउंस करार देते हुए चेक लौटा दिया। जिस पर विपक्षी ने याची के खिलाफ 138 एन आई एक्ट के तहत चेक बाउंस का परिवाद कायम करा दिया। कोर्ट द्वारा जारी समन आदेश को याची ने हाईकोर्ट में चुनौती दी। 

अमान्य चेक अस्वीकार करने पर बाउंस केस नहीं 
बता देन कि याची द्वारा हाईकोर्ट को दरवाजे खटखटाने के बाद कोर्ट ने कहा कि एन आई एक्ट की धारा 138 के अनुसार यदि अमान्य चेक बैंक में प्रस्तुत करने पर बैंक द्वारा अस्वीकार किया जाता है तो धारा 138 का अपराध गठित नहीं होता है। इलाहाबाद बैंक का इंडियन बैंक में 1 अप्रैल 2020 को विलय हुआ और इसके चेक 30 सितंबर 2021 तक मान्य थे। इसके बाद प्रस्तुत किया गया चेक यदि बैंक अमान्य करता है तो चेक बाउंस का केस नहीं बनता है।

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