इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला : तीन शादियों के मामले में पहली पत्नी को मिलेगी पेंशन, AMU के कुलपति को दिया आदेश

UPT | इलाहाबाद हाईकोर्ट

Nov 18, 2024 09:36

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया कि मुस्लिम कानून के तहत परिवारिक पेंशन का अधिकार केवल पहली पत्नी को है। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की पीठ...

Prayagraj News : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया कि मुस्लिम कानून के तहत परिवारिक पेंशन का अधिकार केवल पहली पत्नी को है। यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया की पीठ ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के एक सेवानिवृत्त कर्मचारी की पहली पत्नी सुल्ताना बेगम की याचिका पर दिया। कोर्ट ने एएमयू के कुलपति को निर्देश दिया कि वह याचिका पर दो माह के भीतर फैसला लें।

जानिए क्या था मामला
याचिकाकर्ता सुल्ताना बेगम के पति मोहम्मद इशाक एएमयू में कर्मचारी थे और उन्होंने तीन शादियां की थीं। दूसरी पत्नी की मृत्यु हो चुकी है और इशाक की मृत्यु के बाद परिवारिक पेंशन उनकी तीसरी पत्नी शादमा बेगम को मिलने लगी। सुल्ताना बेगम ने पेंशन के लिए एएमयू के कुलपति को पत्र लिखकर अपनी मांग रखी लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। आखिरकार उन्होंने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
 
वकील ने गुवाहाटी हाईकोर्ट का हवाला दिया  
याचिकाकर्ता के वकील डीसी द्विवेदी और शशिधर द्विवेदी ने गुवाहाटी हाईकोर्ट के एक पुराने फैसले का हवाला दिया। मुस्त जुनुफा बीबी बनाम मुस्त पद्मा बेगम मामले में गुवाहाटी हाईकोर्ट ने कहा था कि मुस्लिम कानून के तहत पहली पत्नी ही परिवारिक पेंशन की हकदार होती है। साथ ही, केंद्र सरकार के पारिवारिक पेंशन नियम भी इस बात का समर्थन करते हैं। कोर्ट ने मामले के सभी पक्षों को सुनने के बाद कुलपति को निर्देश दिया कि वे सुल्ताना बेगम और अन्य पक्षकारों की बात सुनकर दो माह के भीतर निर्णय लें।  

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