प्रयागराज के केपी ट्रस्ट में विवाद छिड़ा : डॉ. सुशील सिन्हा के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव, जानें क्या है मामला

UPT | पत्रकारों से वार्ता करते केपी ट्रस्ट के वर्तमान अध्यक्ष सुशील कुमार सिन्हा और उनके साथी

Oct 20, 2024 17:55

विश्व के सबसे बड़े केपी ट्रस्ट में 100 रुपये की सदस्यता को लेकर पूर्व अध्यक्ष और वर्तमान अध्यक्ष के बीच रॉर छिड़ गई है। वर्तमान अध्यक्ष के अनुसार 100 रुपये के सदस्यता के माध्यम से ट्रस्ट मे आम कायस्थों के भागीदारी कराई जानी है।

Short Highlights
  • डॉ. सुशील कुमार सिन्हा का मानना है कि सदस्यता शुल्क को मात्र 100 रुपये रखा जाना चाहिए
  • कुमार नारायण ने ट्रस्ट के पुराने नियमों का हवाला देते हुए सदस्यता शुल्क बढ़ाने की मांग की 
Prayagraj News : विश्व के सबसे बड़े ट्रस्ट के पी ट्रस्ट में 100 रुपये की सदस्यता के माध्यम से आम कायस्थों की भागीदारी को लेकर पूंजीवादी व्यवस्था के समर्थक ट्रस्ट के प्रमुखों और पूंजीवाद विरोधी ट्रस्ट के वर्तमान अध्यक्ष डॉ. सुशील सिन्हा के बीच टकराव तेज हो गया है। इस विषय पर पी ट्रस्ट के अध्यक्ष डॉ. सुशील कुमार सिन्हा ने प्रेस वार्ता के दौरान कहा कि मेरा स्पष्ट मत है कि 100 रुपये की सदस्यता के माध्यम से आम कायस्थों को भागीदारी करनी चाहिए, लेकिन पूंजीवादी व्यवस्था के समर्थक ट्रस्ट के प्रमुख एकजुट होकर ट्रस्ट में आम कायस्थों की भागीदारी का विरोध कर रहे हैं। मेरे खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने वाले आम कायस्थों के हितैषी नहीं हो सकते, वे आम कायस्थों को ट्रस्ट से दूर रखना चाहते हैं।

बैठक में 100 रुपये की सदस्यता का प्रस्ताव पास होना है
27 अक्टूबर को आयोजित गवर्निंग काउंसिल के बैठक में 100 रुपये की सदस्यता का प्रस्ताव पास होना है,  इसी को लेकर मेरे खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव  लाया गया है। ट्र ट्रस्ट के पूर्व महासचिव कुमार नारायण द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव अवैधानिक है। जब कुमार नारायण की सदस्यता निलंबित है और वे ट्रस्ट के प्राथमिक सदस्य ही नहीं हैं तो वह अविश्वास प्रस्ताव कैसे ला सकते हैं? इसके अलावा, कुमार नारायण द्वारा अविश्वास प्रस्ताव के लिए भेजी गई 720 ट्रस्टियों की सूची में से 307 ट्रस्टियों की सूची पूरी तरह से जाली है। 


ट्रस्ट के बायलॉज में लिखे नियम का जिक्र किया
वर्तमान अध्यक्ष सुशील कुमार सिन्हा ने कहा कि कुछ दिन पहले कुमार नारायण ने उन्हें एक पत्र भेजा था, जिसमें ट्रस्ट के बायलॉज में लिखे नियम का जिक्र था। उसमें लिखा था कि चौधरी काली प्रसाद जी सदस्यता के लिए 100 रुपये की चांदी लिया करते थे। अब उनकी सदस्यता शुल्क उसके मूल्य के हिसाब से तय किया जाना चाहिए। उस समय 100 रुपये की चांदी का मूल्य आज 90 हजार रुपये है। क्या इतना मूल्य दिया जा सकता है? 

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