मूर्ति विसर्जन मामला : प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और सरकार की गाइडलाइन पर संशय में इलाहाबाद हाईकोर्ट, जानें पूरा मामला

UPT | इलाहाबाद हाईकोर्ट

Oct 04, 2024 11:06

प्रयागराज में इस वर्ष दुर्गा प्रतिमा विसर्जन को लेकर बड़ा फैसला आने वाला है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया...

Prayagraj News : प्रयागराज में इस वर्ष दुर्गा प्रतिमा विसर्जन को लेकर बड़ा फैसला आने वाला है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया है। यह याचिका दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन गंगा किनारे कृत्रिम तालाब में कराए जाने की मांग को लेकर दाखिल की गई थी।


कोर्ट में याचिका और दलीलें
इस जनहित याचिका में समाजसेवी योगेंद्र कुमार पांडेय इलाहाबाद दुर्गा पूजा समिति के सचिव डॉ. पी.के. राय बंगाली वेलफेयर एसोसिएशन के सचिव और पूर्व पार्षद कमलेश सिंह साथ ही अधिवक्ता प्रियंका श्रीवास्तव द्वारा न्यायालय से अपील की गई है कि विसर्जन हाईकोर्ट के पुराने आदेशों और राज्य व केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की गाइडलाइन्स के तहत कराया जाए। याचिकाकर्ताओं की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव और सुनीता शर्मा ने अपनी दलीलों में कहा कि 2014 से पहले प्रयागराज में दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन यमुना किनारे सरस्वती घाट पर किया जाता था लेकिन गंगा प्रदूषण के मद्देनजर 2014 में हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगाई थी। इसके बाद कोर्ट ने गंगा में प्रदूषण रोकने के उद्देश्य से गंगा किनारे कृत्रिम तालाब बनाकर विसर्जन कराने का आदेश दिया था।

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कृत्रिम तालाब में विसर्जन की व्यवस्था
हाईकोर्ट ने वर्ष 2015 में भी कृत्रिम तालाब में विसर्जन का आदेश दोहराया था। जिसके तहत उत्तर प्रदेश सरकार ने इस उद्देश्य के लिए 65 लाख रुपये का बजट भी स्वीकृत किया था। इसके बाद 2019 तक दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन गंगा किनारे बने कृत्रिम तालाबों में ही कराया जाता रहा। हालांकि 2019 के बाद से प्रशासन ने अंदावा तालाब में मूर्तियों का विसर्जन कराना शुरू कर दिया। जिस पर स्थानीय लोगों ने आपत्ति जताई। उनका कहना है कि तालाब का पानी गंदा और दूषित है। जिससे धार्मिक भावनाएं आहत हो रही हैं।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रिजर्व किया जजमेंट
याचिकाकर्ताओं का कहना है कि इस वर्ष भी प्रशासन की योजना दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन अंदावा के तालाब में कराने की है। जो कि लोगों की धार्मिक आस्थाओं के विपरीत है। उन्होंने जोर देकर कहा कि कृत्रिम तालाब में ही विसर्जन कराया जाना चाहिए, जैसा कि पहले किया जाता था। वहीं सरकारी वकील ने अदालत में अंदावा तालाब की स्थिति और प्रशासनिक व्यवस्था से जुड़ी जानकारी पेश की और दावा किया कि विसर्जन के लिए सभी उचित उपाय किए गए हैं। हालाँकि, याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने इसका कड़ा विरोध किया और इसे अनुचित बताया। इलाहाबाद हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और जस्टिस विकास बुधवार की खंडपीठ ने इस मामले में सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया है। कोर्ट शुक्रवार को इस मामले में फैसला सुना सकता है। इसके बाद ही यह तय होगा कि प्रयागराज में दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन इस बार कहां किया जाएगा- अंदावा के तालाब में या फिर गंगा किनारे कृत्रिम तालाब में जैसा कि 2019 से पहले किया जाता रहा था।

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