महाकुंभ में शुरू हुई नागा साधुओं की दीक्षा प्रक्रिया : जूना अखाड़े की दशकों पुरानी है ये परंपरा, वर्षों की साधना के बाद मिला सौभाग्य

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Jan 19, 2025 13:18

नागा साधु बनना कोई साधारण प्रक्रिया नहीं है। इसके लिए साधना, तपस्या और धैर्य का उच्चतम स्तर आवश्यक होता है। श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े में नागा साधुओं की दीक्षा प्रक्रिया में भाग लेने के लिए साधुओं को 6 से 12 वर्षों तक कठोर साधना और प्रतीक्षा करनी पड़ती है।

Prayagraj News :  महाकुंभ की धूमधाम प्रयागराज में शुरू हो चुकी है, जहां करोड़ों श्रद्धालु संगम में डुबकी लगाने के लिए एकत्रित हो रहे हैं। महाकुंभ के पहले दिन ही लगभग एक करोड़ भक्तों ने संगम के पवित्र जल में डुबकी लगाई। महाकुंभ 2025 का एक विशेष आकर्षण नागा साधुओं की दीक्षा प्रक्रिया है, जो आध्यात्मिकता और साधना के मार्ग पर चलने वालों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े में इस प्रक्रिया का आरंभ हो चुका है। 

नागा साधु बनने की कठिन यात्रा
नागा साधु बनना कोई साधारण प्रक्रिया नहीं है। इसके लिए साधना, तपस्या और धैर्य का उच्चतम स्तर आवश्यक होता है। श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े में नागा साधुओं की दीक्षा प्रक्रिया में भाग लेने के लिए साधुओं को 6 से 12 वर्षों तक कठोर साधना और प्रतीक्षा करनी पड़ती है। यह अवधि उनके आत्म-नियंत्रण, समर्पण और तपस्या को परखने के लिए होती है।

दीक्षा प्रक्रिया का महत्व
नागा साधु बनने की प्रक्रिया केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं है; यह सनातन धर्म के योद्धा सन्यासियों को तैयार करने का एक गहन आध्यात्मिक कार्यक्रम है। दीक्षा के माध्यम से साधु अपने सांसारिक जीवन से पूर्णत: मुक्त होकर सन्यास ग्रहण करते हैं। इसके बाद वे भगवान शिव और सनातन धर्म की सेवा के लिए जीवन समर्पित करते हैं।
जूना अखाड़े की पवित्र परंपरा
श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा नागा साधुओं का सबसे बड़ा अखाड़ा है और इसकी परंपरा हजारों वर्षों पुरानी है। दीक्षा प्रक्रिया के दौरान साधुओं को विशेष मंत्रों, प्रार्थनाओं और अनुष्ठानों के माध्यम से योद्धा सन्यासियों के रूप में परिवर्तित किया जाता है। यह प्रक्रिया रातभर चलने वाले अनुष्ठानों और गुरुओं के आशीर्वाद के साथ संपन्न होती है।

महाकुंभ और नागा साधुओं का संबंध
महाकुंभ नागा साधुओं के लिए विशेष महत्व रखता है। यह आयोजन उन्हें अपने धर्म और परंपरा का पालन करने और दुनिया को अपने आध्यात्मिक ज्ञान और साधना का प्रदर्शन करने का अवसर प्रदान करता है। दीक्षा प्रक्रिया महाकुंभ के मुख्य आकर्षणों में से एक है, जो श्रद्धालुओं को सनातन धर्म की गहराई से रूबरू कराती है।

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