अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की बैठक : महाकुंभ 2025 को लेकर अहम प्रस्ताव, गाय को राष्ट्रमाता घोषित करने की मांग

UPT | अखाड़ा परिषद की बैठक में शामिल अखाड़ों के संत।

Oct 05, 2024 19:08

प्रयागराज में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की बैठक में महाकुंभ के सफल आयोजन को लेकर कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए गए। बैठक में अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरी महाराज समेत आठ प्रमुख अखाड़ों के साधु-संतों ने भाग लिया।

Short Highlights
  • गंगा-यमुना पर बन रहे स्नान घाटों का नामकरण अखाड़ों के ईष्ट देवता के नाम पर किए जाने की मांग
  • मठ-मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की मांग का प्रस्ताव पास किया गया
  • महाकुंभ क्षेत्र में मांस व मदिरा की दुकानों को प्रतिबंधित किए जाने का प्रस्ताव पास किया गया
Prayagraj News : प्रयागराज में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की दूसरे दिन की बैठक में महाकुंभ 2025 के सफल आयोजन को लेकर कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए गए। बैठक में अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरि गिरी महाराज समेत आठ प्रमुख अखाड़ों के साधु-संतों ने भाग लिया। इस बैठक में गौ माता के संरक्षण और संवर्धन को लेकर एक बड़ा प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें गौ को "राष्ट्र माता" घोषित करने की मांग की गई है। इसके अलावा, अखाड़ों की पेशवाई और शाही स्नान के नामों को बदलने का भी प्रस्ताव पास किया गया। संतों ने सर्वसम्मति से उर्दू और फारसी शब्दों को हटाकर सनातन संस्कृति के अनुरूप नाम रखने की सहमति जताई।

सनातन धर्म की सुरक्षा और संरक्षण पर अहम प्रस्ताव
बैठक में सनातन धर्म की रक्षा और संरक्षण के लिए भी कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किए गए। इनमें लव जिहाद, धर्मांतरण और मंदिरों की सुरक्षा जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान देने की मांग की गई। अखाड़ा परिषद ने इस बात की उम्मीद जताई है कि केंद्र और राज्य सरकार इन मुद्दों पर गंभीरता से विचार करेगी और आवश्यक कदम उठाएगी। 

महाकुंभ क्षेत्र में मांस-मदिरा की दुकानों पर लगे प्रतिबंध
अखाड़ा परिषद की बैठक में महाकुंभ क्षेत्र में मांस और मदिरा की दुकानों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव भी पारित किया गया। साधु-संतों का मानना है कि महाकुंभ जैसे धार्मिक आयोजन के क्षेत्र में इस तरह की दुकानों की मौजूदगी अनुचित है। इसके अलावा, मठ-मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की मांग भी की गई। साधु-संतों ने कुंभ 2019 में अखाड़ों को मिले अनुदान को बढ़ाकर दोगुना करने का भी प्रस्ताव रखा। साथ ही, गंगा की अविरलता और निर्मलता के मुद्दे पर भी चर्चा हुई, और गंगा-यमुना पर बनने वाले स्नान घाटों का नाम अखाड़ों के ईष्ट देवताओं के नाम पर रखे जाने का प्रस्ताव पारित किया गया। इस प्रस्ताव का उद्देश्य अखाड़ों की पहचान और उनकी संस्कृति को बनाए रखना है।

कुंभ में सनातनी अधिकारियों और कर्मचारियों की तैनाती की मांग
अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रवींद्र पुरी की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में एक और महत्वपूर्ण प्रस्ताव पारित किया गया, जिसमें महाकुंभ के आयोजन से जुड़े अधिकारियों और कर्मचारियों को सनातनी होने की मांग की गई। अखाड़ा परिषद के अनुसार, पुराने नियमों में भी यह स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि महाकुंभ के आयोजन में वही लोग शामिल हों जो सनातन धर्म के महत्व को समझते और उसका सम्मान करते हों। इस प्रस्ताव के माध्यम से अखाड़ा परिषद सरकार से मांग कर रहा है कि महाकुंभ 2025 के आयोजन में ऐसे अधिकारियों और कर्मचारियों की तैनाती की जाए जो सनातन धर्म से जुड़े हों। 

महाकुंभ की सुरक्षा को लेकर विशेष चर्चा
महाकुंभ 2025 के दौरान सुरक्षा व्यवस्था पर भी गहन चर्चा की गई। साधु-संतों ने हालिया वैश्विक घटनाओं, जैसे ईरान और इज़राइल के बीच संघर्ष, का जिक्र करते हुए कहा कि देश में भी कई विधर्मी और अवांछनीय तत्व सक्रिय हैं। ऐसे में महाकुंभ जैसे विशाल आयोजन की सुरक्षा सुनिश्चित करना अत्यंत आवश्यक है। इस संबंध में साधु-संतों ने शासन-प्रशासन के साथ मिलकर काम करने का आश्वासन दिया।

संतों को भारत रत्न देने की मांग
बैठक के दौरान, निर्वाणी अणी अखाड़े के महंत डॉ. महेश दास ने सनातन धर्म के उत्थान के लिए काम करने वाले संतों को भारत रत्न जैसी उपाधि देने की मांग की। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म की सेवा में लगे संत-महात्माओं का सम्मान और योगदान सरकार को स्वीकार करना चाहिए।

 अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी ने कहा कि महाकुंभ 2025 तक अखाड़ों में
बैठकों का सिलसिला इसी तरह जारी रहेगा। बैठक में श्री महंत दुर्गादास ने राज्य सरकार से अखाड़ों में निर्माण कार्यों की मांग भी की। उन्होंने कहा कि अब तक राज्य सरकार द्वारा निर्माण कार्य नहीं कराए गए हैं, और इस संबंध में रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ बैठक में प्रस्ताव रखा जाएगा। इस बैठक में पास किए गए सभी प्रस्ताव महाकुंभ 2025 के सफल और सुरक्षित आयोजन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।  

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