हनुमान मंदिर कॉरिडोर : गंगा स्नान की प्राचीन रीति होगी सुरक्षित, नए डिजाइन में किया गया बदलाव

UPT | Hanuman Mandir

Aug 24, 2024 13:59

कॉरिडोर के निर्माण में सबसे बड़ी चुनौती थी गंगा के वार्षिक बाढ़ के दौरान हनुमान जी के स्नान की परंपरा को बनाए रखना। इस समस्या के समाधान के लिए, प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने कॉरिडोर की डिजाइन में महत्वपूर्ण बदलाव ...

Prayagraj News : प्रयागराज में स्थित लेटे हनुमान मंदिर को एक पौराणिक धरोहर माना जाता है। हनुमान मंदिर कॉरिडोर परियोजना के तहत, प्राचीन परंपराओं को संरक्षित करते हुए आधुनिक सुविधाएं प्रदान करने का प्रयास किया जा रहा है। इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य है मंदिर के आसपास के क्षेत्र का सौंदर्यीकरण और श्रद्धालुओं के लिए बेहतर सुविधाओं का निर्माण करना।

परंपरा बनाए रखने के लिए डिजाइन में बदलाव
ऐसे में कॉरिडोर के निर्माण में सबसे बड़ी चुनौती थी गंगा के वार्षिक बाढ़ के दौरान हनुमान जी के स्नान की परंपरा को बनाए रखना। इस समस्या के समाधान के लिए, प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने कॉरिडोर की डिजाइन में महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं। अब एक एलिवेटेड बाउंड्रीवाल का निर्माण किया जाएगा, जिसके नीचे का हिस्सा खुला रहेगा। यह डिजाइन गंगा के जल को मंदिर तक पहुंचने की अनुमति देगा, जिससे सदियों पुरानी परंपरा चलती रहेगी।



सेना से ली गई जमीन
इस परियोजना के लिए, प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीडीए) ने सेना से लगभग 2.76 एकड़ जमीन का आदान-प्रदान किया है। बदले में, पीडीए ने सेना को नीवां के जाह्नवीपुरम आवासीय योजना में 64 करोड़ रुपये मूल्य की जमीन दी है। निर्माण का कार्य यूनिवस्तु बूट्स इंफ्रा लिमिटेड को सौंपा गया है, जो दो चरणों में 38.18 करोड़ रुपये की लागत से पूरा किया जाएगा।

दो चरणों में होगा काम
वहीं इस परियोजना का पहला चरण, जिसमें बाउंड्रीवाल, सड़क और दुकानों का निर्माण शामिल है, दिसंबर तक पूरा होने की उम्मीद है। दूसरा चरण, जो मंदिर के गर्भगृह से संबंधित है, महाकुंभ के बाद शुरू होगा। हाल ही में आई बाढ़ ने इस परियोजना की महत्ता को और भी उजागर कर दिया, जब गंगा का जल मंदिर तक पहुंचा और हनुमान जी का स्नान हुआ।

निर्माण एजेंसी को दिए गए निर्देश
पीडीए के उपाध्यक्ष अरविंद चौहान ने इस परंपरा के महत्व को समझते हुए निर्माण एजेंसी को निर्देश दिया है कि बाउंड्रीवाल को इस तरह से डिजाइन किया जाए कि बाढ़ का पानी मंदिर तक पहुंच सके। जिससे न केवल प्राचीन परंपरा को संरक्षण मिलेगी, बल्कि आधुनिक शहरी विकास के साथ सांस्कृतिक विरासत के सामंजस्य का एक उत्कृष्ट उदाहरण भी प्रस्तुत होगा।

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