प्रयागराज महाकुंभ 2025 : पहली बार नागा साधुओं की जीवनशैली को जानेंगे श्रद्धालु, श्रद्धालुओं को मिलेगा विशेष अनुभव

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Oct 19, 2024 10:11

प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ 2025 का आकर्षण नागा संन्यासियों और अघोरियों की उपस्थिति से और भी दिव्य और रोमांचक हो जाएगा। श्रद्धालुओं को इस बार इन रहस्यमयी संतों की जीवनशैली...

Prayagraj News : प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ 2025 का आकर्षण नागा संन्यासियों और अघोरियों की उपस्थिति से और भी दिव्य और रोमांचक हो जाएगा। श्रद्धालुओं को इस बार इन रहस्यमयी संतों की जीवनशैली को करीब से देखने और समझने का अनूठा अवसर मिलेगा। इस विशेष अनुभव को और भी समृद्ध बनाने के लिए उत्तर प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम (यूपीएसटीडीसी) ने एक नई पहल की है। जिसमें पर्यटकों को नागा संन्यासियों के शिविरों तक पहुँचाने की योजना बनाई जा रही है।

नागा संन्यासियों की जीवनशैली से होगें रूबरू
महाकुंभ और अर्धकुंभ में नागा संन्यासियों और अघोरियों का शाही स्नान मुख्य आकर्षण होता है। जब वे पूरे भव्यता के साथ गंगा में स्नान के लिए निकलते हैं। आमतौर पर श्रद्धालु केवल इस अवसर पर ही इन साधुओं के दर्शन कर पाते हैं, लेकिन इस बार पर्यटन विभाग ने यह सुनिश्चित किया है कि पर्यटक इनकी गूढ़ और तपस्वी जीवनशैली को नजदीक से जान सकें। यूपीएसटीडीसी ने एक विशेष पैकेज तैयार किया है। जिसके अंतर्गत प्रशिक्षित गाइडों के माध्यम से श्रद्धालुओं और पर्यटकों को नागा संन्यासियों और अघोरियों के शिविरों तक ले जाया जाएगा। यह पहल केवल दर्शन तक सीमित नहीं होगी, बल्कि इन संतों के इतिहास, उनकी तपस्या और कठिन जीवनशैली के बारे में भी जानकारी दी जाएगी। गाइड इन संतों के कठोर तप, धार्मिक परंपराओं और उनकी साधना के रहस्यों से लोगों को परिचित कराएंगे।


नागा संन्यासियों की तपस्वी जीवनशैली
नागा संन्यासियों की जीवनशैली बेहद कठोर और सादगी भरी होती है। भीषण ठंड के बावजूद ये संन्यासी बिना कपड़ों के रहते हैं और कठोर तप का पालन करते हैं। अर्धकुंभ और महाकुंभ के दौरान नए नागा संन्यासियों का दीक्षा संस्कार किया जाता है। जो एक कठिन और गूढ़ प्रक्रिया होती है। इस दौरान ये साधु तपस्वी परंपराओं का पालन करते हुए अपने अखाड़ों में शामिल किए जाते हैं।

आध्यात्म और रोमांच का संगम
पर्यटन विभाग महाकुंभ 2025 को न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से बल्कि रोमांचक अनुभवों से भी समृद्ध बनाने की तैयारी कर रहा है। श्रद्धालु यहाँ अध्यात्म का आनंद लेने के साथ-साथ रोमांचक गतिविधियों में भी भाग ले सकेंगे। अरैल घाट पर वाटर स्पोर्ट्स और पैरासेलिंग का आयोजन किया जाएगा। जिससे पर्यटकों को गंगा और यमुना के संगम का आनंद रोमांचक अंदाज में लेने का अवसर मिलेगा। इसके अलावा क्रूज और विशेष बोट के माध्यम से पर्यटकों को शाम के समय का मनोहारी दृश्य देखने का भी मौका मिलेगा।

विशेष ध्यान और योग सत्र में ले सकेंगे भाग
महाकुंभ के दौरान आने वाले श्रद्धालु गंगा-यमुना के किनारे विशेष रूप से आयोजित ध्यान और योग सत्र में भाग ले सकेंगे। अरैल घाट पर योग प्रशिक्षकों के नेतृत्व में विशेष मेडिटेशन सत्र आयोजित किए जाएंगे। जिसमें पर्यटकों को आध्यात्मिक शांति और ध्यान का अनुभव करने का मौका मिलेगा। यह सत्र उन लोगों के लिए विशेष रूप से आकर्षक होंगे जो महाकुंभ के धार्मिक माहौल में अपने मन, शरीर और आत्मा को संतुलित करना चाहते हैं।

महाकुंभ 2025 दिव्यता और भव्यता का अनूठा संगम
महाकुंभ दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक आयोजन है और 2025 में होने वाला यह महाकुंभ पहले से भी अधिक दिव्य और भव्य होने वाला है। देश-विदेश से आने वाले लाखों श्रद्धालुओं के लिए स्नान, ध्यान और ठहरने की अत्यधिक बेहतरीन व्यवस्था की जा रही है। सरकार और पर्यटन विभाग इस आयोजन को ऐतिहासिक और अविस्मरणीय बनाने के लिए कई विशेष पैकेज तैयार कर रहा है। जिससे हर श्रद्धालु और पर्यटक को आध्यात्मिक अनुभव के साथ-साथ आरामदायक सुविधाओं का भी आनंद मिल सके। पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने कहा, “महाकुंभ 2025 को पहले से अधिक आकर्षक और दिव्य बनाने के लिए हम पूरी तैयारी कर रहे हैं। देश-दुनिया से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए बेहतरीन व्यवस्था की जा रही है और हम इस आयोजन को यादगार बनाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ेंगे।”

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