प्रयागराज महाकुंभ 2025 : 'शाही' और 'पेशवाई' शब्दों पर विवाद, अखाड़ा परिषद करेगा बदलाव

UPT | बीच में बैठे अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी

Sep 07, 2024 14:38

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद में संतों की सवारी को पेशवाई और कुंभ में संतों के स्नान को शाही स्नान कहा जाता है। लेकिन अखाड़ा परिषद ने ये निर्णय लिया है की पेशवाई और शाही उर्दू शब्द हैं...

Short Highlights
  • महाकुंभ 2025 को लेकर अखाड़ा परिषद का बड़ा फैसला
  • शाही और पेशवाई शब्दों के प्रयोग पर रोक
  • नए विकल्पों के लिए बैठक में रखा जाएगा प्रस्ताव
Prayagraj News : प्रयागराज में आगामी महाकुंभ को लेकर तैयारियां चल रही हैं। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद में संतों की सवारी को पेशवाई और कुंभ में संतों के स्नान को शाही स्नान कहा जाता है। लेकिन अखाड़ा परिषद ने ये निर्णय लिया है की पेशवाई और शाही उर्दू शब्द हैं। ऐसे में संतों ने महाकुंभ में इन शब्दों से परहेज करने का निर्णय लिया है।  

शाही और पेशवाई शब्दों का विकल्प ढूंढा जाएगा

दरअसल, मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव द्वारा उज्जैन में सावन के सोमवार को निकलने वाली शाही सवारी को राजसी सवारी कहे जाने के बाद से अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने इन शब्दों के प्रयोग के खिलाफ आवाज उठाई थी। संतों ने अब इन शब्दों से परहेज करने का निर्णय लिया है। आने वाले 2025 में महाकुंभ को देखते हुए अखाड़ा परिषद ने तय किया है वह शाही और पेशवाई शब्द का विकल्प तय करेगा। इसके लिए अखाड़ा परिषद की ओर से साधु संतों को पत्र भेजा जाएगा और उनकी संस्तुति मांगी जाएगी।


अकबर के काल से ही हो रहा इन शब्दों का प्रयोग जानकारी के अनुसार, मुगल बादशाह अकबर काल से ही पेशवाई और शाही शब्द का प्रयोग हो रहा है। बादशाह अकबर ने ही उस वक्त साधु संतों की सवारी को पेशवाई और उनके स्नान को शाही स्नान का दर्जा दिया था। लेकिन इस बार 2025 में महाकुंभ आने वाला है। इस बीच मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव द्वारा साधु संतों की शाही सवारी को राजसी सवारी कहे जाने का अखाड़ा परिषद ने स्वागत किया है। साथ ही अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने इन शब्दों को बदले जाने की बात कही है। 
बैठक में रखा जाएगा प्रस्ताव प्रयागराज में अखाड़ा परिषद की तरफ से इस संबंध में इसी माह में एक बैठक भी आयोजित की जा जानी है। बैठक में शाही व पेशवाई शब्द बदलने के लिए प्रस्ताव पास होगा। कहा जा रहा है कि परिषद की बैठक में संस्कृत और हिंदी के और भी अच्छे शब्द आते हैं तो उसे स्वीकार किया जाएगा।

इन संस्कृत के शब्दों का होगा प्रयोग
अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने कहा की निरंजनी अखाड़ा अपने यहां आने वाले संतों को पत्र लिखकर निर्देश दे रहा है कि महाकुंभ में शाही की जगह राजसी एवं पेशवाई की जगह छावनी प्रवेश जैसे शब्दों का प्रयोग किया जाए। जब अखाड़े मेला क्षेत्र में प्रवेश करते हैं तो उसे पेशवाई कहा जाता है। इसके अलावा मकर संक्रांति, मौनी अमावस्या और बसंत पंचमी के मौके पर जब अखाड़ों के संतों के साथ नागा साधु संगम स्नान के लिए जाते हैं तो उसे शाही स्नान कहा जाता है।

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