तीर्थराज प्रयागराज : श्रद्धालुओं के लिए योगी सरकार ने किए विशेष इंतजाम, पूर्वजों को मोक्ष दिलाने के लिए उमड़ रही भीड़

UPT | प्रयागराज देश की धार्मिक आस्था का केंद्र

Oct 23, 2024 17:17

महाकुंभ 2025 की तैयारियों में जुटी योगी सरकार ने प्रयागराज को देश की धार्मिक आस्था का केंद्र बनाने का संकल्प लिया है। संगम नगरी में श्रद्धालुओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है।

Short Highlights
  • संगम नगरी में तेजी से बढ़ रही श्रद्धालुओं की संख्या
  • पीढ़ियों को मोक्ष दिलाने के लिए प्रयागराज पहुंच रहे लोग
Prayagraj News : महाकुंभ 2025 की तैयारियों में जुटी योगी सरकार ने प्रयागराज को देश की धार्मिक आस्था का केंद्र बनाने का संकल्प लिया है। संगम नगरी में श्रद्धालुओं की संख्या तेजी से बढ़ रही है, खासकर उन लोगों की जो अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए यहां आ रहे हैं। इस बार, महाकुंभ से पहले ही अप्रवासी भारतीय अपने सात-सात पीढ़ियों को मोक्ष दिलाने के लिए प्रयागराज पहुंच रहे हैं।

श्रद्धालुओं की बढ़ रही संख्या
संगम घाट के पुरोहित पंडित महेंद्र नाथ शर्मा का कहना है कि श्रद्धालुओं का आना अचानक बढ़ गया है। बड़ी संख्या में लोग कर्मकांड कराने और अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए यहां आ रहे हैं। प्रयागराज के घाट पर मौजूद पुरोहित उन्हें आवश्यक जानकारी और सेवाएं प्रदान कर रहे हैं, जिससे उनकी आस्था को और बल मिल रहा है।


विकास कार्यों से श्रद्धालुओं में उत्साह
योगी सरकार द्वारा चल रहे विकास कार्यों ने स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं में उत्साह भर दिया है। प्रयागराज के प्रसिद्ध प्रयागवाल सुब्रह्मण्यम शास्त्री उर्फ चारी जी ने बताया कि नवनिर्माण की गतिविधियों को देखकर लोग उत्साहित हैं। घाट पर ब्राह्मण, पुरोहित और पंडा के पास आने वाले लोगों की लंबी कतारें लगने लगी हैं।

देश के कोने-कोने से आ रहे श्रद्धालु 
महाकुंभ के लिए श्रद्धालुओं का आना केवल उत्तर प्रदेश से ही नहीं, बल्कि पूरे देश से हो रहा है। आंध्र प्रदेश, केरल, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, राजस्थान और कई अन्य राज्यों से हजारों लोग प्रयागराज आ रहे हैं। इसके साथ ही, अमेरिका, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और रूस में रहने वाले भारतीय भी मां गंगा को प्रणाम करने के लिए संगम की ओर बढ़ रहे हैं।

प्रयागराज का ऐतिहासिक महत्व
संगम के तट पर धार्मिक कार्यों के प्रबंधन के लिए टीम वर्क का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। पंकज पांडे बताते हैं कि श्रद्धालु अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए अनुष्ठान करते हैं और ब्राह्मणों को दान देकर रोजगार के अवसर भी प्रदान करते हैं। ऐतिहासिक मान्यता के अनुसार, राजा भगीरथ की तपस्या से ही गंगा का अवतरण हुआ था, और इसी कारण संगम नगरी का धार्मिक महत्व और भी बढ़ गया है।

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