रावण का पुतला जलकर राख : प्रभु श्री राम ने किया अहंकारी का वध, राम भक्तों ने मनाया असत्य पर सत्य की ऐतिहासिक जीत का जश्न

UPT | प्रतापगढ़ में श्री रामलीला समिति की ओर से आयोजित विजयदशमी पर्व पर कलाकारों का तिलक लगाकर स्वागत करते अतिथि।

Oct 13, 2024 17:25

प्रतापगढ़ में विजयदशमी का पर्व बहुत भव्य और ऐतिहासिक रहा। शाम 4 बजे प्रभु श्री राम अपनी सेना के साथ गोपाल मंदिर से निकले और दूसरी ओर रावण का रथ भी अपनी सेना के साथ पंजाबी मार्केट से निकलकर रामलीला मैदान पहुंचा। दोनों सेनाओं के बीच हाइड्रोलिक मंच पर भव्य युद्ध का मंचन हुआ।

Pratapgarh News : प्रतापगढ़ में श्री रामलीला समिति की ओर से आयोजित विजयदशमी का पर्व इस वर्ष भी बहुत भव्य और ऐतिहासिक रहा। यह त्योहार रामलीला समिति की मेहनत और समर्पण से हर वर्ष खास होता है, लेकिन इस बार इसे और अधिक आकर्षक बनाने के लिए विशेष तैयारियां की गईं। विजयदशमी पर जहां एक ओर प्रभु श्री राम ने अहंकारी रावण का वध किया, वहीं हजारों राम भक्तों ने जयकारे लगाकर असत्य पर सत्य की इस ऐतिहासिक जीत का जश्न मनाया। 


श्री राम और रावण की भव्य शोभायात्रा
शाम 4 बजे के करीब प्रभु श्री राम अपनी सेना के साथ गोपाल मंदिर से निकले और भरत चौक होते हुए रामलीला मैदान पहुंचे। मैदान की ओर जाते समय रास्ते भर भक्तों की भारी भीड़ जमा थी, जो इस ऐतिहासिक शोभायात्रा को देखने के लिए उमड़ पड़ी। दूसरी ओर, रावण का रथ भी अपनी सेना के साथ पंजाबी मार्केट से निकलकर रामलीला मैदान पहुंचा। दोनों सेनाओं के बीच हाइड्रोलिक मंच पर भव्य युद्ध का मंचन हुआ, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। यह युद्ध करीब घंटों तक चला, जिसमें प्रभु श्री राम ने अपने पराक्रम से अहंकारी रावण का वध कर दिया। जैसे ही रावण का वध हुआ, उसके 60 फीट ऊंचे पुतले को जलाया गया, जो कि बुराई के अंत और अच्छाई की जीत का प्रतीक था।

आतिशबाजी और जयकारों से गूंज उठा रामलीला मैदान
रावण के पुतले के दहन के साथ ही आतिशबाजी का कार्यक्रम शुरू हुआ, जिसने आकाश को रंग-बिरंगे प्रकाश से भर दिया। इस दौरान, उपस्थित राम भक्तों ने जोर-जोर से "जय श्री राम" के जयकारे लगाए और पूरे वातावरण को भक्तिमय बना दिया। इस उत्सव में 50,000 से अधिक लोग उपस्थित थे, जो रात तक इस भव्य कार्यक्रम का आनंद लेते रहे।

मुख्य अतिथियों का सम्मान और आरती
इस विशेष अवसर पर कई प्रमुख अतिथियों ने कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। पूर्व सांसद राजकुमारी रत्ना सिंह, भाजपा जिला अध्यक्ष आशीष श्रीवास्तव, सदर विधायक राजेंद्र मौर्य, जिलाधिकारी संजीव रंजन, पुलिस अधीक्षक डॉ. अनिल कुमार, अपर पुलिस अधीक्षक दुर्गेश कुमार सिंह, और एडीएम त्रिभुवन विश्वकर्मा आदि ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। सभी अतिथियों को श्री रामलीला समिति द्वारा प्रतीक चिन्ह और अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया गया। समिति के संरक्षक रोशनलाल उमरवैश्य, अध्यक्ष संजय खंडेलवाल, और संयोजक दिनेश सिंह दिन्नू ने इन अतिथियों का स्वागत किया।

रावण के वध के बाद सभी अतिथियों और रामलीला समिति के पदाधिकारियों ने प्रभु श्री राम, माता सीता, लक्ष्मण और हनुमान जी की आरती उतारी। आरती के बाद विजय रथ रामलीला मैदान से भरत चौक होते हुए लक्ष्मी नारायण मंदिर पहुंचा, जहां पर प्रभु श्री राम की पूजा-अर्चना और आरती की गई। इसके बाद विजय रथ पुनः चिलबिला स्थित हनुमान मंदिर पहुंचा, जहां से नगर भ्रमण करते हुए रामलीला समिति का यह विजय रथ गोपाल मंदिर पर आकर संपन्न हुआ।

मेले का आयोजन और राम भक्तों का उत्साह
विजयदशमी के अवसर पर रामलीला समिति ने मेले का भी आयोजन किया था। इस मेले में भारी भीड़ उमड़ी और लोग झूलों, दुकानों और विभिन्न स्टालों का आनंद लेते रहे। 50,000 से अधिक लोगों की भीड़ के बावजूद, जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे, जिससे यह पूरा आयोजन बहुत ही सफल और शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न हुआ। रामलीला समिति ने जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के साथ-साथ उपस्थित राम भक्तों का धन्यवाद व्यक्त किया।

कार्यक्रम की सफलता में प्रशासन और आयोजन समिति का सहयोग
इस भव्य आयोजन को सफल बनाने के लिए श्री रामलीला समिति के कई सदस्य और अधिकारी दिन-रात जुटे रहे। मेला प्रभारी नितिन शर्मा गंगू, तेजस गुप्ता, भारत सोनी, अरुण तिवारी, और प्रियांशु गौड़ ने पूरे आयोजन को व्यवस्थित और सफल बनाने में अहम भूमिका निभाई। इनके नेतृत्व में राम भक्तों ने रावण की पूजा की और मेले को भव्य बनाने में अपना सहयोग दिया।

कार्यक्रम में मौजूद प्रमुख अतिथियों में भाजपा जिला अध्यक्ष आशीष श्रीवास्तव, डीएम संजीव रंजन, पुलिस अधीक्षक डॉ. अनिल कुमार, और विधायक राजेंद्र मौर्य के साथ-साथ अन्य प्रशासनिक अधिकारी भी उपस्थित रहे। इनके साथ रामलीला समिति के कई पदाधिकारी और सदस्य जैसे आलोक गर्ग, सौरभ पांडे, और संतोष गुप्ता आदि भी मौजूद थे, जिन्होंने कार्यक्रम की व्यवस्था में योगदान दिया। 

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