Muzaffarnagar News: मुजफ्फरनगर में है 350 साल पुरानी राम निधि, राम टका, पुरानी पाण्डुलिपियों का संग्रह संभाले हैं भूपेंद्र 

Uttar Pradesh Times | 350 वर्ष पूर्व लिखी पाण्डुलिपियां

Jan 21, 2024 15:27

मुजफ्फरनगर के एक ज्योतिषाचार्य के पास धार्मिक इतिहास का खजाना है। राम मंदिर निर्माण के आंदोलन में अपना अहम योगदान देने वाले जनपद के ज्योतिषाचार्य भूपेंद्र के पास 350 साल पुरानी राम निधि, राम टका और पाण्डुलिपियां हैं।

Short Highlights
  • ज्योतिषाचार्य भूपेन्द्र दत्त शर्मा के पुस्तकालय में विराजमान है रामचरित मानस की पांच हस्तलिखित प्रतिलिपियां
  • गोस्वामी तुलसीदास की अन्य रचनाओं में गीतावली, रामाज्ञा प्रश्न, हनुमान भाव, कवितावली भी विराजमान हैं
Muzaffarnagar News (राकेश शर्मा ) : अयोध्या धाम में भगवान श्रीराम का मंदिर तैयार है, वहां 22 जनवरी को श्री रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होने जा रही है, इसके साथ ही पूरे देश में आस्था, उल्लास और हर्ष का वातावरण बना हुआ है। हर जगह राम के आने का जश्न है, तो कहीं अयोध्या के आंदोलन के इतिहास को नई करवट और ताजगी के साथ पेश किया जा रहा है। ऐसे में अयोध्या राम मंदिर निर्माण के आंदोलन में अपना अहम योगदान देने वाले जनपद मुजफ्फरनगर के एक ज्योतिषाचार्य भी धार्मिक इतिहास का एक पूरा खजाना ही अपने यहां समेटे हुए हैं। करीब 350 साल पुरानी राम निधि, राम टका और पुरानी पाण्डुलिपियों के इस जखीरे को संग्रहित, संरक्षित और सुरक्षित रखने वाले ज्योतिषाचार्य पंडित भूपेन्द्र दत्त शर्मा से यूपी टाइम्स के मुख्य संवादाता राकेश शर्मा ने संवाद किया, तो उन्होंने बरसों बरस पूर्व लिखी गई पाण्डुलिपियों के साथ अनेक धार्मिक पुस्तकों का संग्रह खोलकर रख दिया। 

संस्कृत, राजस्थानी, गुरुमुखी, गढ़वाली, अरबी व फारसी में  ग्रंथ
शहर के मोहल्ला नराबांस में रहने वाले ज्योतिषाचार्य भूपेन्द्र दत्त शर्मा का दावा है कि उनके पास 350 वर्ष पूर्व लिखी पाण्डुलिपियों का प्राचीनतम और अद्भुत संग्रह आज भी सुरक्षित है। यह उनके पास पीढ़ियों की धरोहर के रूप में संरक्षित है। उनके पास उपलब्ध इन ग्रंथों में गन्धर्वराज पुष्पदंत विरचित सचित्र शिवमहिम स्तोत्र है, जोकि 250 वर्ष प्राचीन है। महागणपति सहस्रनाम 322 वर्ष प्राचीन है, ज्वाला नृसिंह पंचांग 150 वर्ष प्राचीन रुद्रयामलोक्त है। गोस्वामी तुलसीदास विराचित श्रीराम चरित मानस का उत्तर, बालथ किष्किन्धा कांड लगभग 200 वर्ष प्राचीन, योनि तंत्र 342 वर्ष प्राचीन, शरभ यन्त्रार्चन पद्धति, शरभ कवच, शरभ मन्त्रोद्वार 350 वर्ष प्राचीन है। चीर भद्रोइडीश यंत्र, द्वीर गोपाल कवच, शिव नृत्य तंत्र, त्रिशक्ति रज तंत्र, श्री मंत्र पूजन का आधार स्वच्छन्द पद्धति दुर्गा सप्तशती असंख्य प्राचनी प्रतियां व उनकी टीका गुप्तवती प्रमुख हैं। इनके अलावा अनेकों दुष्प्राप्य, दुर्लभ तंत्र ज्योतिष, आयुर्वेद, काव्य एवं पुराण, गीता-महाभारत, कामशास्त्र इत्यादि हैं। ये ग्रंथ हिन्दी भाषा के अलावा संस्कृत, राजस्थानी, गुरूमुखी, गढ़वाली, अरबी व फारसी में भी लिखे हुए हैं।

 रामचरित मानस की पांच हस्तलिखित प्रतिलिपियां उपलब्ध 
भूपेन्द्र दत्त शर्मा ने बताया कि उनके यहां लगभग 300 प्राचीन हस्तलिखित ग्रंथों का संग्रह है। शर्मा के पास ये सभी ग्रंथ पूर्वजों के दिए हुए हैं। उनके बाबा चमन लाल शर्मा व पिताजी पंडित रामेश्वर दत्त शर्मा भी इन्हीं ग्रंथों का अध्ययन करते थे। शर्मा जी 10 वर्ष की आयु से ही इन प्राचीन ग्रंथों का अध्ययन कर रहे हैं। गोस्वामी तुलसीदास की रचनाओं में रामचरित मानस की पांच हस्तलिखित प्रतिलिपियां उनके पास पुस्तकालय में उपलब्ध हैं। इसके अलावा उनके पुस्तकालय के शिक्षण खजाने में अध्यात्म रामायण, वाल्मीकि रामायण और भावार्थ रामायण के साथ ही उनके पास गोस्वामी तुलसीदास की अन्य रचनाओं में गीतावली, रामाज्ञा प्रश्न, हनुमान भाव, कवितावली भी विराजमान हैं। इसके अतिरिक्त भगवान राम से संबंधित स्रोत भगवति जानकी सहस्रनाम, राम सहस्रनाम, रामचंद्र पद्धति की असंख्य पाण्डुलिपियां भी उनके पास संरक्षित, सुरक्षित और संग्रहित हैं और इनका शोध कार्य में उपयोग भी किया जा रहा है। 

शिव-पार्वती का 100 वर्ष पुराना स्वर्ण स्याही का चित्र
उन्होंने बताया कि इस धार्मिक सामग्री को वो शोधार्थियों को भी उपलब्ध कराते हैं, जिससे शोध के विषय में विद्यार्थियों को अनेक प्रकार के लाभ प्राप्त होते हैं। 340 वर्ष पुराने बीस तरह के राम टका भी उनके पास संग्रहित हैं। उनका कहना है कि कभी उनके पास भृगु संहिता नाम का एक अति विशाल ग्रंथ था, जिसे एक शोधार्थी शोध कार्य के लिए अपने साथ ले गये थे। उनके पास श्री कृष्ण व शिव-पार्वती का 100 वर्ष पुराना ऐसा चित्र भी है, जिसे बनाने में कलाकारों के द्वारा स्वर्ण स्याही का प्रयोग किया गया। भूपेन्द्र शर्मा ने बताया कि उन्होंने अयोध्या में भगवान श्रीराम के आगमन के दृष्टिगत इस प्राचीनतम संग्रह को भक्तों के दर्शन के लिए खोला है।

Also Read