नकली मावा बनाने में प्रयोग करते थे केमिकल : कोर्ट ने 3 को 7 साल की सुनाई सजा, 15 साल बाद आया फैसला

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Aug 01, 2024 16:38

उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिला न्यायालय ने नकली मावा बनाने के गंभीर अपराध में तीन आरोपियों को सात-सात साल की सजा सुनाई है। यह मामला 2009 का है, जिसमें अब 15 साल बाद...

Muzaffarnagar News : उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर जिला न्यायालय ने नकली मावा बनाने के गंभीर अपराध में तीन आरोपियों को सात-सात साल की सजा सुनाई है। यह मामला 2009 का है, जिसमें अब 15 साल बाद कोर्ट ने फैसला सुनाया है। 31 जुलाई 2009 को शाहपुर थाना क्षेत्र के गांव काकड़ा में खाद्य निरीक्षक वीके राठी ने पुलिस टीम के साथ एक छापेमारी की। इस छापेमारी के दौरान पुलिस ने काकड़ा निवासी रहीसू के मकान में नकली सिथेंटिक मावा बनाने की फैक्ट्री का खुलासा किया। रहीसू के साथ उसके भाई हासिम और नौकर तोतला उर्फ कवलदीन, जो भोपाल पट्टी, थाना दोघट, जिला बागपत के निवासी थे। ये सभी लोग इस अपराध में शामिल थे। 

छापेमारी में मिला नकली मावा
पुलिस टीम ने मौके से भारी मात्रा में नकली मावा और इसके निर्माण में उपयोग किए जा रहे प्रतिबंधित केमिकल बरामद किए। ये केमिकल चमड़े और पेपर उद्योग में उपयोग किए जाते हैं और मानव स्वास्थ्य के लिए अत्यंत हानिकारक होते हैं। इस मावे का परीक्षण लखनऊ लैब में किया गया, जहां रिपोर्ट में पुष्टि की गई कि इसका निर्माण प्रतिबंधित केमिकल से किया गया था।

सात-सात साल की सुनाई सजा
शाहपुर थाना में आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई गई। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। मामले की सुनवाई एडीजे प्रथम गोपाल उपाध्याय की कोर्ट में हुई। कोर्ट ने सभी तीन आरोपियों को दोषी मानते हुए उन्हें सात-सात साल की सजा और प्रत्येक पर 5000 रुपए का अर्थदंड लगाया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि नकली मावा मानव जीवन के लिए जानलेवा था।

धधक रही थीं मावा बनाने की भट्ठियां
जब पुलिस गांव काकड़ा में छापेमारी करने पहुंची, तो वहाँ नकली मावा बनाने की भट्ठियां धधक रही थीं। खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के अधिकारियों ने पुलिस की सहायता से दो सगे भाइयों सहित तीन लोगों को हिरासत में लिया। मौके से एक कुंतल से अधिक नकली मावा बरामद किया गया। रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि स्किम्ड मिल्क पाउडर और कुछ प्रतिबंधित केमिकल का उपयोग कर नकली मावा तैयार किया जा रहा था।

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