आईआईटी-BHU का बड़ा इनोवेशन : 3D नैनो फाइबर से टूटे-सड़े दांतों को मिला जीवनदान, टेक्नेक्स-24 में मिला पहला स्थान

UPT | बीएचयू

Nov 04, 2024 13:27

आईआईटी-बीएचयू के एक प्रमुख रिसर्चर डॉ. अखिलेश कुमार यादव ने दांतों की सेहत को बनाए रखने के लिए एक अद्वितीय 3डी नैनो फाइबर विकसित किया है। यह नैनो फाइबर दांतों को सड़ने या टूटने..

Varanasi News : आईआईटी-बीएचयू के एक प्रमुख रिसर्चर डॉ. अखिलेश कुमार यादव ने दांतों की सेहत को बनाए रखने के लिए एक अद्वितीय 3डी नैनो फाइबर विकसित किया है। यह नैनो फाइबर दांतों को सड़ने या टूटने से बचाने में बेहद प्रभावी साबित हुआ है। इस नये तकनीकी समाधान का परीक्षण बीएचयू के डेंटल अस्पताल में 36 मरीजों पर किया गया। जहाँ इसे मरीजों के मसूड़ों में लगाया गया। इस शोध के दौरान 6 से 12 महीने तक की स्टडी में यह देखा गया कि जिन दांतों में सड़न या टूटने के लक्षण थे, वे सभी मरीज इस नैनो फाइबर के उपचार के बाद फिर से मजबूत हो गए। यह शोध इस क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम है, खासकर इसलिए क्योंकि भारत में पहली बार नैनो बायो एक्टिव ग्लास से बने नैनो फाइबर का उपयोग किया गया है।

टेक्नेक्स-24 में अव्‍वल
डॉ. अखिलेश की इस खोज को संस्थान के टेक्नोलॉजी एग्जीबिशन मंच टेक्नेक्स-24 में पहले स्थान से सम्मानित किया गया। उन्होंने हाल ही में मटेरियल साइंस में अपनी पीएचडी पूरी की है। उनकी इस रिसर्च का पेटेंट अभी फाइल नहीं किया गया है, लेकिन डॉ. अखिलेश का कहना है कि वह इसे जल्द ही कराएंगे।

एंडोडॉन्टिक टिशू रिजनरेशन
इस 3डी नैनो फाइबर को खराब हो रहे दांतों के नीचे मसूड़ों में लगाया जाता है। वैज्ञानिक रूप से इसे "एंडोडॉन्टिक टिशू रिजनरेशन टूल" के रूप में जाना जाता है। इस प्रक्रिया के माध्यम से दांतों के बीच रूट कैनाल का आकार बढ़ता है, जिससे दांतों की मजबूती में सुधार होता है। डॉ. अखिलेश के इस अनुसंधान ने दंत चिकित्सा में एक नई दिशा प्रदान की है और यह उम्मीद की जा रही है कि यह तकनीक दांतों की सुरक्षा में एक क्रांतिकारी बदलाव लाएगी।

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