यूपी-बिहार समेत कई राज्यों में ईडी का एक्शन : झुनझुनवाला समूह की 814 करोड़ रुपये की संपत्तियां जब्त, जानिए पूरा मामला

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Aug 01, 2024 14:04

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के लखनऊ जोन कार्यालय ने बुधवार को महत्वपूर्ण कार्रवाई करते हुए जेवीएल एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड और झुनझुनवाला समूह की अन्य कंपनियों की 814 करोड़ रुपये...

Varanasi News : प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के लखनऊ जोन कार्यालय ने बुधवार को महत्वपूर्ण कार्रवाई करते हुए जेवीएल एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड और झुनझुनवाला समूह की अन्य कंपनियों की 814 करोड़ रुपये की संपत्तियों को अस्थाई तौर पर जब्त कर लिया। यह कार्रवाई धन शोधन निवारण अधिनियम 2002 के प्रावधानों के तहत की गई है। ईडी द्वारा कुर्क की गई संपत्तियां 521 एकड़ भूमि के रूप में हैं। जो उत्तर प्रदेश के वाराणसी, बिहार के रोहतास, नई दिल्ली के पालम और महाराष्ट्र के रायगढ़ में स्थित हैं। ये भूमि जेवीएल इंफ्रा हाइट्स लिमिटेड, जेवीएल मेगा फूड पार्क प्राइवेट लिमिटेड, जेवीएल सीमेंट लिमिटेड और प्रीमियम प्रेशर वेसल्स प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर पंजीकृत हैं। इन कंपनियों के प्रमोटर सत्य नारायण झुनझुनवाला और आदर्श झुनझुनवाला हैं। ईडी की यह कार्रवाई वित्तीय अनियमितताओं और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के मद्देनजर की गई है।

जेवीएल एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड के खिलाफ कार्रवाई
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आईपीसी और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की विभिन्न धाराओं के तहत किए गए अपराधों की जांच शुरू की है। यह जांच सीबीआई लखनऊ द्वारा दर्ज एफआईआर के आधार पर की जा रही है, जिसमें जेवीएल एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड और अन्य के खिलाफ आरोप लगाए गए हैं। जांच में यह सामने आया है कि जेवीएल एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड की इकाइयां उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और पश्चिम बंगाल में स्थित हैं। ये इकाइयां विभिन्न प्रकार के खाद्य तेलों के निर्माण और व्यापार में संलग्न हैं। कंपनी ने विदेशी सहायक कंपनी जेवीएल ओवरसीज पीटीई के माध्यम से सिंगापुर और मलेशिया जैसे देशों से कच्चा तेल और अन्य कच्चा माल आयात किया है।

वित्तीय हेरफेर और लोन की हेराफेरी
जांच के दौरान यह भी खुलासा हुआ है कि जेवीएल एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड ने बैंकों से लोन प्राप्त करने के लिए अपने वित्तीय विवरणों में हेरफेर और बढ़ा-चढ़ाकर पेश किए गए आंकड़े प्रस्तुत किए। इस लोन का उपयोग विभिन्न समूह संस्थाओं के माध्यम से किया गया, जिससे यह मामला गंभीर बन गया है। ईडी की जांच इस बात पर केंद्रित है कि कंपनी ने किस प्रकार से वित्तीय विवरणों में हेरफेर किया और लोन के इस्तेमाल में अनियमितताएं की। यह मामला न केवल आर्थिक अपराधों को उजागर करता है, बल्कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों के साथ धोखाधड़ी की संभावनाओं को भी दर्शाता है। जांच के परिणाम आने के बाद इस मामले में आगे की कार्रवाई की जाएगी।

1992 करोड़ रुपये का हुआ नुकसान
प्रमोटर सत्य नारायण झुनझुनवाला के नेतृत्व में जेवीएल एग्रो इंडस्ट्रीज लिमिटेड में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताओं की जांच सामने आई है। झुनझुनवाला ने इस कंपनी के फंड को स्थानांतरित करने के लिए विभिन्न कागजी संस्थाओं का अधिग्रहण किया। इन कागजी संस्थाओं को जेवीएल एग्रो समूह की कंपनियों के रूप में स्थापित किया गया और इसके बाद लगभग पूरे शेयर इन संस्थाओं में स्थानांतरित कर दिए गए। सत्य नारायण झुनझुनवाला ने दो प्रमुख ट्रस्टों—महालक्ष्मी इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट और रत्नप्रिया इन्वेस्टमेंट ट्रस्ट—को भी पंजीकृत किया। ये दोनों ट्रस्ट उनके पूर्ण नियंत्रण में हैं। इन ट्रस्टों के माध्यम से झुनझुनवाला ने लगभग सभी कागजी संस्थाओं के शेयर ट्रांसफर कर दिए। इस वित्तीय अनुशासनहीनता के परिणामस्वरूप बैंक ऑफ बड़ौदा के नेतृत्व में बैंकों के संघ को भारी नुकसान हुआ है, जिसकी कुल राशि लगभग 1992 करोड़ रुपये के आसपास आंकी गई है। इस गंभीर वित्तीय संकट ने बैंकों और अन्य संबंधित संस्थाओं को आर्थिक रूप से क्षति पहुंचाई है। मामले की गहराई से जांच की गई है और इसके अंतर्गत 21 जून को ईडक्ष ने जेवीएल एग्रो समूह की कंपनियों, सत्य नारायण झुनझुनवाला, उनके परिवार के सदस्यों और करीबी सहयोगियों के 12 परिसरों पर छापेमारी की। इस छापेमारी के दौरान धन के हेरफेर से संबंधित कई आपत्तिजनक दस्तावेज और रिकॉर्ड बरामद हुए थे।

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