फैजाबाद रेप और हत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला : दोषी को नाबालिग करार देते हुए उम्रकैद की सजा रद्द, रिहाई का आदेश

दोषी को नाबालिग करार देते हुए उम्रकैद की सजा रद्द, रिहाई का आदेश
UPT | सुप्रीम कोर्ट का फैसला।

Jan 03, 2025 14:02

सुप्रीम कोर्ट ने फैजाबाद रेप और हत्या मामले में अहम फैसला सुनाते हुए दोषी को नाबालिग करार दिया और उसकी उम्रकैद की सजा रद्द कर दी। अदालत ने आरोपी की उम्र की सही जांच के बाद उसे किशोर मानते हुए रिहाई का आदेश दिया। यह निर्णय किशोर न्याय अधिनियम के तहत लिया गया, जिससे इस मामले में एक नया मोड़ आया।

Jan 03, 2025 14:02

Ayodhya News : सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक महत्वपूर्ण आदेश देते हुए 2013 के फैजाबाद में 10 वर्षीय बच्ची से रेप और हत्या के मामले में दोषी को रिहा करने का आदेश दिया। कोर्ट ने यह निर्णय एक रिपोर्ट को स्वीकार करने के बाद लिया, जिसमें कहा गया था कि इस अपराध के समय आरोपी नाबालिग था। सुप्रीम कोर्ट की पीठ में प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार शामिल थे। इस फैसले में इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा दिए गए आजीवन कारावास के फैसले को रद्द कर दिया गया।

यह था मामला
2013 में फैजाबाद जिले में एक 10 वर्षीय बच्ची के साथ रेप और हत्या की वारदात ने पूरे राज्य को हिलाकर रख दिया था। इस मामले में 17 मई 2018 को निचली अदालत ने दोषी को मौत की सजा सुनाई थी। इसके बाद, इस फैसले को दंड प्रक्रिया संहिता के तहत इलाहाबाद हाई कोर्ट में भेजा गया था, जहां लखनऊ पीठ ने मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था। इसके बाद, आरोपी की उम्र को लेकर सवाल उठाए गए थे, जिससे इस मामले में एक नया मोड़ आया।

किशोर न्याय बोर्ड की रिपोर्ट
इस मामले में किशोर न्याय बोर्ड द्वारा आरोपी की उम्र का सत्यापन करने के लिए एक रिपोर्ट तैयार की गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपीलों पर विचार करते हुए फैजाबाद स्थित किशोर न्याय बोर्ड से इस रिपोर्ट को पेश करने को कहा था। कोर्ट ने रिपोर्ट में दिए गए तथ्यों का अवलोकन किया, जिसमें यह बताया गया था कि आरोपी का जन्म 5 जुलाई 1995 को हुआ था और अपराध के दिन यानी 1 जनवरी 2013 को उसकी उम्र 18 साल से कम थी। 

रिपोर्ट का अवलोकन और फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को इस रिपोर्ट का अध्ययन किया और यह पाया कि रिपोर्ट में दिए गए तथ्यों के आधार पर यह साबित होता है कि आरोपी उस समय नाबालिग था। कोर्ट ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश राज्य के वकील ने किशोर न्याय बोर्ड की रिपोर्ट का विरोध नहीं किया है। इसके साथ ही, कोर्ट ने रिपोर्ट और उसमें दिए गए कारणों की भी जांच की और पाया कि इसमें कोई वैध कारण नहीं है जो इसके विपरीत हो। पीठ ने यह स्पष्ट किया कि मामले में आरोपी को किशोर के रूप में माना जाएगा और इस आधार पर उसे रिहा करने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस रिपोर्ट को सही मानते हुए आरोपी के अपराध की घटना के समय उसे किशोर माना जाएगा।

किशोर न्याय अधिनियम के तहत आरोपी को किशोर माना गया
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी स्पष्ट किया कि रिपोर्ट के निष्कर्षों और न्यायिक प्रक्रिया का पालन करते हुए कोई और दृष्टिकोण अपनाने का कोई आधार नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि किशोर न्याय अधिनियम के तहत आरोपी को किशोर माना गया है और उसे न्यायिक प्रक्रिया के अनुसार राहत दी जाएगी। 

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