जब मेनका गांधी ने देखा कि उम्र कम होने के कारण वो चुनाव नहीं लड़ पाएंगी तो उन्होंने प्रधानमंत्री और अपनी सास इंदिरा गांधी के सामने इस बात की पेशकश की कि चुनाव लड़ने की उम्र में या वो कुछ ऐसा बदलाव करें जिससे वो चुनाव लड़ने के लिए योग्य हो जाएं। लेकिन इंदिरा गांधी ने...
जब पहली बार मेनका अमेठी से लड़ना चाहती थी चुनाव : प्रत्याशी बनने की नहीं थी उम्र, पीएम इंदिरा गांधी से कानून में बदलाव करने की उठाई थी मांग
May 17, 2024 16:08
May 17, 2024 16:08
- 23 जून 1980 को एक प्लेन हादसे में संजय गांधी की मौत हो गई।
- उम्र कम होने के कारण 1981 में हुए उपचुनाव में मेनका गांधी चुनाव नहीं लड़ पाईं।
अमेठी सांसद संजय की हुई मौत
संजय की मौत के बाद अमेठी लोकसभा सीट खाली हो गई थी। 6 महीने के अंदर इस सीट पर चुनाव होने थे। कांग्रेस में इस सीट से किसे उतारा जाएं इस बात पर मंथन चल रहा था। मेनका गांधी जो अपना पति खो चुकी थीं, उन्होंने इच्छा जताई कि वो अमेठी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ना चाहती हैं। मेनका नहीं चाहती थी कि उनके पति की सीट पर कोई और कांग्रेस से चुनाव लड़े। लेकिन उनके लड़ने में पेंच यह फंस रहा था कि उनकी उम्र 25 साल तब तक नहीं हुई थी। इसलिए वो चुनाव नहीं लड़ पाती। लेकिन मेनका गांधी इस जिद पर अड़ गई थी कि उनके पति के सीट से और कोई चुनाव ना लड़ पाएं।
चुनाव उम्र में बदलाव की मांग
मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो जब मेनका गांधी ने देखा कि उम्र कम होने के कारण वो चुनाव नहीं लड़ पाएंगी तो उन्होंने प्रधानमंत्री और अपनी सास इंदिरा गांधी के सामने इस बात की पेशकश की कि चुनाव लड़ने की उम्र में या वो कुछ ऐसा बदलाव करें जिससे वो चुनाव लड़ने के लिए योग्य हो जाएं। लेकिन इंदिरा गांधी ने इस बात को सिरे से नकार दिया। जिसके बाद मेनका अमेठी से उपचुनाव नहीं लड़ पाई। इसलिए इस उपचुनाव में राजनीति में नए आए राजीव गांधी ने चुनाव लड़ा और अमेठी से सांसद चुने गए।
मेनका ने पहली बार अमेठी से लड़ा चुनाव
1981 में हुए उपचुनाव में मेनका चुनाव नहीं लड़ पाई। लेकिन वो सक्रिय राजनीति में आ गई थी। वो लगातार लखनऊ, दिल्ली और अमेठी पर अपनी नजर बनाई हुई थीं। फिर आता है साल 1984। 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या कर दी जाती है। जिसके बाद राजीव गांधी सरकार की बागडोर अपने हाथ में ले लेते हैं। इंदिरा गांधी की मौत के बाद देशभर में आम चुनाव होते हैं। इस चुनाव में राजीव गांधी फिर से अमेठी से मैदान में होते हैं। इधर मेनका गांधी, संजय गांधी के करीबी रहे अकबर अहमद के साथ राष्ट्रीय संजय मंच की स्थापना करती हैं और अमेठी लोकसभा क्षेत्र से नामांकन दाखिल कर देती हैं। इस चुनाव में एक तरफ राजीव गांधी तो दूसरी तरफ संजय गांधी की पत्नी मेनका गांधी थीं। दोनों के बीच जमकर चुनावी प्रचार हुए। ऐसा बतलाया जाता है कि इस चुनाव में कई बार राजीव गांधी के समर्थक मेनका गांधी पर भद्दी टिपण्णी भी करते हैं, लेकिन जब राजीव को इस बात की भनक लगती है तो तुरंत इसे बंद करवाने का आदेश दिया जाता है। इस चुनाव में इंदिरा गांधी की मौत के बाद राजीव गांधी सहानुभूति लहर पर सवार थे। इस चुनाव में उन्होंने मेनका गांधी को तकरीबन 3 लाख 14 हजार 878 मतों से हरा दिया। इस चुनाव के बाद मेनका गांधी ने कभी भी अमेठी से चुनाव नहीं लड़ा। 1989 के चुनाव में मेनका गांधी ने जनता दल के बैनर तले चुनाव लड़ा। इस चुनाव में उन्हें जीत मिली और पहली बार वो संसद पहुंची।
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