पतित पावनी मां सरयू के तट पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा का समापन शुक्रवार को हवन पूजन के साथ देर शाम समापन हो गया...
Ayodhya News : स्वामी राघवाचार्य महाराज ने समझाया- संजीवनी है भागवत कथा, कम से कम एक बार अवश्य सुनें
Oct 12, 2024 00:42
Oct 12, 2024 00:42
- रामकथा पार्क में चल रही श्रीमद्भागवत कथा हवन पूजन के साथ संपन्न
- सरयू तट पर हजारों भक्तों ने किया कथा का रसपान, आयोजक ने जताया आभार
Ayodhya News : पतित पावनी मां सरयू के तट पर चल रही श्रीमद्भागवत कथा का समापन शुक्रवार को हवन पूजन के साथ देर शाम समापन हो गया। कथा व्यास ने अंतिम दिन व्यास पीठ से उपस्थित श्रद्धालुओं को समझते हुए कहा कि श्रीमद्भागवत कथा हर मनुष्य को अपने जीवनकाल में कम से कम एक बार अवश्य सुननी चाहिए। किन्हीं कारणों या अभावो के चलते जो लोग श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन नहीं कर सकते उन जीव का भी केवल भागवत कथा सुनने मात्र से ही कल्याण हो जाता है।
कथा के उपलक्ष्य में वृहद भण्डारे का शनिवार को आयोजन
तीन कलश तिवारी मंदिर की ओर से आयोजित नौ दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा का समापन हवन पूजन के साथ हुआ। भंडारे का आयोजन शनिवार को किया गया है। शिवेश्वरपति त्रिपाठी, श्रीशपति त्रिपाठी और महापौर महंत गिरीशपति त्रिपाठी ने तिवारी मंदिर में सपरिवार हवन-पूजन किया। कथा व्यास ने आयोजक परिवार को आशीर्वाद दिया। कहा कि आयोजक परिवार द्वारा पतित पावनी सरयू के तट पर श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन हुआ जहां हजारों की संख्या में श्रृद्धालु उपस्थित हुए तथा कथा का श्रवण कर अपने जीवन को धन्यवाद बनाया।
केवल सुनने मात्र से ही हो जाता है कल्याण
समापन सत्र की कथा में जगतगुरु रामानुजाचार्य डॉ. स्वामी राघवाचार्य महाराज ने बताया कि श्रीमद् भागवत कथा अमृत संजीवनी है क्योंकि श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से सद्गति प्राप्त होती है और श्रीमद् भागवत कथा श्रवण से मनुष्य ही नहीं बल्कि उनके पूर्वज भी धन्य हो जाते हैं। इसलिए मनुष्य को अपनी जीवन में कम से कम एक बार श्रीमद् भागवत कथा अवश्य सुनना चाहिए। उन्होंने बताया कि श्रीमद् भागवत कथा श्रवण करने से ही कल्याण हो जाता है इसलिए जो कथा का आयोजन नहीं कर सकते केवल सुनने मात्र से ही उसे जीव का कल्याण हो जाता है। श्रीमद्भागवत कथा के श्रवण से प्राणी द्वारा मन, कर्म और वचन से किए पापों का अंत हो जाता है। कथा में जगतगुरु महाराज ने कंस वध के साथ श्रीमद् भागवत श्रवण से कैसे मनुष्य ही नहीं बल्कि जीव का कल्याण होता है इसका विस्तार पूर्वक वर्णन किया।
महापौर महंत गिरीशपति त्रिपाठी ने सभी श्रोताओं, कार्यकर्ताओं और श्रीमद् भागवत कथा में अपना योगदान देने वाले लोगों का आभार व्यक्त किया। समापन सत्र की कथा का शुभारंभ व्यास पीठ और उस पर विराजमान जगतगुरू स्वामी डॉ राघवाचार्य महाराज के पूजन अर्चन से हुई।
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