अयोध्या के रहने वाले उत्कर्ष गुप्ता वैल्पिक ऊर्जा क्षेत्र में बड़ा नाम बनकर उभरे हैं। उत्कर्ष गुप्ता ने कहा कि ऊर्जा क्षेत्र में ग्रूनर रिन्यूएबल एनर्जी ने जर्मनी की सहयोगी कंपनी के साथ मिलकर भारत में बायोगैस प्लांट्स स्थापित करने की शुरुआत की है।
बदलता उत्तर प्रदेश : किसानों के लिए वरदान साबित होगी नई तकनीक,अयोध्या के उत्कर्ष गुप्ता ने ऊर्जा के क्षेत्र में उठाए खास कदम
Nov 01, 2024 17:24
Nov 01, 2024 17:24
जर्मन तकनीक से लैस बायोगैस प्लांट
उत्कर्ष गुप्ता ने कहा कि वैकल्पिक ऊर्जा क्षेत्र में तकनीक बहुत मायने रखती है। ग्रूनर रिन्यूएबल एनर्जी ने जर्मनी की सहयोगी कंपनी के साथ मिलकर भारत में बायोगैस प्लांट्स स्थापित करने की शुरुआत की है। कंपनी ने नागपुर में सफल परीक्षण के बाद अब उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राज्य का सबसे बड़ा बायोगैस प्लांट लगाने की योजना बनाई है। यह प्लांट जर्मन तकनीक से लैस है, जो इसकी उच्च गुणवत्ता और उत्पादन क्षमता को सुनिश्चित करेगा। कंपनी की स्थापना चार कर्मचारियों के साथ हुई थी, लेकिन अब यह टीम 120 लोगों तक विस्तार कर चुकी है। ग्रूनर रिन्यूएबल का लक्ष्य देश के हर राज्य में बायोगैस प्लांट्स और फिलिंग स्टेशन स्थापित करना है, जिससे स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में क्रांति लाई जा सकेगी।"
किसानों के लिए वरदान साबित हो रही पहल
उत्कर्ष गुप्ता ने बताया कि यह पहल विशेष रूप से किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है। किसानों को बायोगैस उत्पादन के लिए आवश्यक फसल जैसे हाथी घास की खेती करने पर प्रति एकड़ 2.5 लाख रुपये तक की अतिरिक्त आमदनी हो सकती है। हाथी घास की एक बार बुआई करने के बाद यह सालों तक उपज देती रहती है, जिससे किसानों को लगातार आय प्राप्त होती रहती है। इसके अलावा, फसल अवशेषों को बायोगैस उत्पादन में उपयोग कर किसान अतिरिक्त आमदनी कमा सकते हैं। उत्कर्ष ने कहा कि पंजाब में धान की पराली और उत्तर प्रदेश में गन्ने की पलाश बायोगैस उत्पादन के लिए उपयोग की जाएगी। इससे किसानों की आय बढ़ेगी।" वह कहते हैं कि अभी किसानों को लगता है कि उनके कृषि अवशेष की कीमत नहीं है। बहुत जल्दी वह समय आएगा जब किसानों को मुंहमांगी कीमत देनी पड़ेगी।
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सीएनजी वाहनों के लिए सस्ता विकल्प
उत्कर्ष गुप्ता ने एक सवाल के जवाब में कहा कि ग्रूनर रिन्यूएबल एनर्जी का बायोगैस उत्पाद सीएनजी वाहनों में बिना किसी बदलाव के प्रयोग किया जा सकता है। लगभग 45 रुपये प्रति किलो की लागत से तैयार होने वाला यह ईंधन पेट्रोल-डीजल के मुकाबले किफायती है। इसके अलावा, बजाज जैसी कंपनियां पहले से ही सीएनजी-आधारित दोपहिया वाहन लॉन्च कर चुकी हैं, जिससे बायोगैस का उपयोग वाहनों में अधिक व्यापक हो सकता है।"
भविष्य में अपार संभावनाएं : उत्कर्ष गुप्ता
कंपनी की भविष्य की योजनाएं महत्वाकांक्षी हैं। उत्कर्ष गुप्ता के अनुसार, वित्त वर्ष 2024-25 में कंपनी का ऑर्डर बुक 5,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की संभावना है, जबकि टर्नओवर 200 करोड़ रुपये तक हो सकता है। इसके माध्यम से न केवल देश में स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हजारों लोगों को रोजगार भी मिलेगा। उन्होंने कहा कि ग्रूनर रिन्यूएबल एनर्जी की यह पहल जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करने के साथ ही स्वच्छ ऊर्जा को प्रोत्साहित करने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। यह कदम न केवल पर्यावरण संरक्षण में सहायक होगा, बल्कि देश की ऊर्जा सुरक्षा को भी मजबूत करेगा। बायोगैस का यह अभिनव प्रयोग आने वाले समय में न केवल लोगों के जीवन में बदलाव लाएगा बल्कि भारत को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में भी सहायक सिद्ध होगा।"
पत्रकार थे नाना, पिता का जल्दी साथ छूटा
उत्कर्ष गुप्ता के साथ कई निजी बातें बेहद रोचक ढंग से जुड़ी हैं। उनके पिता की जल्दी मृत्यु हो गई थी, तब वह बहुत छोटे थे। उत्कर्ष कहते हैं, "मेरे नाना मदन गोपाल गुप्ता अंग्रेजी पत्रकार थे। उन्होंने अयोध्या मंदिर आंदोलन और बाबरी मस्जिद विध्वंस को बेहद करीब से कवर किया था। मैं नानाजी के पास रहा, उनसे सबकुछ सीखा है। उनका मेरे जीवन पर बहुत बड़ा प्रभाव है। शायद उन्हीं की सीख के बूते यहां तक का सफर तय किया है।" उत्कर्ष गुप्ता ने दिल्ली यूनिवर्सटी से बीकॉम किया है। उन्होंने तकनीकी शिक्षा हासिल नहीं की है, लेकिन बायोगैस और गैर परंपरागत ऊर्जा क्षेत्र का बेहद गहराई से अध्ययन किया है।
देश का बड़ा कारोबारी बनने का सपना
उत्कर्ष को बहुत तेजी से कामयाबी मिली है, लेकिन वह बेहद संयत हैं। उनका सपना देश का बड़ा बिजनेसमैन बनना है। वह चाहते हैं कि एक दिन अडानी और अंबानी की तरह उनका नाम हो। वह भरसक मेहनत और समझदार फैसलों को इसका रास्ता मानते हैं। ग्रूनर रिन्यूएबल एनर्जी से पहले उत्कर्ष ने नाकामयाब पहल भी की है। लिहाजा, उन्हें सफलता और असफलता के बीच का फर्क मालूम है। प्रतिस्पर्धा के प्रश्न पर वह बोलते हैं कि 'बिग प्लेयर्स' से कोई खतरा नहीं है। हमारा और उनका बिजनेस मॉड्यूल व टेक्नोलॉजी अलग-अलग हैं। देशभर में स्टार्टअप्स आ रहे हैं। अभी संख्या सैकड़ों में है, जल्दी ही हजारों में होगी। इसके बावजूद देश में स्कोप की कमी नहीं है।