सनबीम स्कूल में महान क्रांतिकारियों को सम्मानित करने के उद्देश्य से एक नाटक "क्रांति 1942@बलिया" का मंचन किया गया। संकल्प साहित्यिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था के कलाकारों ने इस नाटक में हिस्सा लिया।
नाट्य प्रस्तुति: रंगमंच के माध्यम से जीवंत हुई "क्रांति 1942@बलिया", ऐतिहासिक क्रांतिकारी घटनाओं पर डाला प्रकाश
Sep 28, 2024 23:10
Sep 28, 2024 23:10
विद्यालय का उद्देश्य केवल पाठ्यक्रम तक सीमित नहीं होता, बल्कि विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से छात्रों के बौद्धिक और
सांस्कृतिक विकास पर भी ध्यान केंद्रित करता है। इसी क्रम में 28 सितंबर को विद्यालय प्रांगण में बलिया के महान
क्रांतिकारियों को सम्मानित करने के उद्देश्य से एक नाटक "क्रांति 1942@बलिया" का मंचन किया गया।
नाटक की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
यह नाटक बलिया के लेखक और निर्देशक आशीष त्रिवेदी द्वारा लिखित है, जिसमें बलिया के क्रांतिकारियों के योगदान को
जीवंत रूप में दर्शाया गया। संकल्प साहित्यिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक संस्था के कलाकारों ने इस नाटक में हिस्सा लिया
और अपने बेहतरीन अभिनय से दर्शकों को भावुक कर दिया। बलिया के क्रांति के समय की महत्वपूर्ण घटनाओं को इस नाटक
में बखूबी प्रस्तुत किया गया, जिसने उपस्थित लोगों को गर्व और प्रेरणा से भर दिया।
कार्यक्रम का शुभारंभ
कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि आशीष त्रिवेदी, डॉ. कुंवर अरुण सिंह और डॉ. अर्पिता सिंह द्वारा तुलसी वेदी पर दीप
प्रज्वलन से हुई। इसके बाद विद्यालय के छात्र शौर्य पांडेय ने नाटक के विषय "बलिया की क्रांति" पर महत्वपूर्ण जानकारी दी।
कार्यक्रम के दौरान दर्शकों ने कलाकारों की प्रस्तुति पर जोरदार तालियों के साथ उनका उत्साहवर्धन किया।
नाटक की प्रमुख घटनाएं
नाटक में बलिया के ऐतिहासिक क्रांतिकारी घटनाओं को जीवंत किया गया। 16 अगस्त 1942 को बलिया सब्जी मंडी में हुए
गोलीकांड और 18 अगस्त 1942 को बैरिया शहादत जैसे महत्वपूर्ण दृश्य प्रस्तुत किए गए, जिन्हें देखकर दर्शक भावविभोर हो
उठे। विशेष रूप से, जब जानकी देवी के नेतृत्व में बलिया कलेक्ट्रेट पर महिलाओं ने तिरंगा फहराया, तो दर्शक नारी शक्ति की
जयकार करने लगे।
इस नाटक ने यह स्पष्ट किया कि बलिया की धरती पर आजादी की लड़ाई कितनी जोरदार और साहसी तरीके से लड़ी गई थी।
नाटक में कलाकारों ने अपने अभिनय से उस समय की संघर्षपूर्ण परिस्थितियों को पुनर्जीवित किया, जिससे युवा पीढ़ी को
अपने गौरवशाली इतिहास की जानकारी मिली।
छात्रों की सहभागिता और सम्मान
नाटक के समापन के बाद लेखक आशीष त्रिवेदी ने विद्यार्थियों से नाटक से जुड़े प्रश्न पूछे, जिनका छात्रों ने उत्सुकता से उत्तर
दिया। सही उत्तर देने वाले छात्रों को पुरस्कार भी प्रदान किए गए, जिससे उनका आत्मविश्वास और बढ़ा।
विद्यालय निदेशक और प्रधानाचार्य के संबोधन
इस अवसर पर विद्यालय के निदेशक डॉ. कुंवर अरुण सिंह ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि बलिया को "बागी"
कहने के पीछे एक गूढ़ अर्थ है। 1942 में ही बलिया के क्रांतिकारियों ने अपने साहस और बलिदान से आजादी की लड़ाई जीत
ली थी। उन्होंने कहा कि बलिया के युवाओं का कर्तव्य है कि वे अपने इतिहास को जानें और उसे सहेज कर रखें।
प्रधानाचार्या डॉ. अर्पिता सिंह ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए अभिनय की महत्ता को बताया। उन्होंने कहा कि अभिनय
एक अनमोल कला है और अगर कोई इस क्षेत्र में रुचि रखता है, तो उसे अपनी प्रतिभा को निखारने का प्रयास करना चाहिए।
कार्यक्रम की सफलता
इस आयोजन में विद्यालय के प्रशासक संतोष कुमार चतुर्वेदी, डीन शहर बानो और हेडमिस्ट्रेस नीतू पांडेय
की भूमिका सराहनीय रही। इस कार्यक्रम ने विद्यार्थियों में देशभक्ति की भावना को और अधिक प्रबल किया और उन्हें अपने
इतिहास से जुड़ने का एक अनोखा अवसर प्रदान किया।
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