आवारा पशुओं से लेकर जंगली जानवरों के हमलों से लोगों में काफी गुस्सा है। बरेली देहात में लोग सियार की दहशत में जी रहे हैं। मगर, अब उन्होंने सियार पर ही हमले शुरू कर दिए हैं। एक-एक कर दो सियार की हत्या कर दी। मगर, कोई बोलने को तैयार नहीं...
बरेली में सियार की दहशत : खौफजदा ग्रामीणों ने उठाया बड़ा कदम, हत्या कर काटे पैर, जानें फिर क्या हुआ...
Sep 20, 2024 11:00
Sep 20, 2024 11:00
देहात में हत्या के बाद काटे पैर
बरेली देहात के हाफिजगंज थाना क्षेत्र के भानपुर गांव में ग्रामीणों ने सियार को मौत के घाट उतार दिया है। बताया जाता है उसके पैर भी काट दिए गए हैं। इससे पहले 12 सितंबर को आंवला के रम्पुरा गांव में भी ग्रामीणों ने सियार को मार डाला था। सोमवार रात भानपुर गांव में सियार ने प्रेमपाल पर हमला कर दिया था। उनके बेटे पुष्पेंद्र ने बचाने की कोशिश की, तो सियार ने उसको भी हमले में घायल कर दिया। इसके बाद से वन विभाग की टीम गांव में कांबिंग कर रही थी। मगर, बुधवार रात सियार फिर गांव में घुस आया। उसके हमले को लेकर ग्रामीण पहले से अलर्ट थे। इसी दौरान ग्रामीणों ने उसे घेर लिया। उसकी पीट-पीटकर हत्या कर दी। इसके बाद शव को गांव के पास नहर किनारे फेंक दिया।
वन्यजीव ने खाया मांस
गुरुवार को वनरक्षक माधो सिंह गांव पहुंचे। उन्होंने मृत सियार को कब्जे में लेकर पंचनामा भरा। इसके बाद आइवीआरआई पोस्टमार्टम को भेजा है। इसमें सियार के पैर भी कटे हुए थे। माना जा रहा है कि किसी वन्यजीव ने सियार के मांस को भी नोंचने की कोशिश की।
एक रात में रम्पुरा में 20 लोग किए घायल
आंवला कोतवाली थाना क्षेत्र के रम्पुरा गांव में सियार ने एक ही रात में हमला कर 20 ग्रामीणों को घायल कर दिया था। इसके बाद ग्रामीणों ने उसको भी मार गिराया। राहगीरों की सूचना पर वन विभाग की टीम पहुंची थी। मगर, बताया जाता है उसको सियार का शव नहीं मिला। बताया जाता है कि वन्यजीव की हत्या में कार्रवाई के डर से ग्रामीण हत्या की बात से मुकर गए थे। एसडीओ केएन सिंह ने मीडिया को बताया कि भानपुर में सियार की हत्या की सूचना पर टीम मौके पर गई थी। सियार का शव कब्जे में लिया है।
बारिश के कारण सियार आने लगे खेतों से बाहर
सियार सबसे अधिक गन्ना बेल्ट में हमले कर रहे हैं। रेंजर वैभव चौधरी ने बताया कि खेतों में पानी भरा होने के कारण सियार बाहर आ रहे हैं। हालांकि, सियार खुद ही स्वभाव से काफी डरपोक होते हैं। उनका प्रजनन काल भी चल रहा है। जब उसको महसूस होता है कि वह असुरक्षित है, तो वह हमला करता है। अब तक जो भी हमले हुए हैं। वह उन्हीं इलाकों में हैं। वहां गन्ने की पैदावार काफी होती है।
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