मेले में आकर्षण के लिए झूलों की स्थापना भी प्रारंभ हो चुकी है। इस बार भी मेले में “मौत का कुआं” जैसा रोमांचक आकर्षण रखा जाएगा, जो विशेष रूप से दर्शकों को आकर्षित करेगा...
बदायूं में शुरू होगा 'मिनी कुंभ' मेला : मौत का कुआं और घुड़दौड़ होंगे आकर्षण का केंद्र, तैयारियां जोरों पर
Nov 07, 2024 17:24
Nov 07, 2024 17:24
- बदायूं में मिनी कुंभ मेला ककोड़ा
- 15 दिन तक चलेगा मेला
- 8 नवंबर को होगी औपचारिक शुरुआत
प्रशासन ने पूरी की तैयारी
बता दें कि ककोड़ा मेला को रुहेलखंड का मिनी कुंभ भी कहा जाता है। इस बार यह मेला 8 नवंबर से 22 नवंबर तक चलेगा। 15 दिनों तक चलने वाले इस मेले के आयोजन में किसी भी प्रकार की कमी न हो, इसके लिए जिला प्रशासन ने तैयारियां पूरी कर ली हैं। सड़कों का निर्माण कार्य पहले ही पूरा हो चुका है और टैंट लगाने का काम भी प्रारंभ हो चुका है। सबसे पहले वीआईपी टेंट लगाने का कार्य किया गया है, ताकि विशेष अतिथियों के लिए इंतजाम किए जा सकें।
मेले में सुरक्षा का पूरा इंतजाम
मेले के स्थल पर चारों ओर सुरक्षा की दृष्टि से सिरकी पाल से चहारदीवारी बनाने का कार्य भी जोरों पर है। इसके अलावा, मेले में आकर्षण के लिए झूलों की स्थापना भी प्रारंभ हो चुकी है। इस बार भी मेले में “मौत का कुआं” जैसा रोमांचक आकर्षण रखा जाएगा, जो विशेष रूप से दर्शकों को आकर्षित करेगा। इसके साथ ही, मेले के पूरे क्षेत्र में उचित प्रकाश व्यवस्था के लिए बिजली के खंभों को स्थापित करने का काम शुरू हो चुका है।
फिर से घुड़दौड़ शुरू होने की उम्मीद
ककोड़ा मेले में कई वर्षों से आयोजित होने वाली घुड़दौड़ को इस बार फिर से शुरू किए जाने की उम्मीद जताई जा रही है। सात साल पहले जिले में घोड़ों में ग्लैंडर्स फारसी नामक बीमारी फैलने के बाद घुड़दौड़ पर रोक लगा दी गई थी। पिछले कुछ वर्षों में इस बीमारी का कोई मामला सामने नहीं आया है, जिससे लोगों का मानना है कि इस बार घुड़दौड़ हो सकती है। स्थानीय लोग जैसे रामदीन, मैकू लाल, धनश्याम और रामौतार का कहना है कि घुड़दौड़ मेले का एक प्रमुख आकर्षण रही है और इसकी वापसी से मेले की रौनक और बढ़ेगी।
विशेष पूजा का आयोजन
ककोड़ा देवी मंदिर में 8 नवंबर को विशेष पूजा का आयोजन किया जाएगा, जिसमें हवन और पूजन की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। इसके बाद, ककोड़ा देवी मंदिर से झंडी लेकर उसे मेला स्थल पर विधिपूर्वक स्थापित किया जाएगा। इसके साथ ही, गंगा माता की पूजा-अर्चना भी की जाएगी, जो इस मेले का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।
झंडी स्थापित करने की परंपरा
ककोड़ा देवी मंदिर के पुजारी बाबा नन्हें दास के अनुसार, मेला स्थल पर देवी की झंडी स्थापित करने की परंपरा कई वर्षों पुरानी है। पहले मेला देवी के मंदिर के पास ही लगता था, लेकिन समय के साथ गंगा का पानी पीछे हटता गया। तब से यह परंपरा चली आ रही है कि मेला स्थल पर देवी के स्वरूप के रूप में मंदिर की झंडी स्थापित की जाती है, जिससे गंगा मां हमेशा मंदिर के पास ही बनी रहती हैं।
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