उत्तर प्रदेश के बरेली में रामगंगा नदी के अधूरे पुल से कार गिरने के कारण तीन लोगों की मौत हो गई। इस मामले में बदायूं पीडब्ल्यूडी के चार अभियंताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है।
बरेली में अधूरे पुल से बड़ा हादसा : तीन लोगों की मौत के बाद बदायूं के चार इंजीनियरों पर केस दर्ज, PWD की लापरवाही उजागर
Nov 25, 2024 16:26
Nov 25, 2024 16:26
पीडब्ल्यूडी की लापरवाही आई सामने, दो एई और दो जेई पर मुकदमा
बदायूं जिले के नायक तहसीलदार छविराम की ओर से बदायूं जिले की दातागंज कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई गई है। उनका कहना है कि घटना का प्राथमिक कारण अधूरे पुल पर कोई चेतावनी बोर्ड या बैरिकेड का न होना है। इसके अलावा गूगल मैप भी इस रास्ते को सही बताता रहा। जिसके चलते ड्राइवर को कोई खतरे का आभास नहीं हुआ। इसीलिए पीडब्ल्यूडी के सहायक अभियंता (एई) मोहम्मद आरिफ और अभिषेक कुमार, अवर अभियंता (जेई) अजय गंगवार और महाराज सिंह के खिलाफ मुकदमा हुआ है। आरोपियों ने अधूरे पुल पर सुरक्षा इंतजाम की अनदेखी की। यातायात को रोकने के लिए कोई संकेत या बैरिकेड भी नहीं लगाया गया था।
अधूरे पुल से कार गिरने पर हुई तीन की मौत
कार सवार लोग गूगल मैप के सहारे दातागंज की तरफ से खल्लपुर होते हुए फरीदपुर आ रहे थे। अधूरे पुल से कार नीचे जा गिरी। इसमें मौके पर ही तीन लोगों की मौत हो गई। मृतक गाजियाबाद में सिक्योरिटी गार्ड थे। पुलिस ने शव कब्जे में लेकर शिनाख्त की कोशिश की। इसमें मैनपुरी जनपद निवासी कौशल कुमार, फर्रुखाबाद के विवेक कुमार और अमित की मौत हो गई थी। पुलिस के मुताबिक तीनों व्यक्ति सिक्योरिटी गार्ड का काम करते थे। यह किसी शादी समारोह में शामिल होकर शार्ट कट रास्ते से बरेली होकर गाजियाबाद निकलने की कोशिश में थे। मगर, इससे पहले ही हादसा हो गया।
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आठ वर्ष बाद भी निर्माण अधूरा
रामगंगा नदी पर फरीदपुर और दातागंज के लोगों की सहूलियत को सपा सरकार में वर्ष 2016 में ख़ल्लपुर के पास ओवर ब्रिज का निर्माण शुरू हुआ था। इसका निर्माण दो वर्ष बाद 2018 में पूरा होना था। मगर, 2017 में सरकार बदल गई। इसके बाद ओवर ब्रिज का निर्माण भी रुक गया। आठ वर्ष बाद भी ओवर ब्रिज का निर्माण पूरा नहीं हुआ। पुल के अधूरे हिस्से को चेतावनी के लिए कोई संकेतक या अवरोधक नहीं लगाए गए थे। अंधेरे में कार चालक को यह स्थिति नजर नहीं आई और उनकी कार पुल से नीचे नदी में गिर गई।
गूगल मैप की भूमिका पर सवाल
यह घटना गूगल मैप जैसे डिजिटल नेविगेशन टूल्स की विश्वसनीयता पर भी सवाल खड़े करती है। हादसे में गूगल मैप ने इस अधूरे पुल वाले रास्ते को सही मार्ग के रूप में दिखाया। इससे वाहन चालक भ्रमित हुआ। लोगों का कहना है कि ऐसे डिजिटल उपकरणों को स्थानीय प्रशासन और भूगोल के अद्यतन डेटा के साथ तालमेल बैठाने की आवश्यकता है। हादसे के बाद स्थानीय लोगों और मृतकों के परिजनों में भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि यह हादसा विभागीय अधिकारियों की लापरवाही का परिणाम है। स्थानीय लोगों ने भी प्रशासन से ऐसे अन्य अधूरे पुलों और निर्माण स्थलों पर सुरक्षा मानकों को लागू करने की मांग की है।
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