बरेली में हत्या करने वाले पिता-पुत्र को फांसी की सजा : दस साल पहले 36 बीघा जमीन के लालच में बहाया था खून, जानें मामला...

दस साल पहले 36 बीघा जमीन के लालच में बहाया था खून, जानें मामला...
UPT | जनपद न्यायालय बरेली।

Dec 24, 2024 22:24

बरेली में जमीन के लालच में हत्या करने वाले पिता-पुत्र को फांसी की सजा सुनाई गई है। यह हत्या 10 साल पहले 36 बीघा बेशकीमती जमीन हड़पने को लेकर...

Dec 24, 2024 22:24

Bareilly News : यूपी के बरेली में जमीन के लालच में हत्या करने वाले पिता-पुत्र को फांसी की सजा सुनाई गई है। यह हत्या 10 साल पहले 36 बीघा बेशकीमती जमीन हड़पने को लेकर की गई थी। इस मामले में अपर सत्र न्यायाधीश त्वरित न्यायालय रवि कुमार दिवाकर ने सत्र परीक्षण में रघुवीर सिंह और उसके पुत्र मोनू उर्फ तेजपाल को दोषी मानते हुए कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई। इस केस में हत्यारोपी रघुवीर सिंह ही मुकदमा का वादी था और उसने पुलिस को गुमराह करने के लिए फर्जी कहानी गढ़ी थी। मगर, पुलिस ने मामले की जांच कर आरोपी को हिरासत में लिया था। 



भतीजे ने मारी गोली, फिर पिता ने फरसे से काट दी गर्दन
बरेली देहात के बहेड़ी कोतवाली थाना क्षेत्र के भोजपुर गांव निवासी मोनू उर्फ तेजपाल ने चाचा चरन सिंह के तमंचे से सीने में गोली मारी, तो वहीं उसके पिता रघुवीर ने फरसे से गर्दन काट दी थी। सरकारी वकील दिगंबर पटेल और सौरभ तिवारी ने बताया कि वादी रघुवीर सिंह ने प्रभारी निरीक्षक बहेड़ी को तहरीर देकर बताया था कि उसका छोटा छोटा चरन सिंह (42 वर्ष) अविवाहित था। वह मामा भूप सिंह के घर मीरगंज थाना क्षेत्र के हल्दी खुर्द गांव में करीब आठ साल से रह रहा था। मामा के कोई औलाद नहीं होने पर उन्होंने अपनी सारी संपत्ति उसकी मां ओमवती के नाम कर दी थी। उसका भाई चार दिन पहले घर आया था। जमीन नाम न होने से उसके बड़े मामा का लड़का हरपाल रंजिश मानता था। जिसके चलते हत्या कर दी।
  मृतक चरन सिंह को अपने मामा से माफी मुहब्बत थी। वह 20 नवंबर 2014 को मामा की समाधि पर पूजा करने गया था। वहां से लौटते समय देर होने पर वह और उसका सौतेला भाई धर्मपाल हाथ में टार्च लेकर भाई चरन सिंह को देखने गए। मगर, जैसे ही चरन सिंह के खेत के किनारे शाम साढ़े छह बजे पहुंचे, तो देखा कि हरपाल सिंह अपने एक अन्य साथी के साथ उसके भाई चरन सिंह की धारदार हथियार से हत्या करके भाग रहे थे। उन्होंने रोकना चाहा, तो दो हवाई फायर कर भाग गए। पुलिस ने हरपाल और एक अन्य अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था। विवेचना के दौरान गवाहों के बयान दर्ज किए, तो सच्चाई सामने आ गई। पुलिस ने वादी रघुवीर सिंह और उसके पुत्र मोनू उर्फ तेजपाल सिंह के खिलाफ हत्या की धारा में चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की। 

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13 गवाहों की गवाही से फांसी की सजा
मुकदमें की सुनवाई के दौरान कोर्ट में अभियोजन ने 13 गवाह पेश किए थे। जिसके चलते पांच गवाह मृतक की मां ओमवती उर्फ सोमवती, मृतक का सौतेला भाई धर्मपाल सिंह, हरपाल सिंह, अतर सिंह और नत्थू लाल अदालत में गवाही के दौरान अपने बयान से मुकर गए थे। मगर, विवेचना के दौरान गवाहों ने पुलिस को शपथ पत्र दिया। मृतक के जीजा प्रवीर सिंह (चश्मदीद गवाह) और बहन सरोज अदालत में अपने बयान पर अड़े रहे थे। उनकी गवाही पिता-पुत्र की सजा का आधार बनी। आलाकत्ल तमंचा समेत 24 सबूत अभियोजन ने कोर्ट में पेश किए थे। इसमें बाद फांसी की सजा सुनाई गई।

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