सरधना के चर्च को ईसाई धर्म के लोग कृपाओं की माता मरियम का तीर्थस्थान कहते हैं। मान्यता है माता मरियम सरधना के चर्च में आने वाले श्रद्धालुओं की मुराद पूरी करती हैं।
Meerut News : छोटी बेसिलिका का दर्जा प्राप्त 200 साल पुराने सरधना चर्च की खासियत जान हो जाएंगे हैरान, पूरे विश्व में पहचान
Dec 25, 2024 21:20
Dec 25, 2024 21:20
- 11 साल में 4 लाख रुपये की लागत से बनकर हुआ तैयार
- देश में सिर्फ सरधना चर्च में है कृपाओं की माता की मूर्ति
- हिंदू-मुस्लिम आबादी के बीच माता मरियम का तीर्थस्थल
छोटी बसिलिका का दर्जा सरधना चर्च को
बेगम समरू के बनवाए सरधना के चर्च को पोप जॉन 23वें ने 1961 में छोटी बेसिलिका का दर्जा दिया था। बेसिलिका का मतलब होता अत्यन्त पवित्र स्थान। इसमें चर्च की भव्यता का बहुत बड़ा योगदान है। विश्व के ऐतिहासिक और भव्य चर्चों को ही यह दर्जा प्राप्त है। सरधना चर्च में लगी कृपाओं की माता की चमत्कारी तस्वीर के कारण हर वर्ष क्रिसमस के मौके पर यहां पर विशेष प्रार्थना होती है।
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4 लाख लागत और 11 साल में बनकर तैयार
सरधना के एतिहासिक चर्च को बनाने में 4 लाख रुपये लागत आई और यह 11 साल में बनकर तैयार हुआ था। चर्च के दरवाजे खास किस्म के बनाए गए हैं। इन दरवाजों पर खूबसूरत नक्काशी की गई है। दरवाजे 200 साल पुराने हैं।
कृपाओं की माता का चमत्कारी महत्व
बेगम समरू की रियासत सरधना के गिरजाघर में कृपाओं की माता मरियम की चमत्कारी मूर्ति फरियादियों की हर मुराद पूरी करती हैं। माना जाता है कि माता मरियम की चमत्कारी मूर्ति के सामने खड़े होकर अगर कोई श्रद्धालु सच्चे मन से प्रार्थना करता है तो माता मरियम उसकी फरियाद जरूर सुनती हैं और उसको पूरा भी करती हैं।
मरियम का पवित्र तीर्थ इटली में
वर्ष-1955 में आगरा के सहायक आर्चबिशप जेबी इवान्जे लिस्टी इटली गए थे। उन्हें टस्कनी प्रांत के लैघोर्न शहर के लोगों से बात की। लैघोर्न शहर के पास मौनटेनैरो की पहाड़ी पर 'कृपाओं की माता' का तीर्थ स्थान माना जाता है। जहां के महाधर्माध्यक्ष ने उन्हें बताया कि उनकी माता की इस चमत्कारी तस्वीर की एक नकल सरधना के चर्च के लिए चाहते हैं। इसके बाद तस्वीर बनवाई गई। तस्वीर में माता और बालक के सिर पर जड़े सोने के दोनों ताज लैघोर्न के लोगों का तोहफा था। जो कि 1972 में चोरी हो गया। महाधर्माध्यक्ष जब 25 सितम्बर 1955 में संत पोप पियुस 12वें से मिलने गए तो इस तस्वीर को अपने साथ ले गए। उन्होंने उनके सामने उत्तर भारत में एक तीर्थ स्थान शुरू करने की इच्छा जताई। वे बिना हिचकिचाए राजी हो गए और तस्वीर का सजदा कर उसे अपनी इजाजत प्रदान की और कहा कि वे दुआ करेंगे कि माता मरियम भारत के लोगों पर मेहरबान रहें।
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जानिए कौन थीं बेगम समरू जिन्होंने सरधना का चर्च बनवाया
बताया जाता है कि जिला बागपत के कोताना कस्बा के निवासी लतीफ अली खां की बेटी फरजाना थी। भरतपुर के राजा जवाहर सिंह के सेनापति वाल्टर रेंनार्ड उर्फ समरू ने मुस्लिम रस्मों के मुताबिक फरजाना से निकाह किया। समरू की मौत के बाद फरजाना बेगम ने कैथोलिक धर्म अपना लिया था। उन्होंने अपना नाम योहन्ना रख लिया। उसके बाद उन्होंने सरधना चर्च का निर्माण करवाया था।
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