दारुल इफ्ता के प्रमुख मुफ्ती मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी द्वारा जारी किए गए इस फतवे में कहा गया है कि आजकल कुछ मुस्लिम युवा धार्मिक जुलूसों, जैसे जुलूस-ए-मोहम्मदी और उर्स के अवसर पर डीजे का अत्यधिक उपयोग कर रहे हैं...
दारुल इफ्ता ने जारी किया फतवा : मुस्लिम धार्मिक जुलूसों में डांस और डीजे पर पाबंदी, अमन-शांति की अपील
Sep 05, 2024 19:03
Sep 05, 2024 19:03
- बरेली में दारुल इफ्ता ने जारी किया फतवा
- जुलूसों में डांस और डीजे पर रोक
- अमन और शांति का संदेश फैलाने की करी अपील
बढ़ रहा हुल्लड़बाजी का चलन
यह फतवा बहराइच के गांव सैदापुर के निवासी निहाल रजा अंसारी द्वारा दारुल इफ्ता से पूछे गए सवाल के जवाब में जारी किया गया है। फतवे में स्पष्ट किया गया है कि शरीयत ने गाने-बाजे और डांस को शैतानी कार्य माना है। मौलाना ने कहा कि मजहबी जुलूसों में डीजे पर नाचने और हुल्लड़बाजी का चलन बढ़ता जा रहा है, जो धार्मिक दृष्टिकोण से सही नहीं है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ईद मिलादुन्नबी और उर्स जैसे पवित्र अवसरों पर इन शैतानी कामों से परहेज किया जाना चाहिए।
जुलूस से किया जाएगा बाहर
इसके अलावा, फतवे में यह भी सलाह दी गई है कि ऐसे गैर-शरई काम करने वाले लोग अपने गुनाहों से तौबा करें और नाजायज कामों से दूर रहें। अगर ऐसे लोग सुधार नहीं करते हैं, तो उन्हें धार्मिक जुलूसों में शामिल न होने दिया जाए। अगर कोई व्यक्ति जबरदस्ती डीजे लेकर आता है, तो उसे जुलूस से बाहर कर दिया जाना चाहिए।
अमन और शांति का संदेश
साथ ही, मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी ने एक बयान में कहा कि जुलूस-ए-मोहम्मदी एक बेहद पवित्र अवसर है और इस दिन को पूरी दुनिया में पैगंबर-ए-इस्लाम के अमन और शांति के संदेश को फैलाने के लिए उपयोग किया जाना चाहिए। उन्होंने इस बात पर भी चिंता व्यक्त की कि रोड पर डीजे की वजह से आम लोगों और घर में बीमार लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
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