यूपी पॉवर कारपोरेशन के चेयरमैन डॉ.आशीष गोयल ने बरेली के लापरवाह बिजली अफसरों को सुधार की चेतवानी दी थी। मगर, उनकी चेतवानी के बाद भी बिजली विभाग के जिले में मुखिया से लेकर मातहतों में कोई सुधार दिखाई नहीं दे रहा है।
बिजली विभाग का खेल : कंट्रोल बॉक्स विद्युत उपकेंद्र में नहीं, झोपड़ी के पास खुले आसमान के नीचे रखें, जानें क्यों....
Jul 17, 2024 19:34
Jul 17, 2024 19:34
नहीं मिला सुरक्षित स्थान
बिजली विभाग के लिए कंट्रोल बॉक्स को सुरक्षित स्थान भी नहीं मिल पा रहा है। जहां इन्हें सुरक्षित रखा जा सके। रेलवे के मनोरंजन सदन के बगल में बनी झुग्गी झोपडियां के पड़ोस में ही कूड़े की तरह लगने वाले स्थान पर कंट्रोल बॉक्स चालू स्थिति में हैं, या नए हैं। इसके लिए कुछ भी कह पाना मुश्किल है। इस मामले में किसी भी बिजली के अधिकारी से जानकारी ली जाती है, तो वह अधिकारी बगले झांकता हुआ ही नजर आता है।सरकारी पैसे का दुरुपयोग कब, और कैसे किया जाए। यह बिजली विभाग से अच्छा कोई नहीं कर सकता। लाखों रूपये खर्च करके इन कंट्रोल बॉक्स का निर्माण कराया जाता है।जनपद के तमाम ऐसे इलाके है, जहां के कंट्रोल बॉक्स पूरी तरीके से खराब हो चुके है। वहां पर यह कंट्रोल बॉक्स लगाना बहुत जरूरी है, आए दिन बिजली के फाल्ट इन खराब कंट्रोल बॉक्स के कारण भी होते रहते हैं।
जानें क्या बोले झोपड़ी के लोग
इन झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले लोगों ने मीडिया को बताया कि बिजली विभाग की गाडियां यहां आती हैं। कंट्रोल बॉक्स यहां छोडकर और कुछ कंट्रोल बॉक्स लेकर चली जाती है। दरअसल, बिजली विभाग के यह कंट्रोल बॉक्स इस तरीके से कहीं भी, क्या बिजली विभाग छोड़ सकता है।यदि इन कंट्रोल बॉक्स से संबंधित कोई चोरी हो जाती है, तो उसका जिम्मेदार कौन होगा।
सीएम के आदेश की नाफरमानी, चीफ इंजीनियर की मनमानी
सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ ने शहर से लेकर देहात तक समय से बिजली आपूर्ति देने के निर्देश दिए हैं। उनकी कोशिश है कि यूपी के शहरों में 24 घंटे बिजली मिले। यूपी के प्रमुख सचिव ने अफसरों को सीएम की मंशा से भी अवगत कराया है। मगर, बरेली के अफसरों की मनमानी के चलते सीएम योगी आदित्यनाथ के फरमान की नाफरमानी हो रही है। बिजली कटौती से लोग बेहाल हैं। हालांकि, बारिश के कारण तापमान में कमी आई है। मगर, इसके बाद भी बारिश के रुकते ही लोग पसीने से तरबतर होने लगते हैं। इंडस्ट्रियल एरिया की फैक्ट्रियां बिजली कटौती से हांफने लगी हैं। जनरेटर धुंआ उगल रहे हैं। रोज मीटिंग दर मीटिंग हो रही हैं, वीडियो कांफ्रेंसिंग हो रही हैं। मगर, नतीजा नहीं निकल रहा। सवालों के घेरे में बिजली वाले चीफ इंजीनियर हैं। जिनको लेकर कई तरह के और हर तरह के सवाल उठ रहे हैं। मगर, वह भी शायद इन सवालों को शिद्दत से हल करने के बजाय बारिश का मानसून का मजा ले रहे हैं।
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