दुनियाभर में सोमवार को पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मुहम्मद साहब के जन्मदिन, जिसे ईद मिलादुन्नबी या ईद-ए-मिलाद कहा जाता है, का जश्न मनाया गया। बरेली में भी इस मौके पर पूरे शहर और गांवों में उत्साह देखने को मिला।
Bareilly News : धूमधाम से निकला जुलूस-ए-मोहम्मदी, शहर में रोशनी और भाईचारे का माहौल
Sep 16, 2024 21:40
Sep 16, 2024 21:40
कोहाड़ापीर से हुआ जुलूस का आगाज
शहर के कोहाड़ापीर पेट्रोल पंप से सोमवार शाम जुलूस-ए-मोहम्मदी का आगाज किया गया, जिसे दरगाह आला हज़रत के हज़रत मौलाना सुब्हान रज़ा खान (सुब्हानी मियां) और मुफ्ती अहसन रज़ा क़ादरी (अहसन मियां) की कयादत में निकाला गया। जुलूस का रिवायती अंदाज में विभिन्न मार्गों से होकर गुजरना हुआ। इसमें बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। जुलूस में अंजुमन खुद्दाम-ए-रसूल की अगुवाई में विभिन्न अंजुमन शामिल हुईं, जिनमें लोग अपने-अपने अलग-अलग लिबास और पगड़ियों में नजर आए। जुलूस के रास्तों पर लोगों ने फूलों की बारिश करके इसका स्वागत किया।
जुलूस का मार्ग और समापन
यह जुलूस कोहाड़ापीर से शुरू होकर कुतुबखाना, जिला अस्पताल, कुमार सिनेमा, दरगाह पहलवान साहब के मजार से होते हुए नावेल्टी चौराहा, जीआईसी, बिहारीपुर करोलान, बिहारीपुर होते हुए देर रात दरगाह आला हज़रत पर पहुंचकर समाप्त हुआ। जुलूस के समापन से पहले दरगाह पर कुरान ख्वानी और महफिल-ए-मिलाद का आयोजन किया गया, जिसमें उलेमा ने हजरत मुहम्मद साहब की अजमत और उनके संदेशों को विस्तार से बताया।
जोगी नवादा में तनावपूर्ण स्थिति
दूसरी ओर, शहर के जोगी नवादा इलाके में जुलूस के मार्ग को लेकर तनाव की स्थिति बनी रही। यहां हिंदू और मुस्लिम पक्षों के बीच जुलूस के मार्ग पर विवाद हो गया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर दोनों पक्षों को शांत करने की कोशिश की, लेकिन स्थिति तनावपूर्ण बनी रही। मुस्लिम पक्ष का कहना था कि यह जुलूस का पारंपरिक मार्ग है, जबकि हिंदू पक्ष इसे नई परंपरा बताकर विरोध कर रहा था। पुलिस ने सुरक्षा के मद्देनजर भारी पुलिस बल तैनात कर दिया और अंजुमन को दूसरे मार्ग से वापस भेज दिया गया।
उलेमा ने दिया अमन और भाईचारे का पैगाम
दरगाह आला हजरत से जुड़े मौलाना सलीम नूरी ने कहा कि हजरत मुहम्मद साहब ने पूरी दुनिया को इंसानियत और प्रेम का संदेश दिया है। उन्होंने मुसलमानों को शिक्षा और भाईचारे का महत्व समझाते हुए कहा कि हमें अपने मुल्क और मजहब से सच्ची मोहब्बत करनी चाहिए और हर तरह की नफरत को खत्म करना चाहिए।
जुलूस में रही ये अंजुमनें शामिल
जुलूस-ए-मोहम्मदी में अंजुमन अनवारे मुस्तफा, अंजुमन गुलशने नूरी, अंजुमन दारुल रज़ा मुस्तफा, अंजुमन जानिसारने रसूल, अंजुमन रज़ा-ए-मिल्लत समेत कई अन्य अंजुमनें शामिल रहीं। सभी अंजुमनों ने अपने-अपने बैनर के साथ नबी के संदेशों को आम करने का प्रयास किया।
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