भूमि अधिग्रहण घोटाला : एनएचएआई की जांच में बड़ा खुलासा, व्यापारियों ने मुआवजे का गबन करने के लिए खरीदे कई प्लॉट

एनएचएआई की जांच में बड़ा खुलासा, व्यापारियों ने मुआवजे का गबन करने के लिए खरीदे कई प्लॉट
UPT | भूमि अधिग्रहण घोटाला

Aug 30, 2024 18:51

बरेली-सितारगंज हाईवे के लिए भूमि अधिग्रहण में हुए घोटाले की गहराई को लेकर एनएचएआई की जांच ने कई अहम खुलासे किए हैं। इस मामले में एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी संजीव कुमार शर्मा और परियोजना निदेशक बीपी पाठक को निलंबित कर दिया गया है।

Aug 30, 2024 18:51

Bareilly News : बरेली-सितारगंज हाईवे के लिए भूमि अधिग्रहण में हुए घोटाले की गहराई को लेकर एनएचएआई की जांच ने कई अहम खुलासे किए हैं। इस मामले में एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी संजीव कुमार शर्मा और परियोजना निदेशक बीपी पाठक को निलंबित कर दिया गया है। प्रारंभिक जांच में 50 करोड़ रुपये के घोटाले का खुलासा हुआ है, लेकिन यह संभावना जताई जा रही है कि यह आंकड़ा और बढ़ सकता है। जांच में कई ऐसे कारोबारियों के नाम सामने आए हैं जिन्होंने मुआवजा हड़पने के लिए विभिन्न गांवों में कृषि योग्य भूमि के सौदे किए थे।

 एनएचएआई की जांच रिपोर्ट के अनुसार, बरेली-सितारगंज हाईवे के किनारे विभिन्न गांवों में कारोबारियों ने कृषि योग्य भूखंडों का सौदा किया। इनमें से कई ने एक ही गांव में कई भूखंड खरीदे। रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि ये कारोबारियों का लखनऊ, रुद्रपुर, दिल्ली जैसे शहरों से कोई संबंध नहीं है, और उनकी पृष्ठभूमि इन गांवों से पूरी तरह अनजान है।

रिपोर्ट में सबसे अधिक 11 कृषि योग्य भूखंड भगवानदास के नाम पर दर्ज हैं, जबकि एनएचएआई द्वारा जारी मुआवजा सूची में उनका नाम पहले शामिल नहीं था। इसके अलावा, रामेश्वर दयाल, हिमांशु सिंघल जैसे अन्य कारोबारियों के नाम भी कई भूखंडों पर दर्ज हैं। इन कारोबारियों ने इन कृषि योग्य भूमि को व्यावसायिक और आवासीय भूमि दिखाकर अधिग्रहण के बदले करोड़ों रुपये का मुआवजा प्राप्त किया। 

इन कारोबारियों के नाम पर कई ऐसे भूखंड भी हैं, जहां एनएचएआई के प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं या अभी चल रहे 
सूत्रों के मुताबिक, धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज कराने की तैयारी चल रही है। यह भी बताया जा रहा है कि इन कारोबारियों के नाम पर कई ऐसे भूखंड भी हैं, जहां एनएचएआई के प्रोजेक्ट पूरे हो चुके हैं या अभी चल रहे हैं। जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ेगी, कई और नाम सामने आ सकते हैं। जांच के दौरान पता चला है कि कई भूमियों के बीच रिश्तेदारों और दोस्तों का भी लिंक है। एक कारोबारी के नाम पर 11 और कई अन्य के नाम पर एक या दो भूखंड दर्ज हैं। इन भूमियों की जांच करते समय पता चला कि इनमें पिता-पुत्र, पति-पत्नी और भाई-बहन के रिश्ते भी शामिल हैं। अभी अधिग्रहण की गई भूमि के बदले मुआवजा पाने वालों की आधे से
अधिक जांच बाकी है। 

एनएचएआई अधिकारियों ने जिन लोगों के नाम पर भूखंड दर्ज किए हैं, उनमें भगवानदास, रामेश्वर दयाल गंगवार, हिमांशु सिंघल, और धर्मवीर मित्तल शामिल हैं। इन लोगों के नाम पर दर्ज भूखंड निम्नलिखित हैं- 
भगवानदास : गांव सरकरा में गाटा नंबर 495, 496, गांव शाही में गाटा नंबर 339, 214, गांव उगनपुर में गाटा नंबर 78, गांव अमरिया में गाटा नंबर 230, और अन्य। 
रामेश्वर दयाल गंगवार : गांव उगनपुर में गाटा संख्या 78, गांव कुकरीखेड़ा में गाटा संख्या 60, गांव देवीपुरा में 64, और अन्य।
हिमांशु सिंघल : गांव नकरपुरा में गाटा संख्या 480, 495, 496।
धर्मवीर मित्तल : गांव अमरिया में गाटा संख्या 84, 86।

मुख्य बिंदुओं पर जांच की जाएगी 
  • बाहरी लोगों ने प्रोजेक्ट शुरू होने से पहले कब किसानों से भूमि खरीदी।
  • कितने रुपये में भूमि खरीदी गई और कितना लाभ हुआ।
  • प्रत्येक व्यक्ति के नाम पर कितनी कृषि योग्य भूमि पंजीकृत है।
  • जिन भूमियों का मुआवजा मिला, वहां की सत्यापन रिपोर्ट किसने पास की।
  •  आवासीय और व्यावसायिक भूमि दिखाने वाली रिपोर्ट किस आधार पर बनाई गई।
  • किन प्रशासनिक अधिकारियों की संलिप्तता से कृषकों से भूमि खरीदी गई।
  • योजना की गोपनीयता कैसे लीक हुई और दलालों को जानकारी कहां से मिली।
  • शासन स्तर पर भी इस घोटाले की जांच शुरू हो गई है। 
घोटाले की जांच के लिए एक टीम लखनऊ से आ सकती है 
बरेली-पीलीभीत-सितारगंज हाईवे के भूमि अधिग्रहण में हुए घोटाले की जांच के लिए एक टीम लखनऊ से आ सकती है। एनएचएआई के चेयरमैन संतोष यादव ने मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह को पत्र भेजकर गहन जांच की मांग की है। जांच में कृषि भूमि को व्यावसायिक और आवासीय दिखाकर मुआवजा प्राप्त करने वाले अधिकारियों की पहचान की जाएगी। इसके अलावा, बरेली में रिंग रोड के मुआवजे पर भी घोटाले की आशंका जताई जा रही है। वर्तमान में मुआवजे की प्रक्रिया अटकी हुई है और पुनर्सत्यापन की प्रक्रिया चल रही है। अगर रिंग रोड की परियोजना की बात करें तो यह अभी डीपीआर स्तर पर है और वित्तीय स्वीकृति प्राप्त नहीं हुई है, जिससे मुआवजे का भुगतान अटका हुआ है। 

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