मोहर्रम की दस तारीख (यौम-ए-आशूरा) पर हजरत इमाम हसन हुसैन की शहादत पर अकीदतमंदों ने अकीदत का नजराना पेश किया। अकीदतमंदों ने इबादत की। इसके साथ ही कुरानख्वानी और फातिहा लगाकर लंगर किया। कड़ी सुरक्षा के बीच तख्त और ताजियों का जुलूस निकाला गया। शहर में सुन्नी समुदाय के ताजिए शाम को बाकरगंज कर्बला में सुपुर्द ए खाक किए गए।
यौम-ए-आशूरा पर अकीदत का नजराना : कड़ी सुरक्षा के बीच निकले तख्त और ताजियों के जुलूस, खाने के लंगर-शबील लगाई
Jul 17, 2024 19:37
Jul 17, 2024 19:37
250 से अधिक निकले जुलूस
शहर से लेकर देहात तक मोहर्रम पर उलमा ने कर्बला पर रोशनी डाली।इसके बाद दुआ की गई। मोहर्रम की दस तारीख को बाकरगंज स्थित ईदगाह कर्बला में शहर के चारों तरफ से करीब 250 से अधिक जुलूस पहुंचे। सुन्नी समुदाय के लोग जुलूस में अलम, तख्त और छड़ लेकर कर्बला पहुंचे। इस दौरान कड़ी सुरक्षा के इंतजाम किए गए थे।
जानें क्या है यौम-ए-आशूरा
यौम-ए-आशूरा मुहर्रम के 10वें दिन को कहा जाता है। इसी दिन कर्बला की जंग में पैगंबर हजरत मुहम्मद साहब के छोटे नवासे हजरत इमाम हुसैन और उनके 72 साथी शहीद हो गए थे। इसलिए इस दिन को शोक के रूप में मनाया जाता है। मोहर्रम पर ताजियों का जुलूस निकाले जाने को लेकर जिले भर में कड़ी चौकसी है। शहर से लेकर देहात तक जुलूस में सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं। जुलूस के आगे और पीछे पुलिस, रैपिड एक्शन फोर्स और अधिकारियों का काफिला चलता रहेगा। शहर के संवेदनशील क्षेत्रों में सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त किए गए हैं।
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