बंद राइस मिल से सरकारी चावल बरामद : पीलीभीत में पूर्ति विभाग पर उठे सवाल, जानिए कौन मार रहा था गरीबों के राशन पर डाका 

पीलीभीत में पूर्ति विभाग पर उठे सवाल, जानिए कौन मार रहा था गरीबों के राशन पर डाका 
UPT | राइस मिल पर छापेमारी करने पहुंची टीम।

Jan 10, 2025 14:28

पीलीभीत के बिलसंडा क्षेत्र में एक बंद राइस मिल से PDS के 27 बोरे चावल बरामद हुए, जिससे हड़कंप मच गया। गरीबों के राशन में कटौती और कालाबाजारी का संदेह है। नायब तहसीलदार की छापेमारी में यह चावल गोदाम में छिपा मिला।

Jan 10, 2025 14:28

Pilibhit News : पीलीभीत जिले के बिलसंडा क्षेत्र में बंद पड़ी एक राइस मिल से सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) के 27 बोरे चावल बरामद होने के बाद प्रशासनिक हलकों में हड़कंप मच गया है। यह घटना बीसलपुर रोड स्थित नहर की पुलिया के पास की है, जहां एक बंद गोदाम में सरकारी चावल की सूचना मिलने पर नायब तहसीलदार अवधेश कुमार के नेतृत्व में छापेमारी की गई। यह सरकारी चावल गरीबों के लिए वितरित किया जाना था, लेकिन इसे गोदाम में छिपाकर रखने से यह सवाल खड़ा हो गया है कि गरीबों के राशन में कटौती कर चावल की कालाबाजारी की जा रही थी।



जिला पूर्ति अधिकारी की गैरमौजूदगी पर सवाल
छापेमारी के बाद मामले ने और तूल पकड़ लिया, जब जिला पूर्ति अधिकारी (DSO) विकास कुमार मौके पर नहीं पहुंचे। उच्च अधिकारियों ने उन्हें तुरंत घटनास्थल का निरीक्षण करने और जांच करने के निर्देश दिए थे, लेकिन उनकी अनुपस्थिति ने पूर्ति विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। सूत्रों के मुताबिक, मामले की रिपोर्ट एसडीएम स्तर पर मांगी गई है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।

गोदाम मालिक पर कार्रवाई में देरी
पूर्ति विभाग द्वारा गोदाम मालिक के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने में भी देरी हो रही है। छापेमारी के बाद गोदाम मालिक का नाम सामने आने के बावजूद अब तक किसी ठोस कार्रवाई की सूचना नहीं है। अधिकारियों का कहना है कि एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दे दिए गए हैं, लेकिन स्थानीय स्तर पर कोई प्रभावी कदम नहीं उठाए गए हैं। इससे यह आशंका और मजबूत हो रही है कि इस मामले में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हो सकती हैं।

गरीबों के राशन पर कालाबाजारी का आरोप
सरकारी चावल के बोरे एक बंद राइस मिल में मिलने से यह स्पष्ट होता है कि गरीबों को मिलने वाले राशन में कटौती कर इसे निजी लाभ के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था। इस चावल का उपयोग या तो ब्लैक मार्केट में बेचा जाना था या किसी अन्य अनैतिक उद्देश्य के लिए किया जाना था। स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से इस मामले में सख्त कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि यह गरीबों के साथ धोखा है और दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए।

अधिकारियों की सुस्ती से बढ़ी नाराजगी
मामले की गंभीरता को देखते हुए, प्रशासन और पूर्ति विभाग की सुस्ती पर जनता में नाराजगी बढ़ रही है। छापेमारी के बाद से ही लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर इस गोदाम में सरकारी चावल कैसे पहुंचा और इसे यहां कौन छिपा रहा था। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया है कि सरकारी राशन की कालाबाजारी में बड़े अधिकारी और कुछ स्थानीय प्रभावशाली लोग भी शामिल हो सकते हैं।

पिछले मामलों से सबक नहीं लिया गया
इससे पहले भी पीडीएस प्रणाली में गड़बड़ी के कई मामले सामने आ चुके हैं, लेकिन हर बार जांच और कार्रवाई की प्रक्रिया में देरी हुई है। इससे स्पष्ट होता है कि गरीबों के हक के राशन में हेरफेर करने वाले माफिया अब भी सक्रिय हैं।

मामले की जांच और आगे की कार्रवाई
जिला प्रशासन ने एसडीएम स्तर पर मामले की जांच शुरू कर दी है।
  • प्रारंभिक रिपोर्ट: गोदाम में सरकारी चावल का पाया जाना कालाबाजारी का संकेत देता है।
  • अगले कदम: गोदाम मालिक पर सख्त कार्रवाई।, पूर्ति विभाग की भूमिका की जांच, दोषियों के खिलाफ कानूनी कदम।
सरकारी राशन का गलत इस्तेमाल न केवल एक अपराध 
गरीबों के लिए आरक्षित सरकारी राशन का गलत इस्तेमाल न केवल एक अपराध है, बल्कि यह समाज के सबसे कमजोर तबके के साथ विश्वासघात भी है। प्रशासन को इस मामले में त्वरित और सख्त कार्रवाई करनी चाहिए ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं पर रोक लगाई जा सके। यह घटना यह भी रेखांकित करती है कि पीडीएस प्रणाली की निगरानी को और अधिक प्रभावी बनाने की आवश्यकता है। 

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