आतंकी एक पश्चिमी एशियाई देश, आर्मीनिया में आधारित जांगी (ZANGI) नामक मोबाइल एप्लिकेशन का इस्तेमाल कर रहे थे। इस एप्लिकेशन का डेटा सिर्फ 20 सेकंड में सर्वर से खुद-ब-खुद डिलीट हो जाता है...
पीलीभीत एनकाउंटर : खालिस्तानी आतंकी कर रहे थे इस एप का इस्तेमाल, 20 सेकेंड में अपने आप डिलीट हो जाता है डाटा
Dec 28, 2024 13:03
Dec 28, 2024 13:03
पुलिस ने आतंकियों के मोबाइल को जांच के लिए भेजा
पुलिस द्वारा की गई जांच में यह पता चला कि ये आतंकी अमृतसर से बस में यात्रा करते हुए बरेली पहुंचे और फिर वहां से पीलीभीत पहुंचे। एक आतंकी की बुआ लखीमपुर खीरी जिले में रहती है और यह माना जा रहा है कि आतंकियों ने पीलीभीत को छिपने के स्थान के रूप में चुना था। वे यहां से बिहार जाने की योजना बना रहे थे। पीलीभीत के एसपी अविनाश पांडे ने बताया कि ये आतंकी बातचीत के लिए जांगी एप का इस्तेमाल कर रहे थे और उनके मोबाइल में यह एप डाउनलोड था। हालांकि, एप का डेटा सर्वर पर पहुंचने के कुछ सेकंड बाद ही नष्ट हो गया, जिससे कोई महत्वपूर्ण जानकारी हासिल नहीं हो पाई। पुलिस ने इन मोबाइलों को फोरेंसिक जांच के लिए भेजा है।
केेंद्र ने इन एप पर लगाई थी रोक
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने मई 2023 में जांगी सहित 14 मोबाइल एप्लिकेशनों पर प्रतिबंध लगाया था। इनमें से कई एप्लिकेशन जम्मू कश्मीर से पाकिस्तान में कोडेड टेक्स्ट भेजने के लिए आतंकियों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे थे। हालांकि, जांगी एप को गूगल प्ले स्टोर से पूरी तरह हटाया नहीं गया और इसे अन्य स्रोतों से डाउनलोड किया जा सकता है। सरकार ने जून 2020 से अब तक लगभग 250 एप्स पर प्रतिबंध लगाया है, जिनमें अधिकांश चीनी एप्स शामिल हैं।
पुलिस चौकी पर ग्रेनेड से किया हमला
गुरदासपुर से पीलीभीत की दूरी करीब 760 किलोमीटर है, जिसे आतंकियों ने अपनी यात्रा के दौरान तय किया। गुरदासपुर में 18 दिसंबर को पुलिस चौकी पर एक ग्रेनेड हमला हुआ था, जिसके बाद ये आतंकी भाग गए थे। वे पहले बरेली पहुंचे, फिर वहां से पीलीभीत पहुंचे। पीलीभीत में 20 दिसंबर की रात ये आतंकी हरजी होटल में ठहरे थे, जहां उन्होंने फर्जी आधार कार्ड का इस्तेमाल किया था। होटल के मालिक का नाम हरविंदर सिंह था और वह पंजाब का रहने वाला था। पुलिस को यह भी जानकारी मिली कि इन आतंकियों का चौथा मददगार भी था, जिसने होटल में उनके लिए कमरा बुक किया था और फर्जी दस्तावेज होटल को दिए थे।
बिहार जाने की फिराक में थे आतंकी
पुलिस ने बताया कि इन आतंकियों का प्लान बिहार जाने का था, हालांकि यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया कि वे पटना में किसके पास ठहरने वाले थे और उनका अगला कदम क्या था। एनकाउंटर में मारे गए आतंकियों के बारे में जानकारी मिली है कि वे पाकिस्तान स्थित खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स (KZF) के सदस्य थे। इन आतंकियों का सरगना रणजीत सिंह नीटा पाकिस्तान में है और वह पहले जम्मू और पंजाब के बीच ट्रक चलाता था, जहां उसका पाकिस्तान के तस्करों से संपर्क हो गया था।
टॉप-20 मोस्ट वांटेड अपराधियों में नीटा का नाम
बता दें कि नीटा का नाम 1988 से 1999 तक जम्मू और पठानकोट के बीच हुए बम धमाकों में आया था। वह बाद में ISI के लिए काम करने लगा और भारतीय कानून से बचने के लिए पाकिस्तान भाग गया। अब वह भारत के टॉप-20 मोस्ट वांटेड अपराधियों में से एक है। 2019 में उस पर ड्रोन के जरिए भारत में हथियार भेजने का आरोप लगा था। इस मॉड्यूल को नीटा और ग्रीस में रहने वाले जसविंदर सिंह मन्नू ऑपरेट करते थे और वे ब्रिटेन में बैठे जगजीत सिंह उर्फ फतेह सिंह बागी से संपर्क करते थे।
पूरे नेटवर्क का मास्टरमाइंड था जगजीत
जगजीत सिंह ब्रिटिश सेना में काम कर रहा था और उसका नया नाम फतेह सिंह बागी था। NIA ने 25 दिसंबर को पंजाब के तरनतारन जिले के मिर्यापुर गांव में दबिश दी थी, जहां जगजीत सिंह का परिवार रहता था। पंजाब पुलिस के डीजीपी गौरव यादव ने मीडिया को बताया कि इस आतंकवादी मॉड्यूल का संचालन नीटा और मन्नू करते थे और वे ब्रिटेन से आकर आतंकवादियों को आदेश देते थे। जगजीत सिंह इस पूरे नेटवर्क का मास्टरमाइंड था।
आतंकियों के पास से मिले हथियार और कारतूस
वहीं एनकाउंटर के बाद पीलीभीत के एसपी अविनाश पांडेय ने पंजाब पुलिस के डीजीपी गौरव यादव से इस मामले में बातचीत की, जिसमें खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स के आतंकवादी संगठन के बारे में कई महत्वपूर्ण जानकारी सामने आई। पुलिस के अनुसार, मारे गए आतंकियों के पास से भारी मात्रा में हथियार और कारतूस मिले थे। इन आतंकियों के पास दो एके-47 राइफल, दो ग्लॉक पिस्टल और बड़ी संख्या में कारतूस थे। ये आतंकी पंजाब के गुरदासपुर जिले के रहने वाले थे।
मुठभेड़ के दौरान मारे गए आतंकी
पीलीभीत जिले के पूरनपुर क्षेत्र में आतंकियों की घेराबंदी की गई थी, जहां दोनों तरफ से कई राउंड फायरिंग हुई। इस एनकाउंटर में तीनों आतंकी मारे गए। पुलिस सूत्रों के अनुसार, इस एनकाउंटर का असर भारत-पाकिस्तान सीमा पर देखा जा सकता है, खासकर पंजाब और जम्मू कश्मीर में। यह संभावना जताई जा रही है कि खालिस्तान जिंदाबाद फोर्स युवाओं को पैसे के लिए आतंकवाद में शामिल करती है, जो छोटे-मोटे अपराधों में शामिल होते हैं। इस एनकाउंटर के बाद उन लोगों में डर फैल सकता है जो सिर्फ पैसे के लिए इस संगठन से जुड़े थे। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, इस एनकाउंटर ने आतंकियों के नेटवर्क में तगड़ी चोट पहुंचाई है और उनकी गतिविधियों को और दबाया जा सकता है।
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