धान खरीद में करोड़ों का घोटाला : तीन दर्जन सचिवों के खिलाफ मुकदमा दर्ज, आइए जानें किसने कितने लाख डकारे

तीन दर्जन सचिवों के खिलाफ मुकदमा दर्ज, आइए जानें किसने कितने लाख डकारे
UPT | धान खरीद में करोड़ों का घोटाला

Aug 15, 2024 01:16

बस्ती और सिद्धार्थनगर जिलों में हाल ही में हुए एक बड़े सरकारी घोटाले ने प्रदेश में हड़कंप मचा दिया है। 200 से अधिक फर्जी किसानों के नाम पर खतौनी के जरिए सरकारी धन की लूट की गई है।

Aug 15, 2024 01:16

Short Highlights
  • धान खरीद में करोड़ों का घोटाला
  • सचिवों ने 46 लाख तक डकारे
  • शक के घेरे में डीएस की भूमिका
Basti News : बस्ती और सिद्धार्थनगर जिलों में हाल ही में हुए एक बड़े सरकारी घोटाले ने प्रदेश में हड़कंप मचा दिया है। 200 से अधिक फर्जी किसानों के नाम पर खतौनी के जरिए सरकारी धन की लूट की गई है। इस मामले में एक साथ दस सचिवों के खिलाफ आवश्यक वस्तु अधिनियम और धारा 409 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। अब तक लगभग तीन दर्जन सचिवों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा चुकी है, जिन पर सरकारी धन के गबन का आरोप है।

सचिवों ने 46 लाख तक डकारे
जिन सचिवों के खिलाफ एक करोड़ 35 लाख रुपये के धान के गबन के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया है, उनमें सबसे बड़ी राशि का गबन ठाकुरपुर के सचिव सुदीप सिंह ने किया है। सुदीप सिंह पर 46.99 लाख रुपये का गबन करने का आरोप है। इसके अतिरिक्त, भैसहां के सचिव सोनू गुप्त पर 9.81 लाख, शंकरपुर के सचिव राजकुमार दूबे पर 17.35 लाख, और पचवस के सचिव धनश्याम वर्मा पर 30.23 लाख रुपये का गबन करने का आरोप है। इन मामलों की गंभीरता को देखते हुए संबंधित अधिकारियों की भूमिका की भी जांच की जा रही है।

कमिश्नर की सख्ती के बाद दर्ज हुआ मुकदमा
कमिश्नर अखिलेश सिंह की सख्ती के बाद डीएम ने सचिवों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करवाया है। यह कदम धान घोटाले की जांच में एक महत्वपूर्ण मोड़ है। सहकारी संघ चिलमा परसन के अध्यक्ष बाबूराम सिंह ने अपने ही क्रय प्रभारी रामप्रीत यादव के खिलाफ 15.88 लाख रुपये के गबन का मुकदमा दर्ज करवाया, जो इस मामले में पहले उदाहरण के रूप में उभरा है। अन्य समितियों के चेयरमैन की तुलना में बाबूराम सिंह ने साहसिक कदम उठाते हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई की है, जिससे साफ होता है कि धान घोटाले में अन्य लोगों की भी संलिप्तता हो सकती है।

शक के घेरे में डीएस की भूमिका
जिन सचिवों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हो रहा है, उनके गबन का मुख्य कारण डीएस की भूमिका बताई जा रही है। सवाल उठ रहे हैं कि जब धान मील तक पहुंचा ही नहीं तो डीएस ने कैसे भुगतान कर दिया। इस भ्रष्टाचार के चलते सचिवों को जेल जाना पड़ रहा है, लेकिन असली सवाल यह है कि डीएस के खिलाफ भी मुकदमा क्यों नहीं दर्ज किया गया। जब तक डीएस के खिलाफ ठोस कार्रवाई नहीं होगी, तब तक इस प्रकार के घोटाले नहीं रुकेंगे। इस मुद्दे को लेकर व्यापक जांच की जरूरत है ताकि भविष्य में ऐसे घोटालों को रोका जा सके। कई सालों से इस तर्ज पर घोटालों की श्रृंखला चल रही थी, लेकिन अब इस पूरे स्कैम का पर्दाफाश हो चुका है।

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