संतकबीरनगर डीएम द्वारा अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार कराने के संबंध में चार क्षेत्र पंचायत सदस्यों ने उच्च न्यायालय में एक रिट दाखिल की थी। सुनवाई के बाद...
Siddharthnagar News : जिलाधिकारी ने निरस्त किए अविश्वास प्रस्ताव, उच्च न्यायालय से भी नहीं मिली राहत
Aug 15, 2024 21:27
Aug 15, 2024 21:27
अस्वीकार कर दिए थे अविश्वास प्रस्ताव
सिद्धार्थनगर और संतकबीरनगर के डीएम ने अपने-अपने जनपद में ब्लॉक प्रमुख के विरुद्ध प्राप्त अविश्वास प्रस्ताव को निरस्त कर दिया है। सिद्धार्थनगर में नौगढ़ की ब्लॉक प्रमुख रेनू मिश्रा और संतकबीरनगर में सेमरियावां के ब्लॉक प्रमुख के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव आया था। दोनों ही अविश्वास प्रस्ताव उप्र क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत अधिनियम 1961 की धारा 15 के तहत अस्वीकार कर दिए गए थे।
क्षेत्र पंचायत सदस्यों ने उच्च न्यायालय में दाखिल की थी रिट
जिसके बाद संतकबीरनगर में डीएम को प्रस्तुत अविश्वास प्रस्ताव को स्वीकार कराने के संबंध में हाजरा खातून समेत तीन अन्य क्षेत्र पंचायत सदस्यों ने उच्च न्यायालय में एक रिट दाखिल की थी। मंगलवार को सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अंजनी कुमार मिश्रा और जयंत बनर्जी की बेंच ने इसे जिलाधिकारी के आदेश के क्रम में खारिज कर दिया है।
जांच के बाद डीएम ने अविश्वास प्रस्ताव किए अस्वीकार
डीएम ने जिला शासकीय अधिवक्ता को जांच सौंपी। इसमें सामने आया कि कुछ सदस्यों ने अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस पर हस्ताक्षर तो किया, लेकिन इस संबंध में किसी तरह का कोई शपथ पत्र नहीं दिया गया। इसके अलावा कई सदस्यों के शपथ पत्र पर उनके हस्ताक्षर नहीं थे। शपथ पत्र के संबंध में नोटरी अधिवक्ता के रजिस्टर में सदस्यों के अंगूठे के निशान भी नहीं पाए गए। इसके अलावा अन्य बिंदुओं के आधार पर डीएम की तरफ से प्रियंका सिंह व 54 अन्य की ओर से दिए गए अविश्वास प्रस्ताव को कूटरचित व छलपूर्वक तैयार किया माना गया। इसी आधार पर डीएम ने अविश्वास प्रस्ताव के प्रत्यावेदन को अस्वीकार कर दिया था।
न्यायालय से डीएम के अस्वीकार किए गए फैसले को सही ठहराया
संतकबीरनगर में क्षेत्र पंचायत सदस्य संगीता देवी, मनीष कुमार, बदरुन्निशा व हाजरा खातून की तरफ से डीएम के पास ब्लॉक प्रमुख सेमरियावां के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का प्रत्यावेदन दिया गया। बताया कि इस अविश्वास प्रस्ताव पर सिर्फ चार सदस्यों के हस्ताक्षर थे। बाकी सबने अलग-अलग हस्ताक्षर किए थे। जबकि, नियम के अनुसार अविश्वास प्रस्ताव के लिए संख्या बल कुल सदस्यों का आधा होना जरूरी है। इस अविश्वास प्रस्ताव के प्रत्यावेदन के मामले में डीएम की तरफ से कोई कार्यवाही नहीं की गई थी। जिसके बाद इसके खिलाफ चारों सदस्य उच्च न्यायालय चले गए थे। जहां सुनवाई के बाद न्यायालय की तरफ से डीएम के अस्वीकार किए गए फैसले को सही ठहराते हुए रिट को खारिज कर दिया गया।
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