माधव प्रसाद त्रिपाठी मेडिकल कॉलेज में आग से बचाव के इंतजाम बेहद कमजोर पाए गए हैं। यहां फायर पंप की सुविधा अभी पूरी तरह से स्थापित नहीं हुई है, जबकि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति और भी खराब है...
खतरे में मरीजों की जान : अस्पतालों में आग से सुरक्षा के इंतजाम नाकाफी, एक्सपायर सिलेंडर का खतरा
Nov 17, 2024 19:25
Nov 17, 2024 19:25
- स्वास्थ्य केंद्रों में आग से सुरक्षा बेहाल
- मरीजों की सुरक्षा दांव पर
- एक साल से अधूरी फायर लाइन
मेडिकल कॉलेज के सिलिंडरों में खामियां
वहीं जब मेडिकल कॉलेज के विभिन्न हिस्सों में लटके फायर सिलिंडरों की जांच की गई तो अधिकांश सिलिंडरों पर उत्पादन वर्ष 2023 अंकित पाया गया, लेकिन एक्सपायरी तिथि का उल्लेख नहीं था। दवा वितरण कक्ष के पास तीन सिलिंडर मिले, जिनमें से एक पर जंग लगा हुआ था और वह 2019 का था, जो अब उपयोग योग्य नहीं रहा। वहीं, आग बुझाने के लिए बिछाई गई पाइपलाइन का काम भी एक साल से अधूरा है। कुछ जगहों पर तो सिलिंडर की सूइयां लाल निशान पर टिक चुकी हैं, जिससे यह साफ है कि वे काम करने योग्य नहीं हैं।
वार्ड और ओपीडी में खतरे की स्थिति
मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में हर दिन 1500 से 1800 मरीज आते हैं, जबकि भर्ती मरीजों की संख्या 500 से अधिक रहती है। इनके साथ तीमारदारों की भी भारी संख्या होती है। एसएनसीयू और पीआईसीयू वार्ड में नवजात और बच्चों का इलाज होता है, जिनके लिए आग से बचाव के पुख्ता इंतजाम जरूरी हैं। फिलहाल, यह व्यवस्था केवल कुछ पुराने और अप्रभावी फायर सिलिंडरों के भरोसे चल रही है। इन हालात में यहां बड़ी दुर्घटना की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।
सीएचसी में संसाधनों का भारी अभाव
डुमरियागंज के सीएचसी बेवां और भनवापुर के सीएचसी सिरसिया में आग से निपटने के पर्याप्त संसाधन नहीं हैं। सीएचसी बेवां में रोजाना 300-400 मरीजों का इलाज होता है, जबकि दर्जनभर मरीज भर्ती रहते हैं। यहां केवल 12 फायर सिलिंडर उपलब्ध हैं। वहीं, भनवापुर के सिरसिया सीएचसी में कुल पांच सिलिंडर ही हैं। वाटर पंप की सप्लाई होने के बावजूद वह खराब हालत में है, जिससे समय पर उपयोग संभव नहीं है।
अधिकारियों की सुस्ती से बढ़ रहा खतरा
इन स्वास्थ्य संस्थानों में आग से बचाव के इंतजामों की खामियां बड़े हादसों को न्योता दे रही हैं। पहले से सामने आ चुकी घटनाओं के बावजूद व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने में जिम्मेदार अधिकारी सुस्ती दिखा रहे हैं। मेडिकल कॉलेज और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में संसाधनों की मरम्मत और नई व्यवस्थाओं की स्थापना पर तुरंत ध्यान देना जरूरी है। मरीजों और उनके तीमारदारों की सुरक्षा के लिए आधुनिक और प्रभावी इंतजाम वक्त की मांग है।
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