आषाढ़ मास के अमावस्या मेले पर भगवान श्री राम की तपोभूमि चित्रकूट में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। एक अनुमान के मुताबिक 3 से 5 लाख श्रद्धालुओं ने पवित्र मंदाकिनी नदी में डुबकी लगाई।
Chitrakoot News : आषाढ़ अमावस्या पर लाखों श्रद्धालुओं ने मंदाकिनी में डुबकी लगाई, डीएम और एसपी ने किया मेला क्षेत्र का निरीक्षण
Jul 05, 2024 20:51
Jul 05, 2024 20:51
संवेदनशील स्थानों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
मेले का निरीक्षण करने पहुंचे चित्रकूट के डीएम शिवरनप्पा जीएन और एसपी अरुण कुमार सिंह ने व्यवस्थाओं का जायजा लिया। मौसम ने भी श्रद्धालुओं का साथ दिया और काले घटाओं के साये में भीषण गर्मी और उमस ने उन्हें ज्यादा परेशान नहीं किया। इस दौरान पुलिस प्रशासन ने संवेदनशील स्थानों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे। चित्रकूट में हर माह की अमावस्या तिथि का अपना अलग महत्व होता है।
देर रात से ही उमड़ी आस्थावानों की भीड़
आषाढ़ मास के अमावस्या मेले पर भगवान श्री राम की तपोभूमि चित्रकूट में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। एक अनुमान के मुताबिक 3 से 5 लाख श्रद्धालुओं ने पवित्र मंदाकिनी नदी में डुबकी लगाई। अमावस्या मेले के लिए देर रात से ही हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ रेलवे स्टेशन और बस अड्डे पर उमड़ पड़ी थी और रामघाट जाने के लिए आतुर दिखी। आस्थावानों का सैलाब पुण्य की डुबकी लगाने को बेताब दिखा। भोर के बाद सुबह से लेकर दोपहर तक ये संख्या लाखों में पहुंचने लगी। विभिन्न राज्यों सहित देश व प्रदेश के कई हिस्सों से आए श्रद्धालुओं ने मंदाकिनी नदी में डुबकी लगा मत्स्यगजेन्द्रनाथ महराज का जलाभिषेक भी किया और इसके बाद भगवान कामतानाथ पर्वत की परिक्रमा लगाई।
जय श्री राम के उद्घोष से वातावरण गूंज उठा
लाखों की संख्या में चित्रकूट पहुंचे श्रद्धालुओं के जय श्री राम के उद्घोष से वातावरण गुंजायमान हो उठा। हर तरफ भक्तों का जत्था भजन कीर्तन करते हुए जहां जहां वनवास काल के दौरान श्री राम ने कुछ समय बिताए थे वहां जाने को आतुर दिखा और ऐसे धार्मिक स्थानों पर पहुंचकर लोगों ने खुद को धन्य समझा।
अमावस्या का है विशेष महत्व
तपोस्थली चित्रकूट में हर माह की अमावस्या का विशेष महत्व है। ऐसी मान्यता और कई धार्मिक ग्रन्थों में विदित है कि वनवास काल के प्रवास के दौरान भगवान श्री राम हर अमावस्या पर मंदाकिनी नदी में स्नान कर कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा करते थे। लंका विजय के बाद अयोध्या वापस जाते समय उन्होंने पुनः कामतानाथ पर्वत की परिक्रमा लगाई और वरदान दिया कि अमावस्या के दिन मंदाकिनी स्नान और कामदगिरी पर्वत की परिक्रमा लगाने से मनुष्य की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी और सारे कष्ट दूर होंगे। इसी मान्यता के तहत हर अमावस्या पर भारी संख्या में श्रद्धालु चित्रकूट पहुंचते हैं। दीपावली के दिन तो 70 से 80 लाख आस्थावान तपोभूमि पहुंचते हैं और परिक्रमा लगाते हैं। चित्रकूट का दीपावली मेला काफी प्रसिद्ध है।
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