Chitrakoot News : चित्रकूट संत रणछोड़दास जी महाराज द्वारा स्थापित सद्गुरु नेत्र चिकित्सालय, चित्रकूट में रेटिना/युविया पर आधारित एक दिवसीय कार्यशाला का भव्य आयोजन किया गया। इस कार्यशाला में देश-विदेश से आए 150 से अधिक नेत्र विशेषज्ञों ने भाग लिया। कार्यक्रम का उद्देश्य नेत्र रोगियों के इलाज में नवीनतम शोध और नवाचार को बढ़ावा देना और अंधत्व निवारण के प्रयासों को नई दिशा प्रदान करना था।
कार्यक्रम में इन लोगों ने लिया भाग
कार्यशाला की शुरुआत अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन और गुरु पूजन के साथ हुई। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ. पी.सी. द्विवेदी (मेडिकल कॉलेज रीवा), सद्गुरु नेत्र चिकित्सालय के डायरेक्टर डॉ. बी.के. जैन, डॉ. इलेश जैन, रूपेश अग्रवाल (सिंगापुर), प्रो. दीपांकर नंदी, डॉ. उमा नांबियार, डॉ. कल्पना बी. मूर्ति, डॉ. आलोक सेन, डॉ. राकेश शाक्या, डॉ. नरेंद्र पाटीदार, डॉ. गौतम सिंह परमार, डॉ. राजेश जोशी, और डॉ. अमृता मोरे सहित अन्य विशेषज्ञ उपस्थित रहे। इसके अलावा, प्रो. अमोद गुप्ता और प्रो. अमन शर्मा ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कार्यशाला में भाग लिया।
कार्यशाला में रेटिना और युविया (आंख के अंदरूनी हिस्से में सूजन की समस्या) से जुड़ी नवीनतम तकनीकों और उपचार पद्धतियों पर चर्चा की गई। विशेषज्ञों ने बताया कि इस तरह की कार्यशालाएं चिकित्सकों को एक-दूसरे के अनुभवों से सीखने का अवसर प्रदान करती हैं।
कार्यक्रम के दौरान सद्गुरु नेत्र चिकित्सालय के डायरेक्टर डॉ. बी.के. जैन ने कहा, "नेत्र चिकित्सा के क्षेत्र में ऐसी कार्यशालाओं का आयोजन बेहद जरूरी है। इससे चिकित्सकों के बीच ज्ञान का आदान-प्रदान होता है, जिससे रोगियों को उच्च गुणवत्ता की चिकित्सा सेवाएं प्रदान की जा सकती हैं।"
कार्यशाला में मिले मील के पत्थर
कार्यशाला के संयोजक डॉ. आलोक सेन ने कहा, "यह कार्यशाला नेत्र चिकित्सा के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित हुई है। देश-विदेश के विशेषज्ञों की उपस्थिति से हमने एक-दूसरे के अनुभवों से बहुत कुछ सीखा। भविष्य में भी ऐसे आयोजनों से चिकित्सा के क्षेत्र में नई ऊंचाइयां हासिल की जा सकती हैं।"
सम्मान और समापन समारोह
कार्यशाला के समापन के दौरान, सद्गुरु नेत्र चिकित्सालय के डायरेक्टर डॉ. बी.के. जैन ने सभी प्रतिभागी विशेषज्ञों को साल, पुष्प गुच्छ और स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया। इस भव्य आयोजन ने नेत्र चिकित्सा के क्षेत्र में ज्ञान के नए द्वार खोले और उपस्थित विशेषज्ञों को नई प्रेरणा दी।
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