लखनऊ स्थित इलाहाबाद हाईकोर्ट की बेंच ने बहराइच में अवैध निर्माण ध्वस्तीकरण से जुड़े जनहित याचिका (PIL) की सुनवाई को 27 नवंबर तक स्थगित कर दिया है...
बहराइच के बुलडोजर मामले में टली सुनवाई : राज्य सरकार ने रखा अपना पक्ष, अब इस दिन होगी अगली पेशी
Nov 18, 2024 14:20
Nov 18, 2024 14:20
- बहराइच ध्वस्तीकरण मामले में सुनवाई टली
- रिवाइंडर हलफनामा रिकॉर्ड में नहीं
- 27 नवंबर को होगी अगली सुनवाई
ध्वस्तीकरण के नोटिस और विवाद
दरअसल, यह मामला बहराइच में अवैध निर्माणों पर कार्रवाई और नोटिस से संबंधित है। याचिकाकर्ता ने अदालत में आरोप लगाया कि प्रशासन द्वारा यह कार्रवाई बिना उचित कानूनी प्रक्रिया अपनाए की गई, जो मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। दूसरी तरफ, राज्य सरकार का दावा है कि यह कार्रवाई पूरी तरह से कानूनी प्रावधानों के तहत की गई है। अगली सुनवाई में अदालत दोनों पक्षों की दलीलें सुनेगी।
जानें पूरा मामला
गौरतलब है कि 13 अक्टूबर को बहराइच जिले के महराजगंज बाजार में प्रतिमा विसर्जन के दौरान सांप्रदायिक तनाव भड़क गया। इस घटना में राम गोपाल मिश्रा नामक युवक की गोली मारकर हत्या कर दी गई, जिसके बाद इलाके में हिंसा फैल गई। हिंसा के दौरान कई मकानों, दुकानों और वाहनों को आग लगा दी गई।
प्रशासन की कार्रवाई और याचिका
हिंसा के बाद प्रशासन ने मुख्य आरोपी अब्दुल हमीद और अन्य 23 लोगों पर कार्रवाई की। उनकी संपत्तियों को सरकारी जमीन पर अवैध निर्माण घोषित कर नोटिस जारी किए गए। एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स ने इस कार्रवाई के खिलाफ जनहित याचिका दाखिल की, जिसमें आरोप लगाया गया कि प्रशासन ने कानूनी प्रक्रियाओं का पालन नहीं किया और बुलडोजर का उपयोग कर संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया, जिससे लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन हुआ।
किसी भी कार्रवाई पर लगाई गई थी रोक
इससे पहले, बहराइच में 13 अक्टूबर को हुई हिंसा के बाद महाराजगंज क्षेत्र के कथित अतिक्रमणकारियों को जारी ध्वस्तीकरण नोटिसों को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ में सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस मामले में यूपी सरकार से चार अहम सवालों पर जवाब मांगा और नोटिस पर 11 नवंबर तक कोई भी कार्रवाई रोकने का आदेश दिया था। इससे कथित अतिक्रमणकर्ताओं को अस्थायी राहत मिली।
कोर्ट ने यूपी सरकार से मांगा जवाब
साथ ही कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा था कि क्या ध्वस्तीकरण नोटिस जारी करने से पहले संबंधित क्षेत्र का सर्वेक्षण किया गया था ? क्या नोटिस प्राप्त करने वाले लोग उन परिसरों के स्वामी थे या नहीं ? इसके अलावा कोर्ट ने यह भी पूछा था कि क्या नोटिस जारी करने वाला प्राधिकारी अधिकृत था और क्या महाराजगंज में जिन निर्माणों को ढहाने के लिए नोटिस जारी किए गए वे वास्तव में अवैध थे? इन सवालों के जवाब देने के लिए राज्य सरकार को कोर्ट ने निर्देश दिए थे। साथ ही याचिकाकर्ता को इन जवाबों पर आपत्तियां दाखिल करने का समय दिया गया था।
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