अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस : अवध के कतर्नियाघाट में बढ़ती बाघों की संख्या , पीलीभीत को पछाड़ने की ओर

अवध के कतर्नियाघाट में बढ़ती बाघों की संख्या , पीलीभीत को पछाड़ने की ओर
UPT | International Tiger Day

Jul 29, 2024 08:23

कतर्नियाघाट वन्य जीव अभयारण्य बाघों के लिए एक आदर्श निवास स्थान के रूप में उभर रहा है। इसकी हरी-भरी वनस्पति, दलदली भूमि, प्राकृतिक जल स्रोत और पर्याप्त शिकार...

Jul 29, 2024 08:23

Short Highlights
  • 29 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है
  • कतर्नियाघाट वन्य जीव अभयारण्य बाघों के लिए एक आदर्श निवास स्थान है
  • यहां 59 वयस्क बाघों के साथ 20 से अधिक शावक हैं

 

Bahraich News : हर साल 29 जुलाई को मनाया जाने वाला अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस, बाघ संरक्षण के प्रति जन-जागरूकता बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इसके अंतर्गत, कतर्नियाघाट वन्य जीव अभयारण्य बाघों के लिए एक आदर्श निवास स्थान के रूप में उभर रहा है। इसकी हरी-भरी वनस्पति, दलदली भूमि, प्राकृतिक जल स्रोत और पर्याप्त शिकार की उपलब्धता ने इसे बाघों के लिए स्वर्ग बना दिया है। वर्तमान में यहां 59 वयस्क बाघों के साथ 20 से अधिक शावक निवास कर रहे हैं और वन विभाग का अनुमान है कि आने वाले एक वर्ष में यह संख्या 80 तक पहुंच सकती है। यह वृद्धि कतर्नियाघाट को उत्तर प्रदेश में बाघों की सबसे बड़ी आबादी वाला अभयारण्य बना देगी।

तेजी से हुआ विकास
यह विकास काफी तेज गति से हुआ है। 2018 में की गई गणना में यहां केवल 29 बाघ थे, जो 2022 तक बढ़कर 59 हो गए। यह लगभग दोगुनी वृद्धि अभयारण्य की समृद्धि और सफल संरक्षण प्रयासों का प्रमाण है। तुलनात्मक रूप से, लखीमपुर खीरी जिले के दुधवा राष्ट्रीय उद्यान में 35, किशुनपुर अभयारण्य में 41, और पीलीभीत में 75 बाघ पाए गए हैं।

प्राकृतिक वातावरण और रणनीतिक स्थान 
कतर्नियाघाट की सफलता का श्रेय इसके प्राकृतिक वातावरण और रणनीतिक स्थान को जाता है। 1975 में अभयारण्य का दर्जा मिलने के बाद से, यहां बाघ संरक्षण के प्रयास निरंतर जारी हैं। नेपाल के बर्दिया राष्ट्रीय उद्यान से सटा होना इसे और भी महत्वपूर्ण बनाता है। गेरुआ और कौड़ियाला नदियों के साथ-साथ लगभग 30 तालाब बाघों को प्राकृतिक जल स्रोत प्रदान करते हैं।

बाघों की सुरक्षा का पूरा इंतजाम
बाघों की सुरक्षा और निगरानी के लिए व्यापक उपाय किए गए हैं। 551 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले इस अभयारण्य में 300 नाइट विजन कैमरे लगाए गए हैं। ये कैमरे न केवल बाघों की गतिविधियों पर नजर रखते हैं, बल्कि अवैध शिकार जैसी गतिविधियों को रोकने में भी मदद करते हैं। इन प्रयासों के फलस्वरूप, यहां शिकार के मामले लगभग समाप्त हो गए हैं।

बाघों की बढ़ती आबादी बनी चुनौती
हालांकि, बढ़ती बाघ आबादी के साथ नई चुनौतियां भी सामने आ रही हैं। सेवानिवृत्त वनाधिकारी आनंद कुमार के अनुसार, एक वयस्क बाघ को लगभग 10-12 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की आवश्यकता होती है। वर्तमान में कतर्नियाघाट के बाघों को लगभग 708 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की आवश्यकता है, जबकि उपलब्ध क्षेत्र केवल 551 वर्ग किलोमीटर है। इस चुनौती के साथ-साथ, पिछले कुछ वर्षों में चार बाघों की मृत्यु भी चिंता का विषय रही है।

2025 तक संख्या 80 पार पहुंचने की उम्मीद
फिर भी, कतर्नियाघाट की भविष्य की संभावनाएं उज्ज्वल दिखाई दे रही हैं। वन विभाग के अधिकारी बी. शिवशंकर का अनुमान है कि 2025 तक यहां बाघों की संख्या 80 तक पहुंच जाएगी, जो इसे उत्तर प्रदेश के सभी टाइगर रिजर्व में सबसे बड़ा बना देगा। यह उपलब्धि न केवल कतर्नियाघाट, बल्कि पूरे भारत के बाघ संरक्षण प्रयासों के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगी।

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