कैसरगंज लोकसभा सीट उत्तर प्रदेश के 80 लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में से एक है। 20 मई को पांचवे चरण में इस सीट पर चुनाव होने हैं। यहां चुनाव मैदान में बीजेपी से सांसद बृजभूषण शरण सिंह के बेटे करण भूषण, सपा से भगत राम मिश्रा और बसपा के नरेंद्र पांडेय हैं। बता दें कि इस संसदीय क्षेत्र में 5 विधानसभा सीटें हैं और 1952 में यहां पहली बार यहां लोकसभा चुनाव हुए थे। साल 2014 से
कैसरगंज लोकसभा चुनाव : सपा-बसपा का बड़ा दांव, क्या बीजेपी लगा पाएगी हैट्रिक? जानिए इसके सियासी समीकरण
May 16, 2024 16:29
May 16, 2024 16:29
कड़ी होगी टक्कर, भाजपा लगा पाएगी हैट्रिक?
कैसरगंज लोकसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच कड़ी टक्कर मानी जा रही हैं। इस सीट से बीजेपी ने ब़ृजभूषण शरण सिंह का टिकट काटकर उनके बेटे करण भूषण सिंह को उम्मीदवार बनाया है। वहीं समाजवादी पार्टी ने चुनाव मैदान में भगत राम मिश्रा को उतारा है। बता दें कि भगत राम मिश्रा श्रीवास्ती के पूर्व बीजेपी सांसद दद्दन मिश्रा के बड़े भाई है। भगत राम मिश्रा बहराइच के रहने वाले हैं। वहीं बसपा ने कैसरगंज सीट से पयागपुर विधानसभा क्षेत्र के रामनगर खजूरी गांव के रहने वाले नरेंद्र पाण्डेय को टिकट दिया है। नरेंद्र पांडेय की बात करें तो वह ट्रांसपोर्ट व्यावसायी हैं और वह 2004 से ही बसपा से जुड़े हुए हैं। इस सीट पर सबसे ज्यादा सपा काबिज रही है, वहीं इस बार यह सीट ज्यादा हॉट हो गई है, क्योंकि सपा और भाजपा के बीच उम्मीदवारों की कड़ी टक्कर मानी जा रही है।
सपा का रहा है इस सीट पर दबदबा
इस सीट के अस्तित्व में आने की बात करें तो गोंडा जिले की तीन और बहराइच की दो विधानसभा सीटों से मिलकर बनी कैसरगंज लोकसभा सीट पर कभी सपा का दबदबा रहा है। साल 1996 से लेकर 2009 तक इस सीट पर सपा ने जीत दर्ज की थी। वहीं 2009 में बृजभूषण शरण सिंह ने भी सपा के टिकट पर ही इस सीट से जीत दर्ज की थी। इसके बाद बृजभूषण शरण सिंह ने 2014 और 2019 में बीजेपी के चुनाव चिह्न पर यहां जीत हासिल की। बीजेपी ने कैसरगंज से मौजूदा सांसद बृजभूषण शरण सिंह के छोटे बेटे करण भूषण सिंह को उम्मीदवार बनाया गया है। बृजभूषण शरण सिंह के टिकट कटने के पीछे उनका हरियाणा से जुड़ा विवाद माना जा रहा है। जहां उनके ऊपर महिला पहलवानों ने यौन शोषण का आरोप लगाया था। ऐसे में उन्होंने अपने बेटे को ही भाजपा के चुनाव चिह्न पर मैदान में उतार गया।
पहली बार इन्होंने जीत की थी हासिल
माना जा रहा है कि इस बार कैसरगंज सीट पर चुनाव काफी दिलचस्प होने जा रहा है। इस सीट पर साल 2014 से बीजेपी का कब्जा है। बृजभूषण शरण सिंह ने भाजपा उम्मीदवार के रूप में 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में जीत हासिल की थी। कैसरगंज लोकसभा के गठन के बाद अब तक यहां 15 बार चुनाव हुए हैं। सबसे अधिक बार, यानि 5 बार इस सीट पर सपा का कब्जा रहा है। इस सीट से तीन बार कांग्रेस ने बाजी मारी है। वहीं दो बार से भाजपा जीत का परचम लहरा रही है। वहीं इस सीट पर तीन बार भारतीय जनसंघ के प्रत्याशी इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। बता दें कि कैसरगंज सीट पर 1952 में पहली बार लोकसभा चुनाव हुए थे। इस लोकसभा क्षेत्र में बहराइच और गोंडा जिले के कुछ इलाके शामिल हैं। जिनमें दो विधानसभा क्षेत्र बहराइच जिले के अंदर आते हैं और तीन गोंडा जिले का हिस्सा हैं।
इन्होंने भी कब्जाई थी सीट
यहां से पहली बार भारतीय जनसंघ की शकुंतला नैय्यर को जीत हासिल हुई थी। इसके बाद 1957 में स्वतंत्र पार्टी के भगवानदीन मिश्र और 1962 में बसंत कुमारी स्वतंत्र पार्टी से सांसद चुनी गईं। वहीं 1980 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के राना वीर सिंह इस सीट से सांसद चुने गए। इसके बाद 1984 और 1989 में भी राना वीर सिंह को जीत हासिल हुई थी। इस सीट पर लगातार 5 बार समाजवादी पार्टी को जीत हासिल हुई। साल 1996,1998, 1999 और साल 2004 में बेनी प्रसाद वर्मा जीत हासिल करने में सफल रहे। वहीं साल 2009 में सपा प्रत्याशी के तौर पर बृजभूषण शरण सिंह ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी। इसके बाद 2014 में बृजभूषण शरण सिंह ने बीजेपी का दामन थाम लिया और तब से वह बीजेपी के सांसद हैं।
कैसरगंज के जातीय समीकरण
कैसरगंज लोकसभा सीट के जातीय और राजनीतिक समीकरण की बात करें तो कैसरगंज लोकसभा सीट जनरल कैटेगरी की संसदीय सीट है। इस लोकसभा क्षेत्र की साक्षरता दर 45.39 फीसदी है। वहीं इस सीट पर SC मतदाताओं की संख्या लगभग 250,859 है। कैसरगंज संसदीय सीट पर ग्रामीण मतदाताओं की संख्या करीब 1,765,034 है। कैसरगंज संसदीय सीट पर शहरी मतदाताओं की संख्या लगभग 39,704 है और साल 2019 के संसदीय चुनाव के मुताबिक, कैसरगंज संसदीय सीट पर कुल 1804738 मतदाता हैं। अब देखना है कि आने वाली 20 मई को चुनाव में किसकी किस्मत पर जनता मोहर लगाती है। एक बार फिर बीजेपी आएगी या फर सपा अपना दबदबा दुबारा कायम करेगी।
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