गोंडा से मोतीगंज-झिलाही रेलमार्ग पहले से ही कमजोर स्थिति में था और इसकी रिपोर्ट रेलवे प्रशासन के पास थी। यहां तक कि दुर्घटना के दिन ही ट्रैक को बंद करने का आदेश जारी...
डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस हादसा : रेलवे की व्यवस्था पर उठे सवाल, सुरक्षा के दावों की पोल खुली
Jul 20, 2024 08:38
Jul 20, 2024 08:38
- घटना ने रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं
- गोंडा से मोतीगंज-झिलाही रेलमार्ग पहले से ही कमजोर स्थिति में था
- चेतावनियों के बावजूद एक्सप्रेस ट्रेन को कमजोर ट्रैक पर चलने दिया गया
चार फीट खिसका मिला रेलवे ट्रैक
दुर्घटना के पश्चात रेलवे ट्रैक अपनी मूल स्थिति से लगभग चार फीट खिसका हुआ पाया गया। ट्रैक के आसपास पानी जमा होने के कारण इसे और भी कमजोर माना जा रहा है। इसी कारण फॉरेंसिक टीम ने रेलवे ट्रैक, गिट्टी और मिट्टी के नमूने एकत्र किए हैं। रेलवे अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण किया और प्राथमिक जांच में पाया गया कि दुर्घटना का कारण घटनास्थल के पास गड्ढे और जमा पानी हो सकता है, जिसके कारण ट्रेन के आते ही ट्रैक खिसक गया।
रविवार को सीआरएस करेंगे जांच
इस गंभीर घटना की जांच के लिए 21 जुलाई को रेल संरक्षा आयुक्त (सीआरएस) पर्णजीव सक्सेना विस्तृत जांच करेंगे। हालांकि, सीनियर सेक्शन इंजीनियर पीके सिंह ने ट्रैक को बंद करने का आदेश मिलने की बात से इनकार किया है। इस बीच, एक कीमैन के वायरल हुए ऑडियो से यह स्पष्ट हो गया है कि उसने चार दिन पहले ही ट्रैक के कमजोर होने की सूचना अधिकारियों को दे दी थी। यह खुलासा निश्चित रूप से अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ा सकता है।
तेज धमाके के कारण की भी जांच
रेलवे अधिकारियों के अनुसार, मौसम परिवर्तन के कारण पटरियां चटक जाती हैं और तेज गति से चलने वाली ट्रेनों के आने पर ये अलग हो सकती हैं। जांच टीम अब यह पता लगाने में जुटी है कि दुर्घटना के समय डिब्रूगढ़ एक्सप्रेस किस गति से चल रही थी। साथ ही दुर्घटना के बाद लोको पायलट और स्थानीय लोगों द्वारा सुनी गई तेज धमाके की आवाज के कारण की भी जांच की जा रही है। पूर्वोत्तर रेलवे के सीपीआरओ पंकज कुमार ने धमाके की पुष्टि की है, जबकि पुलिस ने इससे इनकार किया है। इस घटना की गहन जांच जारी है और आने वाले दिनों में अधिक जानकारी सामने आने की संभावना है।
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