अटल बिहारी वाजपेयी हार गए थे अपना दूसरा चुनाव : बलरामपुर से सुभद्रा जोशी ने दर्ज की थी जीत, अभिनेता बलराज साहनी ने कांग्रेस के लिए मांगे थे वोट

बलरामपुर से सुभद्रा जोशी ने दर्ज की थी जीत, अभिनेता बलराज साहनी ने कांग्रेस के लिए मांगे थे वोट
UPT | लोकसभा चुनाव

May 18, 2024 21:43

पहले चुनाव में हार के बाद कांग्रेस इस सीट को जीतना चाहती थी। इसलिए चुनाव में कांग्रेस ने स्वतंत्रता सेनानी सुभद्रा जोशी को अटल के सामने मैदान में उतारा। सुभद्रा जोशी एक स्वतंत्रता सेनानी  थीं। उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में भी हिस्सा लिया था।

May 18, 2024 21:43

Short Highlights
  • 1962 में हुए इस चुनाव में चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस और जन संघ के बीच चुनावी जंग बहुत तेज हुई थी।
  • 1962 हार के बावजूद भी उन्होंने बलरामपुर आना नहीं छोड़ा। इसी का फायदा उन्हें अगले चुनाव में मिला।
Loksabha Chunav : लोकतंत्र में चुनावों की अहम भूमिका है। ये लोकतंत्र की खूबसूरती ही है कि चुनाव में बड़ा नेता हो या छोटा जीत किसी की भी सुनिश्चित नहीं होती है। इस देश में बड़े नेता से लेकर पीएम तक को चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा है। ऐसा ही एक वाक्या साल 1962 में बलरामपुर लोकसभा सीट पर हुआ था। इस चुनाव में जन संघ के बड़े नेता अटल बिहारी वाजपेयी को हार का सामना करना पड़ा था। कांग्रेस की तरफ से स्वतंत्रता सेनानी सुभद्रा जोशी चुनावी मैदान में थीं। बलरामपुर सीट पर पहला चुनाव साल 1957 में हुआ था। उस चुनाव में भारतीय जन संघ के टिकट पर अटल बिहारी वाजपेयी ने चुनाव जीता था। लेकिन अगले चुनाव में उनको हार का सामना करना पड़ा था।

बलराज साहनी ने कांग्रेस के लिए किया था प्रचार 
पहले चुनाव में हार के बाद कांग्रेस इस सीट को जीतना चाहती थी। इसलिए चुनाव में कांग्रेस ने स्वतंत्रता सेनानी सुभद्रा जोशी को अटल के सामने मैदान में उतारा। सुभद्रा जोशी एक स्वतंत्रता सेनानी  थीं। उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में भी हिस्सा लिया था। बलरामपुर से सुभद्रा जोशी को चुनाव में उतारकर नेहरू ने अटल बिहारी वाजपेयी के सामने एक मजबूत उम्मीदवार को उतारा। साथ ही इस चुनाव में उस वक्त के मशहूर अभिनेता बलराज साहनी को प्रचार के लिए मैदान में उतारा था। बलराज साहनी अपनी फिल्म दो बीघा जमीन से देशभर में मशहूर हो गए थे। साथ ही उन्होंने कई ऐसी फिल्में की थी जो काफी मशहूर हुई थी। जैसे काबुलीवाला, कठपुतली आदि। जिस कारण से देशभर में उनको काफी पसंद किया जाता था। जब वो प्रचार करने के लिए आते थे तो उन्हें देखने के लिए लोगों का हुजूम उमड़ पड़ता था। सुभद्रा जोशी की जीत का एक कारण बलराज साहनी का चुनाव प्रचार करना भी माना गया था। 

वाजपेयी ने दिया था विवादित बयान
1962 में हुए इस चुनाव में चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस और जन संघ के बीच चुनावी जंग बहुत तेज हुई थी। एक तरफ जहां कांग्रेस के समर्थक और कार्यकर्ता आक्रामक तरीके से चुनाव प्रचार कर रहे थे तो दूसरी ओर अटल बिहारी वाजपेयी ने कांग्रेस प्रत्याशी सुभद्रा जोशी के लिए एक विवादित टिपण्णी कर दी थी। एक जनसभा को संबोधित करते हुए सुभद्रा जोशी ने कहा था कि अगर वो चुनाव जीतती हैं तो पूरे महीने जनता के बीच रहकर जनता की सेवा करेंगी। इस बयान पर अटल बिहारी बाजपेयी ने भी एक बयान दिया था। उन्होंने जनता को संबोधित करते हुए कहा था कि सुभद्रा जोशी ने जो वादा आपलोगों से किया है, उसे वो कैसे पूरा करेंगी। क्योंकि महीने में चार-पांच दिन तो महिलाएं सेवा करने के लायक रहती ही नहीं है। इस बयान के बाद इस चुनाव ने अलग ही मोड़ ले लिया था। सुभद्रा ने इस बयान का कोई जवाब तो नहीं दिया लेकिन अपने प्रचार में वोटरों से अटल को इस बयान के लिए सजा देने की बात जरूर कर रही थीं। 

बूथ लूटने की उड़ी थी अफवाह
अटल बिहारी वाजपेयी के चुनाव हारने की कई वजहों में से एक वजह यह थी कि चुनाव के दिन ऐसी अफवाह फैल गई कि कई बूथों पर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने कब्जा कर लिया है। साथ ही यह बात भी कही जाने लगी कि बूथ पर आ रहे वोटरों को पुलिस लाठियों से पीट रही है। जिस कारण से वोटर घर से निकलने में कतरा रहे थे। जिस वजह से मतदान कम हुआ। जिसका नुकसान जन संघ के प्रत्याशी अटल  बिहारी वाजपेयी को उठाना पड़ा। इस चुनाव में हार के बाद वाजपेयी को एक झटका जरूर लगा था। लेकिन समर्थकों के उत्साह को देखते हुए अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था कि इस चुनाव में जरूर हारे हैं लेकिन अगलाचुनाव हमारा होगा। हार के बावजूद भी उन्होंने बलरामपुर आना नहीं छोड़ा। इसी का फायदा उन्हें अगले चुनाव में मिला। 1967 के चुनाव में एक बार फिर से अटल बिहारी वाजपेयी और सुभद्रा जोशी बलरामपुर सीट पर आमने-सामने थे। लेकिन इस चुनाव में सुभद्रा जोशी को हार का सामना करना पड़ा और वाजपेयी 30 हजार से ज्यादा मतों से इस चुनाव को जीत गए।

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